Farmers Demand Better Prices and Support for Okra Cultivation Amid Rising Costs बोले औरंगाबाद : मंडी नहीं होने से बिचौलियों के हाथों सब्जियां बेचने को किसान मजबूर, Aurangabad Hindi News - Hindustan
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बोले औरंगाबाद : मंडी नहीं होने से बिचौलियों के हाथों सब्जियां बेचने को किसान मजबूर

जिले में भिंडी की खेती बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन बढ़ती लागत और कम कीमतें किसानों के लिए समस्या बनी हुई हैं। किसान उचित मूल्य, सस्ते लोन और मंडी की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं और...

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादSat, 7 June 2025 11:03 PM
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 बोले औरंगाबाद : मंडी नहीं होने से बिचौलियों के हाथों सब्जियां बेचने को किसान मजबूर

जिले के विभिन्न प्रखंडों में भिंडी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन इस फसल की बढ़ती लागत होने के कारण अब यहां के किसान इसे लेकर अच्छे बाजार की मांग कर रहे हैं। किसान बैंक से सस्ता लोन के साथ सीधे बाजार तक पहुंच की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि भिंडी सब्जी की खेती बहुतयात रूप से किए जाने के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। जिले के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों एकड़ में इसकी खेती होती है। इस खेती की लागत अब बढ़ गई है। हिन्दुस्तान के संवाद कार्यक्रम के दौरान बातचीत में किसान ज्ञानी पासवान, प्रयाग महतो, सुभाष साव, त्रिवेणी महतो, सरयू महतो, प्रवेश प्रजापत, मुकेश मेहता, जयद्रथ महतो, सुरेंद्र महतो, पुकार पासवान आदि ने बताया कि भिंडी सब्जी उत्पादन के कार्य में समय, रुपए, मेहनत अधिक लगती है और जब उत्पादन अधिक हो जाता है तो औने पौने दाम में बेचना भी किसानों की मजबूरी हो जाती है।

