जिला अस्पताल में 30 वर्षों बाद भी जरूरी मेडिकल सुविधा नदारद
(पेज तीन की लीड खबर)(पेज तीन की लीड खबर) जिला अस्पताल में 30 वर्षों बाद भी जरूरी मेडिकल सुविधा नदारद डाक्टर, जीएनएम,

(पेज तीन की लीड खबर) जिला अस्पताल में 30 वर्षों बाद भी जरूरी मेडिकल सुविधा नदारद डाक्टर, जीएनएम, एएनएम, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, डे्रसर पद की 87 सीटों पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी नहीं हैं जिला अस्पताल में डॉक्टर व कर्मियों की कमी के कारण मरीजों को होती है परेशानी ड्रेसर की दोनों सीट रिक्त रहने से जैसे-तैसे दी जा रही है सेवा रिक्त, स्वीकृत व पदस्थापित डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मी पद स्वीकृत पद पदस्थापित रिक्त पद डाक्टर 58 28 30 जीएनएम 100 65 35 एएनएम 15 08 07 लैब टेक्निशियन 12 02 10 फार्मासिस्ट 08 03 05 ड्रेसर 02 00 00 भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि।
जिला अस्पताल का दर्जा मिलने के 30 वर्षों बाद भी जरूरी सुविधाएं नदारद हैं। इस अस्पताल में डाक्टर, जीएनएम, एएनएम, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, ड्रेसर की 87 सीटों पर काम करने वाला कोई नहीं है। डॉक्टर व कर्मियों की कमी के कारण मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती है। गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। सबसे अहम बात यह है कि जिला अस्पताल में ड्रेसर की दोनों सीटें रिक्त हैं। जिले में होने वाली दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को गंभीर अवस्था में यहां से रेफर किया जाता है। ड्रेसर के नहीं रहने से घायलों के घाव की ड्रेसिंग दूसरे कर्मियों से करानी पड़ती है। सदर अस्पताल को वीते वर्ष 1994 में जिला अस्पताल का दर्जा मिला था। तब घोषणा की गई थी कि इसमें मरीजों के लिए सुविधायुक्त वार्ड में 300 बेड स्थापित होंगे। लेकिन, अभी तक 150 बेड की ही सुविधा मुहैया कराई जा रही है। मतलब 150 बेड नदारद हैं। बात सिर्फ इतनी नहीं है। यहां डॉक्टर की 30, जीएनएम की 35, एएनएम की 7, लैब टेक्निशियन की 10, फामॉसिस्ट की 5 और ड्रेसर की दोनों सीटें रिक्त हैं। इतनी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी रहने से इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को कैसी सुविधाएं मिलती होंगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। डॉक्टर की कमी के कारण गंभीर मरीजों को इस अस्पताल से हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में सामान्य व विशेष चिकित्सा पदाधिकारी की 20 सीटें हैं। इनमें से सिर्फ 11 सीट पर ही डाक्टर कार्यरत हैं। यहां की एकमात्र स्वीकृत दंत चिकित्सक के सीट पर डॉक्टर सेवा दे रहे हैं, लेकिन आयुष चिकित्सक की चार सीटों में से एक सीट पर भी आयुष डॉक्टर कार्यरत नहीं हैं। जिला अस्पताल में नियमित लेडी डाक्टर की दो सीटों पर महिला चिकित्सक पदस्थापित हैं। मुंह, गला व कान के डाक्टर की छह सीटों में से एक पर डॉक्टर सेवा दे रहे हैं और पांच सीटें खाली पड़ी हैं। इस अस्पताल में नेत्र चिकित्सक की दोनों सीटों पर एक डॉक्टर कार्यरत हैं। लेकिन, दो की जगह एक हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नही है,जिसके कारण मरीजो को अधिक पैसा देकर बाजार की दुकानो पर करानी पड़ती है। 300 की जगह 150 बेड हैं जिला अस्पताल में भभुआ। सरकारी प्रावधान के अनुसार भभुआ के जिला अस्पताल में 300 बेड की सुविधा मरीजों को मिलनी चाहिए। लेकिन, इस अस्पताल में फिलहाल 150 बेड ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। यह बेड अस्पताल के विभिन्न कक्ष में हैं, जहां मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। जिला अस्पताल के ओपीडी काउंटर पर 185 तरह की दवाएं रहनी चाहिए। लेकिन, फिलहाल इस काउंटर से 155 तरह की दवाएं मरीजों में बांटी जा रही है। हि.प्र. सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, डायलिसिस की सुविधा भभुआ। जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए सीटी स्कैन व डिजिटल एक्स-रे की सेवा मुहैया कराई जा रही है। इस अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 40 मरीजों का सीटी स्कैन व 70 मरीजों का डिजिटल एक्स-रे किया जाता है। अस्पताल में डिजिटल एक्स-रे की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। जिला अस्पताल में किडनी मरीजों के लिए डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। इसलिए अब डायलिसिस के लिए मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ता है। हालांकि पूर्व में सीटी स्कैन, डायलिसिस व डिजिटल एक्स-रे की सुविधा जिला अस्पताल में नहीं रहने से मरीजों को दूसरी जगह इस सेवा का शुल्क देना पड़ता था। हि.प्र. कोट जिला अस्पताल सहित कैमूर के अन्य अस्पतालों में डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों को पदस्थापित करने के लिए सरकार को लिखा गया है। फिर भी जो संसाधन उपलब्ध हैं, उससे जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। डॉ. चंदेश्वरी रजक , सिविल सर्जन फोटो- 01जून भभुआ-03 कैप्शन- जिला अस्पताल के इमरजेंसी में रविवार को मरीज की मेडिकल जांच करते डाक्टर
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