Spiritual Discourse on Paths to God by Swami Yugal Sharan लक्ष्य प्राप्ति का एक मार्ग है भक्ति : स्वामी युगल शरण, Ara Hindi News - Hindustan
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लक्ष्य प्राप्ति का एक मार्ग है भक्ति : स्वामी युगल शरण

फोटो नाम से : आरा के रामलीला मैदान में प्रवचन करते स्वामी युगल शरण जी, रामलीला मैदान में ब्रज गोपिका सेवा मिशन

Newswrap हिन्दुस्तान, आराMon, 12 May 2025 08:46 PM
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लक्ष्य प्राप्ति का एक मार्ग है भक्ति : स्वामी युगल शरण

आरा निज प्रतिनिधि शहर के रामलीला मैदान में ब्रज गोपिका सेवा मिशन की ओर से आयोजित 20 दिवसीय प्रवचन शृंखला के 16वें दिन स्वामी युगल शरण जी ने ईश्वर की प्राप्ति के उपाय बताए। उन्होंने मौजूद लोगों के बीच प्रवचन करते हुए कहा कि बताया कि ईश्वर प्राप्ति के लिए तीन मार्ग हैं। यह तीन मार्ग कर्म, ज्ञान और भक्ति है। कर्म मार्ग को जो अपनाते हैं उसे कर्मी, ज्ञान मार्ग को जो अपनाते हैं, उसे ज्ञानी और भक्ति मार्ग को जो अपनाते हैं उसे भक्त कहा जाता है। परंतु वास्तविक लक्ष्य प्राप्ति का तो एक ही मार्ग है, वो है भक्ति मार्ग ।

कर्मी और ज्ञानी के लिए भक्ति अनिवार्य है । केवल कर्म करने से कर्मी को और आत्मज्ञान होने से ज्ञानी को अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता। लक्ष्य प्राप्ति के लिए भक्ति करना ही पड़ेगा। सगुण साकार भगवान की भक्ति करने से कर्मी कर्मयोगी और ज्ञानी ब्रह्मज्ञानी बन सकता है। इसलिए भक्ति सर्वोपरि है। कहा कि शंकराचार्य का वास्तविक स्वरूप भक्त स्वरूप है। कलयुग में अद्वैतवाद के प्रवर्तक थे आदि जगद्गुरु शंकराचार्य। उन्होंने जगत में कुछ ओर प्रचार किया लेकिन स्वयं छुप-छुप कर कुछ और कर रहे थे। शंकराचार्य अहं ब्रह्मास्मि, निर्गुण निर्विशेष निराकार ब्रह्म के बारे में जगत को बतलाया, लेकिन स्वयं छिप छिप कर श्रीकृष्ण भक्ति कर रहे हैं। उनको ऐसा करना पड़ा क्योंकि उस समय देश काल कि स्थिति ऐसी थी कि लोग नास्तिकता की ओर जा रहे थे। कर्मकांड का प्रचार-प्रसार तो बहुत था, लेकिन कर्मकांड़ गलत ढंग से हो रहा था । वेद का खंडन हो रहा था। इसलिए शंकराचार्य को अपना एक सिद्धान्त रखना पड़ा।

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