भिंडी उगाने में बीज, खाद, सिंचाई, मजदूरी मिलकर एक बीघे में 20 से 25 हजार रुपए का खर्च आता है लेकिन मंडी में कीमत पांच से सात रुपए प्रति किलोग्राम ही मिलती है। सब्जियों की खेती में खर्च अधिक होता है। इसके साथ ही सब्जी जल्द खराब होने वाली चीज है। भिंडी की सब्जी को रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को औने-पौने दाम में इसे बेचना पड़ता है। कई बार बाजार में अधिक आपूर्ति हो जाती है और दाम गिर जाते हैं। इससे पूरी उपज बर्बाद हो जाती है। किसानों का कहना है कि खाद, बीज और दवा की कीमत में कोई कमी कभी नहीं होती है। इसी तरह मजदूरी में भी कमी नहीं आती है लेकिन उत्पाद की कीमत सीधे बाजार से नियंत्रित होती है। कम कीमत मिलने से किसान परेशान हैं। कीमत कम मिलने पर कई बार किसान अपनी फसल खेत में ही जोत देने को मजबूर हो जाते हैं। यदि इस तरह की खेती होती रही तो किसानों को इसकी खेती छोड़नी पड़ेगी। किसानों को कहना है कि अगर किसान संगठित होकर काम करें तो बाजार में बेहतर सौदे हो सकते हैं। किसानों का कहना है कि जिले में किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ की संख्या कम है और जो है भी वह निष्क्रिय है। किसानों को जागरुक कर संगठित करने की दिशा में ना तो प्रशासन का ध्यान है और ना ही कृषि विभाग इस मामले में सुध ले रहा है। किसानों का कहना है कि डीएपी, यूरिया, कीटनाशक और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हुआ है। किसान खेती के लिए निजी साहूकारों से उंची ब्याज दर पर कर्ज लेते हैं। यदि फसल खराब हो जाए या दाम गिर जाए तो किसान कर्ज में डूब जाते हैं। किसानों की मांग है कि सब्जी उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो। जिले में सब्जी मंडी की व्यवस्था बेहतर हो साथ ही परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। जिस प्रकार सरकार गेहूं, धान, दलहन, तिलहन, हल्दी, केले के उत्पादन को सहायता दे रही है। उसी तरह भिंडी सब्जी की खेती में भी मदद मिले। किसानों के लिए चलने वाली योजनाओं को सरल और सुलभ बनाया जाए। साथ ही किसानों को मौसम की सटीक जानकारी और प्राकृतिक आपदा के समय त्वरित मुआवजा देने की व्यवस्था भी बने। प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलते हैं किसान किसान प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलते हैं। बारिश, अनियमित ओलावृष्टि और गर्मी फसल को नुकसान पहुंचाती है। पूर्व में ओलावृष्टि ने कई किसानों की भिंडी की फसल बर्बाद कर दी थी। किसानों ने कहा की फसल तैयार थी। मंडी ले जाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन बारिश और ओलावृष्टि ने सब बर्बाद कर दिया। किसानों ने कहा कि स्थानीय मंडी में किसानों से सीधा सौदा नहीं होता है। बिचौलिए इसकी कीमत तय करते हैं। किसान मंडी में अपनी सब्जी बेचने जाते हैं लेकिन वहां कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होता। जो भाव मिल जाए, उसी में भिंडी बेचनी पड़ती है। किसानों को भिंडी की खेती में काफी फायदा हो सकता है लेकिन इसके लिए उन्हें वैज्ञानिक तरीके और उन्नत किस्म के बीजों के लिए प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सब्जी की खेती को मौसम की मार, बाजार की अस्थिरता और बिचौलिए के कारण नुकसान उठाना पड़ता है। किसान मिथिलेश पासवान, दिलीप प्रजापत, किशोरी बैठा आदि ने कहा कि कृषि नीतियों का दोषपूर्ण क्रियान्वयन और रसायनों को अत्यधिक प्रयोग से कृषि भूमि का क्षरण भी एक समस्या है। कई किसानों ने मंडी स्थापित करने की मांग की ताकि उन्हें उचित दाम मिल सके। किसानों ने कहा कि अगर प्रशिक्षण दिया जाए तो भिंडी की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकती है। भिंडी की बुवाई का सही समय गर्मी और बरसात के मौसम में होता है। किसानों ने कहा कि भिंडी उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को आधुनिक तकनीक, उन्नत किस्म, उचित खाद प्रबंधन और कीट नियंत्रण के बारे में प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यह प्रशिक्षण उन्हें भिंडी की खेती से अधिक लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकता है। भिंडी की फसल को कई प्रकार के कीट और रोग प्रभावित करते हैं। प्रशिक्षित किसानों को इन समस्याओं को समाधान के बारे में अगर जानकारी दी जाए तो इसके नियंत्रण और उचित दवा का उपयोग कर अपनी फसल को बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भिंडी फसल की नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है लेकिन सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सुझाव 1. सब्जियों के लिए फसल की लागत के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए 2. हर ब्लॉक में किसान को सीधा उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए किसान बाजार या मंडी की स्थापना की जाए 3.सब्जियों को नुकसान होने से बचाने के लिए सरकार को योजना लाकर किसानों का समर्थन करना चाहिए। 4.डिजिटल प्रशिक्षण को सरल बनाया जाए 5.डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फसल बेचने के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाए। 6. आपदा से नुकसान की स्थिति में त्वरित और पारदर्शी मुआवजा प्रणाली लागू हो शिकायतें 1. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता 2. मंडियों में सब्जियों के दाम बहुत कम मिलते हैं 3. मंडियों में बिचौलिए मनमानी करते हैं, किसान को सीधा बाजार तक पहुंच नहीं मिल रही है 4. भिंडी की सब्जी जल्दी खराब हो जाती है, कई बार तो खेत में ही जोतना पड़ता है। 5. सिंचाई की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी में महंगे ईंधन से फसल की सिंचाई करनी पड़ती है। 6. बारिश, ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर किसानों को समय पर मुआवजा तक नहीं दिया जाता है हमारी भी सुनिए खेती, किसानी से अब पहले जैसी बात नहीं रह गई है। लागत इतनी अधिक बढ़ गई है कि मुनाफा निकालना मुश्किल हो गया है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को काफी नुकसान होता है। ज्ञानी पासवान खेत में दिन-रात मेहनत करते हैं लेकिन मंडी की उपलब्धता नहीं होने के कारण मुनाफा बिचौलिए ले जाते हैं। किसानों के लिए मंडी हो तो लाभ हो सकता है। प्रयाग महतो अधिकारी हमारी समस्या सुनते नहीं आते। चुनाव के समय ही किसानों की बात करते हैं लेकिन बाकी दिन कोई नहीं पूछता। खेती में कई बार नुकसान होता है लेकिन कहीं से सहायता नहीं मिलती है। सुभाष साव सब्जी जल्द खराब होने वाली फसल है। पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते हमें काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। त्रिवेणी महतो बीज और खाद बहुत महंगे हो गए हैं। कर्ज लेकर खेती करनी पड़ रही है। उपर से फसल जब बर्बाद होती है तो मुआवजा भी नहीं मिलता है। सरयू महतो हर बार मंडी में बिचौलिए के भरोसे हमें रहना पड़ता है। वह जो दाम तय कर दे, हमें उस दम पर अपना सौदा करने की मजबूरी होती है। प्रवेश प्रजापत किसान बाजार की बात होती है लेकिन हमारे गांव के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं है। सब्जी की खेती में फायदा है लेकिन सीधी पहुंच नहीं है। किसान चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं। रामकेश्वर साव डीजल के दाम बढ़ गए हैं। गर्मी के मौसम में भिंडी की सब्जी की फसल में समय-समय पर पानी चलाना होता है। सिंचाई करना अब मुश्किल हो रहा है। इस सुविधा का घोर अभाव है। सुरेंद्र महतो अगर भिंडी की फसल को मंडी तक ले जाने को गाड़ी ना मिले तो खेत में ही सब्जी सड़ जाती है। इसको लेकर कृषि विभाग और सरकार को सोचना चाहिए। मुकेश महतो सरकार योजनाओं की घोषणा तो करती है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं दिखता है। यही वजह है कि किसान लाभ पाने से वंचित हैं। जयद्रथ महतो किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता है। मंडियों में सब्जियों के दाम बहुत कम मिलते हैं। कई बार लागत भी नहीं निकल पाती है।7 सुरेंद्र महतो मंडी में बिचौलिए मनमानी करते हैं। किसानों की पहुंच बाजार तक नहीं हो पाती है। इसके कारण भी हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पुकार पासवान बारिश, ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर किसानों को समय पर मुआवजा तक नहीं दिया जाता है। महीनों किसान कार्यालयों का चक्कर लगाते हैं। दिलीप पासवान भिंडी सब्जी उत्पादक किसानों के लिए एक चुनौती है। किसान अपने बूते पर खेती कर रहे हैं। किसानों को आधुनिक तरीके से खेती को लेकर सरकार की ओर से अलग व्यवस्था के साथ कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विशेष प्रशिक्षण मिलना चाहिए। दिनेश पासवान स्थानीय मंडी के अभाव में किसानों को विशेष परेशानी झेलनी पड़ती है। स्थानीय बाजार के अभाव में किसानों को शहर में जाकर सब्जी बेचनी पड़ती है। जगतपति महतो किसान हमेशा परेशानी और चुनौतियों से घिरे रहते हैं। कभी मौसम की बेरूखी तो कभी बीज, उर्वरक सही कीमत पर नहीं मिल पाता है। प्रखंड में गुणवत्तापूर्ण बीज नहीं मिलने से किसानों को बुवाई करने में परेशानी होती है। महेंद्र महतो लोगों की आय का मुख्य श्रोत भिंडी सब्जी की खेती है। भिंडी खेती करने से किसानों को पूंजी से काफी अधिक आमदनी होती है लेकिन कभी-कभी प्राकृतिक मार से घाटा भी उठाना पड़ता है। अरविंद महतो भिंडी सब्जी का उत्पादन काफी अधिक मात्रा में होता है। बीज, उर्वरक सहित प्रशिक्षण नहीं मिलने से प्रखंड स्तरीय बाजार उपलब्ध नहीं होने से किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। आर्थिक रूप से क्षति होती है। मिथलेश पासवान सब्जी की खेती सहित अन्य पारंपरिक खेती भी करते हैं। साथ ही कभी-कभी बाजार में मंदी रहने से सब्जी और फसल को कम दाम पर बेचने को विवश होना पड़ता है। इससे काफी नुकसान होता है। दिलीप प्रजापत पहले पारंपरिक खेती करते थे लेकिन अब आधुनिक तरीके व आधुनिक यंत्रों के सहारे खेती कर रहे हैं। आधुनिक ढंग से भिंडी की खेती करने में किसानों को काफी लाभ मिलता है। किशोरी बैठा

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