कला विषयों में शिक्षकों की कमी से छात्रों को पढ़ाई में आ रही परेशानी
बेतिया शहर में कला संकाय से संबंधित प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए संस्थानों की कमी है। छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे उनकी तैयारी प्रभावित हो रही है। स्थानीय कॉलेजों...
बेतिया शहर के कई गली-मोहल्ले में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले संस्थान खुल चुके हैं। इनमें से अधिकांश विज्ञान संकाय से जुड़े प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले संस्थान हैं। ऐसे में आर्ट्स विषय से राज्य व केंद्र स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हजारों छात्र-छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विगत 10 साल का आंकड़ा देखा जाए तो जिले के कई छात्र-छात्राओं ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी आर्ट्स विषय से पास कर जिले का नाम रोशन किया है। दुर्भाग्य इस बात का है कि अभी भी जिला मुख्यालय बेतिया शहर में आर्ट्स विषय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले शैक्षणिक संस्थान, स्थानीय कोचिंग, संस्थान, देश स्तरीय ब्रांडेड कोचिंग संस्थाओं की नितांत कमी है।
इस परिस्थिति में अभी भी बेतिया शहर के हजारों छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन ही संघ लोक सेवा आयोग सहित बीपीएससी अथवा अन्य राज्यों की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने की मजबूरी बनी हुई है। उदय कुमार, अजेश कुमार, सुजीत कुमार, आरव कुमार, रविरंजन आदि ने बताया कि बेतिया शहर में भी अगर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा तथा अन्य प्रतियोगिता परीक्षा की आर्ट्स विषय से तैयारी करने की ऑफलाइन सुविधा मिल जाए तो बेहतर होगा। ऐसी सुविधा मिल जाने से हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य संवर जाएगा। यह भी बताया कि साइंस विषय से नीट अथवा आईआईटी की तैयारी कराने वाले शिक्षक ही संघ लोक सेवा आयोग तथा अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवाते हैं, लेकिन अभी भी बेतिया शहर में आर्ट्स विषय के शिक्षकों की कमी है जो देशस्तरीय अथवा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करवा सकें। इस स्थिति में छात्र-छात्राओं को पटना सहित बड़े-बड़े शहरों में जाकर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने की मजबूरी विगत कई वर्षों से बनी हुई है। अभी भी बेतिया के कई डिग्री कॉलेज में आर्ट्स विषय के शिक्षक या प्रोफेसर नहीं हैं। इन शिक्षकों का पद कई वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है। अव्वल तो यह है कि इन शैक्षणिक संस्थानों में भी धड़ल्ले से नामांकन लिया जाता है। ऐसे में प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं होने के कारण सेल्फ स्टडी से ही बच्चे स्नातक की डिग्री ले रहे हैं और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे हैं। शिक्षकों द्वारा विषय संबंधी सहयोग नहीं मिलने के कारण प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हजारों छात्र-छात्राओं के ज्ञान का स्तर नहीं बढ़ रहा। इस कारण कई बार परीक्षाओं में शामिल होने के बाद भी यहां के छात्रों का चयन नहीं हो पाता। छात्र-छात्राओं ने बताया कि डिग्री कॉलेज में जिन विषयों के शिक्षक नहीं है वहां शिक्षा विभाग द्वारा अविलंब शिक्षकों अथवा प्रोफेसर की नियुक्ति कर देनी चाहिए। ताकि पढ़ाई बाधित नहीं हो। मजबूर होकर छात्र-छात्राओं को बाहर से स्टडी मेटेरियल मंगा कर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करनी पड़ रही है। कुल मिलाकर कला संकाय के किसी विषय से प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं का भविष्य बेतिया में फिलहाल अंधकारमय बना हुआ है।
प्रस्तुति: मनोज कुमार राव
ऑनलाइन कक्षा करने में मोटी रकम खर्च पर कारगर नहीं
