दो मासूम संग महिला की मौत से दहला बिहायी गांव, परिजनों ने लगाया दहेज प्रताड़ना का आरोप
साइड स्टोरीसाइड स्टोरी चान्दन ( बांका )। निज प्रतिनिधि चान्दन थाना क्षेत्र के बिहायी गांव में बुधवार की सुबह महिला सुजीता देवी ने अपने मासूम बेटे शि

चान्दन (बांका), निज प्रतिनिधि। चान्दन थाना क्षेत्र के बिहायी गांव में बुधवार की सुबह महिला सुजीता देवी ने अपने मासूम बेटे शिवम और डेढ़ वर्षीय बेटी भवानी के साथ गांव स्थित बहियार के एक कुएं में छलांग लगाकर जीवनलीला समाप्त कर ली। यह त्रासद घटना पूरे इलाके को स्तब्ध कर गई है। घटना की जानकारी सबसे पहले मृतका के पति चन्दन यादव ने उसके मायकेवालों को फोन कर दी। सूचना मिलते ही मृतका के पिता कुलदीप यादव, मां सुभद्रा देवी, भाई पलटू यादव, लालमणि यादव, सुन्दर यादव, भाभी गानी देवी, ममता देवी, बहन रीता देवी, भतीजा निवास कुमार और भतीजी करिश्मा कुमारी ग्राम गादी धनवे, थाना चन्द्रमंडीह (जमुई) से बिहायी गांव पहुंचे।
पुलिस की उपस्थिति में जब कुएं से तीनों शवों को बाहर निकाला गया, तो पूरे माहौल में कोहराम मच गया। शवों को देखकर मां सुभद्रा देवी व परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे। मृतका की मां ने आरोप लगाया कि दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित की जा रही मेरी बेटी ने मजबूर होकर यह कदम उठाया। ससुराल वालों की हैवानियत ने दो मासूमों की भी जान ले ली। घटना को लेकर चान्दन पुलिस ने मृतका के पति चन्दन यादव सहित पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। मृतका के भाई सुरेन्द्र यादव ने घटना को 'पारिवारिक हिंसा की पराकाष्ठा' बताते हुए कहा, इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। हम बांका पुलिस अधीक्षक से मांग करते हैं कि दोषियों के विरुद्ध त्वरित ट्रायल कोर्ट में सुनवाई कर उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाई जाए, ताकि इस तरह की वीभत्स घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। परिजनों के सो जाने के बाद बच्चों संग सुजीता निकली घर से : एक मां की बेबसी और दो मासूमों की खामोश विदाई यह कोई कहानी नहीं, चान्दन के बिहायी गांव की वो हकीकत है, जिसने इंसानियत को झकझोर दिया है। बुधवार की रात सुजीता देवी ने जो किया, वो सिर्फ एक आत्मघाती कदम नहीं था वो एक सुनामी थी मां के हृदय की, जो अपने साथ दो फूल-से मासूमों को भी बहा ले गई। 10 बजे रात का समय था। घर के सभी लोग खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सो गए थे। कोई नहीं जानता था कि एक मां अपने भीतर कितना तूफान छुपाए बैठी थी। सुजीता ने पहले अपने बेटे शिवम को गोद में उठाया, फिर बेटी भवानी को सहलाया, और फिर तीनों ने उस निर्जन कुएं की ओर रुख किया जहां से अब केवल उनकी लाशें ही लौटीं। गांव के गोतिया दिनेश यादव बताते हैं,पता चला कि खाना खा कर वो घर में ही थी। रात को घर के सब लोग सो गए। फिर चुपचाप बच्चों को लेकर कुएं की ओर निकल गई यह बात सोचकर आज भी रूह कांप जाती है। घटना की खबर जैसे ही गांव में फैली, आसपास के चान्दन बाजार, सिलजोरी, भनरा जैसे गांवों से सैकड़ों की संख्या में लोग बिहायी गांव उमड़ पड़े। हर चेहरा हैरान, हर आंख नम, हर जुबान पर एक ही सवाल क्या कोई मां इतनी मजबूर हो सकती है। ग्रामीण पंचानंद यादव ने कहा, क्या कसूर था उन मासूमों का। क्या यही सपना था सुजीता का जब उसकी डोली ससुराल आई थी।मृतका की मां सुभद्रा देवी और पिता कुलदीप यादव बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। मां की चीखें अब भी गांव के बांस-बेरों में गूंज रही हैं। परिजनों ने पुलिस के सामने दामाद चन्दन यादव समेत पांच लोगों पर दहेज प्रताड़ना और मानसिक अत्याचार का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है। मृतका के भाई सुरेन्द्र यादव का कहना है यह कोई पहली घटना नहीं है लेकिन हर बार ऐसा लगता है जैसे आखिरी हो। कब तक बेटियां जलती रहेंगी? कब तक समाज आंख मूंदे रहेगा। इस बार सिर्फ एक मां नहीं मरी दो नन्हे सपने भी साथ चले गए।
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