Global Tender Process Leaves 90 Contractors Unemployed in District ग्लोबल टेंडर से 90% छोटे ठेकेदार संकट में , गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित, Bagaha Hindi News - Hindustan
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ग्लोबल टेंडर से 90% छोटे ठेकेदार संकट में , गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित

ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया के कारण जिले के 90 फीसदी ठेकेदार बेरोजगार हो गए हैं। केवल 10 फीसदी क्लास-1 ठेकेदारों को ही निविदा में भाग लेने का अवसर मिल रहा है, जबकि अन्य श्रेणी के ठेकेदार काम नहीं पा रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाThu, 22 May 2025 10:52 PM
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ग्लोबल टेंडर से 90% छोटे ठेकेदार संकट में , गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित

 

ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया से जिले के 90 फीसदी ठेकेदार बेरोजगार हो गए हैं। मात्र 10 फीसदी क्लास -1 के ठेकेदारों को निविदा में भाग लेने का मौका मिल रहा है। हालात यह है कि क्लास-2, क्लास -3 और क्लास-4 के ठेकेदारों को काम नहीं मिल पा रहा है। इससे निर्माण कार्य में प्रयोग करने के लिए लोन लियेे ट्रैक्टर, हाइवा, जेसीबी, रोलर की ईएमआई समय से बैंकों में जमा नहीं हो पा रही है। इससे अधिकांश के खाते एनपीए में चला गया है। इनके पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं हैं। विजय कुमार तिवारी, विवेक मल्हान, शैलेश रंजन, राकेश कुमार, राजू कुमार सिंह, सूरज कुशवाहा ने बताया कि सरकार क्लास-1 ठेकेदारों के रजिस्ट्रेशन में दो लाख रुपये की सिक्योरिटी मनी जमा कराती है।

इस पर 3.50 करोड़ से ज्यादा की निविदा में भाग लिया जा सकता है। ऐसे ठेकेदारों की संख्या जिले में लगभग 20 ही है। क्लास-2 के रजिस्ट्रेशन में एक लाख रुपए की सिक्योरिटी जमा करनी होती है। इस पर 70 लाख से अधिक और 3.50 करोड़ तक की निविदा में भाग लिया जा सकता है। इनकी संख्या जिले में लगभग दो सौ के करीब है। जबकि क्लास-3 के रजिस्ट्रेशन में 25 हजार रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करानी होती है। इनकी संख्या जिले में लगभग पांच सौ है। वहीं क्लास-4 में दो हजार रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करनी होती है। जिनको अपने ही जिले में ठेका दिए जाने का प्रावधान है। इनकी संख्या जिले में लगभग एक हजार है। लेकिन पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग, जल संसाधन विभाग, भवन निर्माण विभाग, पीएचइडी, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम समेत सभी निर्माण एजेंसियों द्वारा 3.50 करोड़ से ज्यादा की निविदा निकाली जा रही है। जिससे 90 फीसदी ठेकेदार भाग नहीं ले सकते हैं। कई योजनाओं को मिलाकर ग्लोबल टेंडर विभाग की ओर से निकाला जा रहा है। ऐसा करने से निर्माण कार्यों के गुणवत्ता में भी कमी आई है। साथ ही एक से अधिक सड़कों को जोड़कर ग्लोबल टेंडर निकालने से निर्माण कार्य समय से पूरा नहीं हो रहा है। इससे एक तरफ सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी बढ़ रही है। जबकि सरकार ने ठेका प्रथा में छोटे ठेकेदारों को शामिल करने के लिए क्लास 4 तक के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की। लेकिन उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों और राजनेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया हाल के दिनों से शुरू की गई है। इसके कारण निविदा की प्रक्रिया कार्यपालक अभियंता, अधीक्षण अभियंता के हाथों से निकलकर मुख्य अभियंता और अभियंता प्रमुख तक पहुंच गई है। इसका नतीजा है कि सही कागजात रखने वाले ठेकेदारों को निविदा से अलग कर दिया जा रहा है। 80 फीसदी क्लास-1 के ठेकेदारों को गलत कागजात के आधार पर ठेका दे दी जा रही है। पहले छोटी-छोटी निविदा निकाली जाती थी। इससे अधिक ठेकेदारों को ठेका मिलता था। ग्लोबल टेंडर होने से अधिकांश विभागों में दूसरे जिले के ठेकेदारों को ठेका मिल रहा है। बीते कई महीनों से काम नहीं मिलने से ठेेकेदारों पर संकट आ गया है। 

प्रस्तुति -श्रीकांत तिवारी/शत्रुघ्न शर्मा 

छोटे ठेकेदारों से ज्यादा लोगों को मिलता है रोजगार

 छोटे ठेकेदारों द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 से लेकर 20 लोगों को रोजगार मिलता था। ग्लोबल टेंडर होने से जिले के कई कामगार पलायन करने को मजबूर है। क्लास 2 और क्लास 3 स्टैंडर्ड की निविदा निकलने से एक-एक निविदा पर 10 से 15 ठेकेदार भाग लेते थे। जिससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती थी। अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलता था। सभी श्रेणी के ठेकेदारों को 5 वर्षों में रिन्यूअल भी कराना पड़ता है। आज हालात यह है कि रिन्यूअल कराने के लिए अधिकांश ठेकेदारों के पास पैसे नहीं है। पहले कार्य के हिसाब से ठेकेदारों का श्रेणीवार रजिस्ट्रेशन होता था। कार्य के आधार पर क्लास 3 से क्लास 2 का रजिस्ट्रेशन मिलता था। क्लास 2 से क्लास वन का रजिस्ट्रेशन मिलता था। लेकिन आज नये लोगों को भी क्लास वन का रजिस्ट्रेशन सिक्योरिटी मनी जमा करने के बाद निर्गत कर रही है। लेकिन उनको ठेका नहीं मिल रहा है। क्योंकि उनके पास अनुभव का अभाव है। सरकार केवल रजिस्ट्रेशन बांटने का कार्य कर रही है। मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सरकार कई योजनाएं संचालित कर रही है। लेकिन ठेकेदारी प्रथा में छोटे ठेकेदारों को दरकिनार किये जाने से समस्या बढ़ते जा रही है। इससे जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कुशल मजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को विवश हैं। छोटेे-छोटे ठेकेदारों से कई मजदूरों को रोजगार मिलता है।

