Tragic Accident in Kumarbhaag Village Claims Three Lives During Wedding Return एक साथ तीन लोगों की गांव से उठी अर्थी, पूरा गांव गमगीन, Banka Hindi News - Hindustan
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एक साथ तीन लोगों की गांव से उठी अर्थी, पूरा गांव गमगीन

फॉलोअपफॉलोअप महिलाओं और बच्चों के चित्कार से गूंजा बौसी का कुमरभाग सोमवार को बारात से लौटते वक्त करंट की चपेट में आ

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाWed, 14 May 2025 03:45 AM
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एक साथ तीन लोगों की गांव से उठी अर्थी, पूरा गांव गमगीन

बौंसी(बांका), निज संवददाता। बौंसी प्रखंड के कुमरभाग गांव में जब एक साथ तीन लोगों का शव उठने लगा तो लोगों की आंखे नम हो गयी। दो मृतकों की अर्थी तो एक ही टोले से जबकि तीसरे की अर्थी पास के तेलियाकुरा में उठा, तो इस हृदय विदारक दृश्य को देख हर कोई का दिल दहल उठा। चारों तरफ महिलाओं और बच्चों के चित्कार की आवाजें आ रही थी। छोटे छोटे बच्चे अपने पिता के षव को देखकर विलाप कर रहे थे। रविवार रात बौंसी थाना क्षेत्र के कुमारभाग गांव से भैरो सिंह के पुत्र शंकर सिंह की बारात जयपुर थाना क्षेत्र के कोल्हासार पंचायत के कालाडंडा गांव गई थी।

सोमवार सुबह करीब 30 बाराती बस से वापस कुमारभाग गांव लौट रहे थे, तभी बाराकोला गांव के समीप सड़क के ऊपर से गुजरे 11 हजार वोल्ट के बिजली तार बस की छत से सट गई। बस में करंट फैल गया, जिससे अफरा-तफरी मच गई। हादसे में संतोष कुमार एवं विजय पहाड़िया की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। जबकि दिलीप सिंह की मौत मायागंज में इलाज के दौरान हो गई। जख्मी 19 बारातियों का ईलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। इस हादसे के बाद सोमवार को देर शाम तीनों का शव गांव पहुंचा तथा मंगलवार की सुबह तीनों की अर्थी उठाई गई। गांव में पूरी तरह से मातम पसर गया है। गांव के लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना उनके गांव के लोगों के साथ हो गयी। पल भर में तीन जिंदगियां उजड़ गयी। गांव में लोग उस हादसे को याद कर सहम जाते हैं। उस बारात में शामिल बच्चों के चेहरे पर खौफ अबतक देखा जा रहा है। हादसे के बाद बचे हुए लोग भगवान से शुक्रिया कर रहे हैं कि वह वाल वाल बच गये। 15 दिन पूर्व हुई थी दिलीप की शादी, अब उठी अर्थी: बौसी, निज संवाददाता। कुमरभाग गांव में स्व बासुदेव सिंह के घर उसके जवान बेटे की दिलीप सिंह( 30) की मौत से पूरा परिवार दहल गया है। सबसे बड़ी त्रासदी तो यह है कि 25 अप्रैल को ही उसका विवाह झारखंड के गिरीडीह में दिव्या कुमारी के साथ हुआ था। दिव्या के हांथों की मेंहदी का रंग अबतक मिटा भी नहीं था कि उपरवाले ने उससे उसका सुहाग छिन लिया। पत्नी दहाडें मारकर रोए जा रही थी। उसे क्या पता कि अब इस दुनिया में उसका पति नहीं रहा। पूरी जिंदगी जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था जो उसे छोड़कर चला गया। 65 वर्षीया मां पर तो मानो विपत्ति का पहाड़ ही टूट पड़ा है। पहले पति की मौत हुई अब जवान बेटे की मौत से मां की आंखें पथरा गयी है। सुनी आंखों से आंसु गिर नहीं रहे हैं। कल तो उम्मीद था कि बेटा जख्मी है इलाज चल रहा है भगवान उसे बचा लेगा लेकिन अब उसकी मौत की खबर आयी। तीन भाईयों में दिलीप सबसे छोटा था जो मेहनत मजदूरी करता था। बड़ा भाई मनोज एवं मंझला नंदकिशोर है। अब पत्नी के सामने पूरा जीवन अंधकारमय हो गया है। उसे क्या पता कि प्रकृति उसके साथ ऐसा खिलवाड़ करेगा। गांव के लोग उस परिवार को सांत्वना दे रहे थे।

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