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Nirjala ekadashi timings: निर्जला एकादशी का व्रत आज या कल कब रखना उत्तम, कैसे करें पूजा, ज्योतिर्विद से जानें

Nirjala ekadashi timings: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को वर्ष का सबसे कठिन एकादशी व्रत किया जाता है। इसे निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है। इस वर्ष यह अत्यंत प्रभावशाली एवं शुभ फलदायक व्रत 6 जून दिन शुक्रवार को गृहस्थों के लिए होगा।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी, नई दिल्लीFri, 6 June 2025 05:29 AM
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Nirjala ekadashi timings: निर्जला एकादशी का व्रत आज या कल कब रखना उत्तम, कैसे करें पूजा, ज्योतिर्विद से जानें

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को वर्ष का सबसे कठिन एकादशी व्रत किया जाता है। इसे निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है। इस वर्ष यह अत्यंत प्रभावशाली एवं शुभ फलदायक व्रत 6 जून दिन शुक्रवार को गृहस्थों के लिए होगा। की वैष्णोजन 7 जून को व्रत करेंगे परंतु गृहस्थ लोग 6 जून को ही व्रत करेंगे। वैसे तो ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का मान 5 जून दिन गुरुवार की रात में 3:13 से आरंभ हो जाएगा। जो 6 जून दिन शुक्रवार को रात में 5:02 तक व्याप्त रहेगी। ऐसी स्थिति में सूर्योदय के साथ ही एकादशी तिथि 6 जून दिन शुक्रवार को प्राप्त हो रहा है। इसी दिन पूर्ण विधि विधान एवं श्रद्धा भाव के साथ निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को भीमसेनी एकादशी व्रत भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि वर्ष भर में अन्य एकादशी व्रत को किसी कारण बस नहीं कर पाते तो इस व्रत को करने से साल भर की एकादशी करनी के समान फल प्राप्त हो जाता है।

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निर्जला एकादशी महत्व

ऐसी मान्यता है कि एक निर्जला एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। तथा अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसमें भगवान नारायण एवं माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। निर्जला एकादशी व्रत करने से व्यक्ति इस जीवन में सभी प्रकार के सुखों को भोगता हुआ श्री हरि विष्णु के लोक की प्राप्ति करता है। इतना ही नहीं किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का यदि जीवन में प्रभाव है तो उसका सामान भी इस व्रत को करने से मिल जाता है साथ ही ब्रह्म हत्या या अनजाने में किए गए किसी भी पाप कर्म से मुक्ति हो जाती है। सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है

कैसे करें निर्जला एकादशी पर पूजा

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ सफाई करने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के उपरांत सूर्य देव को हरकतें तथा तुलसी के पौधे पर जड़न तथा प्रणाम करें घर के मंदिर में प्रसन्नतापूर्वक पीले वस्त्र पहनकर बैठ जाएं स्वयं को पवित्र करें आसान को पवित्र करते हुए दूध दही घी चंदन अभी रोली, जो तिल कदली फल इतिहास वस्तुओं को के द्वारा भगवान का पूजन अर्चन एवं भोग लगे पूजा आरंभ करने से पहले गाय के घी का दीपक जलाएं व्रत का संकल्प लें तथा विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी एवं भगवान नारायण की विधिवत पूजा करें अपने इष्ट देव की आराधना करें भगवान विष्णु के किसी भी मंत्र का जाप करें अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें अथवा पुरुष सूक्त का पाठ करें गोधूलि के समय पुणे उत्तर पूर्व पूजा नार्कन करने के साथ श्री सूक्त का भी पाठ करें इससे माता लक्ष्मी की परम कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती रहेगी।