निर्जला एकादशी व्रत पारण में न करें ये एक गलती, जानें सही तरीका
nirjala ekadashi paran: निर्जला एकादशी व्रत में एक छोटी सी गलती पूरा पुण्य खत्म कर सकती है। हरि वासर समाप्ति से पहले पानी पीना व्रत भंग कर देता है, जानें सही पारण विधि।

nirjala ekadashi paran vidhi: निर्जला एकादशी व्रत को लेकर एक आम भूल कई लोग कर बैठते हैं। लोग व्रत के बाद रात 12 बजे या सूर्योदय के बाद पानी पी लेते हैं, लेकिन इस साल ऐसा करना व्रत को अधूरा कर सकता है। शास्त्रों के मुताबिक, निर्जला व्रत का पारण हरि वासर समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए। अगर आपने ये गलती कर दी, तो आपका व्रत टूट जाएगा और उसका पुण्य प्रभाव कम हो जाएगा।
आज 6 जून को गृहस्थ लोगों द्वारा निर्जला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है, जबकि 7 जून को वैष्णव जन निर्जला एकादशी का उपवास रखेंगे। इस कठिन व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक न तो जल ग्रहण किया जाता है और न ही अन्न। इस व्रत को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
इस साल यह व्रत विशेष है क्योंकि यह दो दिन का पड़ रहा है। ऐसे में पारण के नियम भी थोड़े अलग हो जाते हैं। इस बार हरि वासर का समापन 7 जून को सुबह 11:25 बजे हो रहा है। इसलिए व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि 11:25 बजे से पहले न तो जल पिएं और न ही व्रत तोड़ें।
कैसे करें पारण
पारण के समय श्रीहरि विष्णु की पूजा करें, पंचामृत, तुलसी, धूप-दीप, फल आदि अर्पित करें। इसके बाद जल, फल, अन्न आदि से व्रत पूर्ण करें। यदि कोई शनिवार का व्रत भी करता है तो तुलसी का पत्ता खाकर निर्जला व्रत का पारण कर सकता है और फिर शनिव्रत शुरू कर सकता है।
किन बातों का रखें ध्यान
अक्सर देखा गया है कि कई लोग रात 12 बजे के बाद या सूरज निकलने के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने से व्रत अधूरा माने जाएगा। पारण के लिए शुभ समय 7 जून को दोपहर 01:44 बजे से लेकर शाम 04:31 बजे तक का है। इस समय के बीच ही गंगाजल या साफ जल में तुलसी डालकर पारण करें।
यदि स्वास्थ्य कारणों से जल ग्रहण करना जरूरी हो जाए तो मजबूरी में पीने से दोष नहीं लगता, पर सामान्य परिस्थिति में नियम का पालन ज़रूरी है। यह उपवास इस बार कुल 32 घंटे का है, इसलिए सहनशक्ति और श्रद्धा की विशेष ज़रूरत है।