Ban on Plastic and Polyethylene Ignored in Banka District Health Risks Increasing जिले में लोगों की सेहत व पर्यावरण पर बढ रहा प्लास्टिक का दखल, Banka Hindi News - Hindustan
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जिले में लोगों की सेहत व पर्यावरण पर बढ रहा प्लास्टिक का दखल

पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड हिन्दुस्तान विशेष पाबंदी के बाद भी जिले में खुलेआम हो रहा प्लास्टिक का उपयोग माइक्रो व नैनो प्लास्टिक के

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाWed, 9 April 2025 05:27 AM
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जिले में लोगों की सेहत व पर्यावरण पर बढ रहा प्लास्टिक का दखल

बांका, निज प्रतिनिधि। जिले में पाबंदी के बावजूद पॉलीथीन एवं वन टाइम यूज प्लास्टिक का उपयोग खुलेआम हो रहा है। जिस पर प्रशासन का भी नियंत्रण नहीं है। यहां लोगों की सेहत व पर्यावरण पर पॉलीथीन व प्लास्टिक का दखल बढ रहा है। क्षेत्र में सब्जियों से लेकर बिस्किट, सूखे मेवे, नमकीन मिठाईयां व अन्य खाद्य पदार्थ पॉलीथीन और प्लास्टिक में पैकिंग कर बेची जा रही है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्लास्टिक जीवन चक्र के हर चरण (उत्पादन, इस्तेमाल, रिसाइकिल व डिस्पोजेबल) में मानव की सेहत के लिए खतरा बन रहा है। जो विश्व मंच पर भी चिंता का विषय बना हुआ है। पर्यावरण विद प्रवीण प्रणव ने बताया कि मई 2024 में जेनेवा में हुई वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में प्लास्टिक के मानव सेहत पर बढते खतरे पर विस्तृत चर्चा की गई। जिसमे कहा गया कि हर व्यक्ति प्रति सप्ताह औसतन 5 ग्राम प्लास्टिक निगल रहा है। पॉलीथीन व प्लास्टिक बनाने में कई तरह के रासायनों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें अधिकांश रासायन लोगों की सेहत और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इन रासायनों से बांझपन, मोटापा, मधुमेह, कैंसर, थॉयराइड, फेफडे खराब होना, मस्तिष्क को प्रभावित करने जैसी समस्याओं का जोखिम बढ रहा है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के कुछ प्रकारों में बिस्फेनॉल-ए नामक रसायन को इस्तेमाल हो रहा है, जो भोजन व पानी के साथ रिस कर शरीर में पहुंच रहा है। जिसे कैंसर की वजह माना जा रहा है। प्लास्टिक के कण जिसका आकार पांच मिलीमीटर से लेकर एक माइक्रोमीटर तक होता है, उसे माइक्रो प्लास्टिक कहा जाता है। जो हवा, पानी, मिट्टी हर जगह होते हैं। ये नॉन बायोडिग्रेडेबल होते हैं। जिससे उसे डिकंपोज्ड नहीं किया जा सकता है। जो वातावरण को प्रदूषित कर रहा है। इसके अलावे जो कण एक माइक्रोमीटर से भी छोटे होते हैं, उसे नैनोप्लास्टिक कहा जाता है। ये कण आंत व फेफडों से होते हुए रक्त प्रवाह में प्रवेश करने में सक्षम हैं। जहां से वे हृदय की मांसपेशियों व अन्य अंगों में जा सकते हैं। पर्यावरणविद् प्रवीण कुमार प्रणव ने कहा कि पॉलीथीन पर्यावरण को भी दूषित कर रहा है। जिससे प्रदूषित हवा में सांस लेने से प्लास्टिक के सूक्ष्म कण फेफडों और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। जिले में करीब 90 फीसदी पॉलीथीन व प्लास्टिक के कचरे का रिसाइकिलिंग नहीं कर उसे लैंडफिल में डला जा रहा है, जलाया जा रहा है या फिर पर्यावरण में फेंका जा रहा है। जो लोगों की सेहत के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है। जिले में कचरा प्रबंधन के लिए पंचायत स्तर पर कचरा प्रसंस्करण यूनिट स्थापित किये गये हैं। लेकिन कचरा प्रसंस्करण यूनिट में पॉलीथीन व प्लास्टिक के कचरों का प्रबंधन नहीं हो रहा है। ऐसे में यहां पॉलीथीन व प्लास्टिक कचरों का बोझ बढता जा रहा है। जो मानव, पशु व पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। बांका नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी सुमित्रा नंदन ने कहा कि सरकार की ओर से पॉलीथीन व वन टाइम यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इसको लेकर शहर में माइकिंग करा कर लोगों को जाकरूक करने के साथ ही दुकानदारों को इसकी बिक्री व इसका इस्तेमाल नहीं करने की चेतावनी दी जा रही है। अब शहर में अभियान चलाकर पॉलीथीन का उपयोग करने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

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