 निर्माण विभागों में टेंडर मैनेज करने का आरोप, काम मिलने में हो रही दिक्कत

 सुनील कुमार, राजू कुमार सिंह, विजय कुमार आदि ने बताया कि जिले के सभी विभागों में टेंडर मैनेज किया जा रहा है। सबसे ज्यादा टेंडर मैनेज का खेल ग्रामीण कार्य विभाग में है। जिले में टेंडर मैनेज करने में चार से ज्यादा सिंडिकेट सक्रिय हैं। इसमें सभी सफेदपोश शामिल हैं। कमजोर ठेकेदारों को डरा धमकाकर अपने-अपने चहेतों को निविदा की 10 फीसदी राशि अवैध ढंग से वसूल कर ठेका दिलाया जा रहा है। यही कारण है कि कुछ खास लोगों को ही जिले में ठेका मिल रहा है। ठेकेदारों का आरोप है कि सबसे ज्यादा टेंडर मैनेज का खेल बगहा-1 और बगहा 2 डिवीजन में चल रहा है। यदि कोई भी ठेकेदार सिंडिकेट के विरोध में उतरता है तो उसे तरह-तरह की धमकी दी जाती है। सड़क निर्माण कार्य की जांच कराने की धमकी दी जाती है। इसके कारण कमजोर ठेकेदार इससे मुख मोड़ रहे हैं। 50 फीसदी से ज्यादा ठेकेदार अपने परिवार के भरण पोषण के लिए ठेका प्रथा से अलग होकर दूसरा रोजगार तलाश रहे हैं। एक को क्षमता से अधिक ठेका मिलने से पश्चिम चंपारण जिले में निर्माण कार्यों के गुणवत्ता पर सवाल उठ रहा है। साथ ही काम के दबाव की वजह से कोई भी काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। साथ ही काम के गुणवत्ता पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। 10 किलोमीटर में बनी सड़क मात्र तीन दिनों में ही टूटने लगी थी। जिसकी जांच फाइलों में दबी हुई है। हालांकि विभाग ने संबंधित कार्यपालक अभियंता का ट्रांसफर कर दिया। कई जनप्रतिनिधियों ने टेंडर मैनेज के खेल का मुखर होकर विरोध भी किया है। लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। 

प्राक्कलन के अनुरूप निर्माण कार्यों को पूरा कराया जाता है। इसकी लगातार मॉनिटरिंग होती है। निर्माण कार्य में लगे सामान के गुणवत्ता की जांच होती है। समय से निर्माण कार्य पूरा नहीं होने पर संवेदकों पर कार्रवाई होती है। समय-समय पर इसकी जांच की जाती है। विभाग द्वारा निर्धारित शर्तों के आधार पर ठेका फाइनल किया जाता है। 

-ई. वीरेंद्र कुमार चौधरी, कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण

मुख्यमंत्री ग्राम सड़क संपर्क योजना के तहत सभी बारहमासी सड़कों को छुटे टोलों से जोड़ा जा रहा है। सभी ग्रामीण सड़कों को हाईटेक बनाया जा रहा है। जिले में ग्रामीण सड़कों की जाल बिछाने की योजना पर काम किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक ठेकेदारों को रोजगार मिल सकें। विभाग के दिशा निर्देश के अनुसार ठेकेदारों को ठेका दिया जाता है।

 -संजय कुमार,सहायक अभियंता,ग्रामीण कार्य विभाग 

सुझाव 

1. ठेकेदारों के हितों को देखते हुए ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया समाप्त किया जाना चाहिए ताकि अधिक ठेकेदारों को ठेका मिल सकें। 

2. कार्य अनुभव के बाद सभी विभागों में सरकार निबंधन प्रक्रिया जारी करें। सिक्योरिटी मनी सिस्टम खत्म होना चाहिए। 

3. छोटी-छोटी निविदा निकाले जाने से सरकार को राजस्व मिलेगा। साथ ही अधिक से अधिक ठेकेदारों को रोजगार मिलेगा।

 4. टेंडर मैनेज किये जाने की प्रक्रिया बंद होनी चाहिए। साथ ही इसमें दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

 5. फर्जी कागजात के आधार पर ठेका लेने वाले पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। सड़क की अलग-अलग निविदा जारी हो।

शिकायतें 

1. टेंडर मैनेज के खेल में जिले में कई सिंडिकेट शामिल हैं। टेंडर मैनेज का खेल हर हाल में बंद होना चाहिए। 

2. ग्लोबल टेंडर से गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सरकार को राजस्व की क्षति व समय से निर्माण पूरा नहीं हो रहा है। 

3. छोटे ठेकेदारों के संसाधनों का उपयोग नहीं हो रहा है। समय से बैंकों की ईएमआई जमा नहीं हो पा रहा है। 

4. गलत कागजात के आधार पर बड़े-बड़े टेंडर दिये जा रहे हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। 

5. ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया से 90 फीसदी छोटे ठेकेदारों को काम मिलना बंद हो गया है।

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