छात्रों का कहना है कि बेतिया शहर में संघ लोक सेवा आयोग व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को मोटी फीस भरकर ऑनलाइन क्लास करनी पड़ रही है। बार-बार शिक्षक से प्रश्न पूछने और उत्तर पाने का अवसर भी उन्हें ऑनलाइन कक्षा में नहीं मिल पाता। इससे उनकी तैयारी बेहतर तरीके से नहीं हो पाती। शिक्षा विभाग द्वारा इस मामले में प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राओं की बेहतर तैयारी के लिए कारगर योजना बनानी चाहिए, ताकि प्रतिभावान और मेधावी छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में होने से बच सके। स्थानीय स्तर पर इसके लिए व्यवस्था की जानी चाहिए।
स्वाध्याय से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में दिक्कत
छात्रों का कहना है कि बेतिया के सभी डिग्री कॉलेज में कला संकाय के शिक्षकों की कमी को जल्द पूरा किया जाना चाहिए। इससे विषय वार नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षकों अथवा प्रोफेसर द्वारा सही दिशा में तैयारी कराई जा सकेगी। शिक्षकों के नहीं रहने पर भी छात्र सेल्फ स्टडी कर लेते हैं। लेकिन इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में दिक्कतें होती हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं में जितना महत्व साइंस विषय का है उसी अनुपात में कला संकाय से जुड़े विषयों का भी महत्व होता है। इसलिए जो छात्र कला संकाय के विषय से तैयारी कर रहे हैं उनको भी स्नातक के दौरान शिक्षकों के माध्यम से विषय वार कांसेप्ट क्लियर होना आवश्यक है। ऐसा करने से ही विषय वार बेहतर जानकारी मिलेगी और छात्र योग्यता के अनुरूप प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर पाएंगे। कला संकाय के छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के विषयों की तैयारी अक्सर सेल्फ स्टडी से ही करनी पड़ रही है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि उन्हें महंगी फीस भरकर ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ती है। कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति होने पर मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, इतिहास, भूगोल राजनीतिक शास्त्र आदि कला संकाय के विषयों की बेहतर तैयारी कर पाएंगे। शिक्षा विभाग को इस मामले में गंभीरता से विचार करते हुए रिक्त पदों पर शिक्षकों अथवा प्रोफेसर की बहाली करनी चाहिए। छात्रों के लिए सरकारी स्तर पर आर्ट्स के विषयों की तैयारी की व्यवस्था की जाय।
शिक्षकों के रिक्त पड़े पद पर नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय के वरीय अधिकारियों को कई बार पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है। यहां से कई बार रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। शिक्षकों के नहीं होने से कई विषयों के लिए नामांकित विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आदेश मिलने के अनुरूप कार्य किया जाएगा।
-डॉ आर चौधरी, प्रिंसिपल एमजेके कॉलेज
सुझाव
1. डिग्री कॉलेज में कला संकाय के शिक्षकों की तुरंत नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि छात्रों को सुविधा हो सके।
2. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए सरकारी स्तर पर शिक्षण संस्थान खोले जाने चाहिए।
3. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करनेवाली छात्राओं को विशेष सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि बेहतर तरीके से पढ़ सकें।
4. कॉलेज में पढ़ाते समय शिक्षकों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी छात्र-छात्राओं को तैयार करना चाहिए।
5. जिन शिक्षण संस्थानों में प्रोफेसर के पद रिक्त पड़े हैं वहां अविलंब बहाली होनी चाहिए। इससे छात्रों को लाभ होगा।
शिकायतें
1. आर्ट्स विषय से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करवाने वाले शिक्षकों की कमी है। इससे छात्रों को परेशानी होती है।
2. कई डिग्री कॉलेज में अभी तक कला संकाय के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है।
3. प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को सेल्फ स्टडी पर ही आश्रित रहना पड़ रहा है।
4. स्नातक की डिग्री लेने वाले भी ऑनलाइन माध्यम से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
5. ऑफलाइन माध्यम से तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों की नितांत कमी है। इसकी फीस भी अधिक होती है।
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