तीखे तापमान से दहकी धरती, धूप से झुलसने लगा था बदन
कैमूर में गर्मी का सितम जारी है, जहाँ अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। लोग तपती दुपहरी में घरों से निकलने से बच रहे हैं। अस्पतालों में गर्मी जनित रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही...

आमजन दिखे बेदम, तपती दोपहरी में घरों व दफ्तरों से निकलने से बचते रहे लोग, दहक रही धरती को अब है वर्षा की जरूरत पसीना बहने से नमक व पानी की कमी से होने लग रही थी सुस्ती अस्पतालों में गर्मी जनित रोग से पीड़ित लोगों की बढ़ने लगी भीड़ 44 डिग्री रहा कैमूर का अधिकतम तापमान 28 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया 06 सौ मरीज औसतन रोजाना आ रहे सदर अस्पताल धीरे-धीरे बढ़ता रहा जिले का तामान समय तापमान 09 बजे 31 डिग्री 10 बजे 39 डिग्री 11 बजे 40 डिग्री 12 बजे 41 डिग्री 01 बजे 41 डिग्री 02 बजे 42 डिग्री 03 बजे 44 डिग्री कैमूर में संभावित तापमान की स्थित तारीख अधिकतम तापमान 8 जून 44 डिग्री 9 जून 44 डिग्री 10 जून 45 डिग्री 11 जून 43 डिग्री 12 जून 42 डिग्री 13 जून 41 डिग्री 14 जून 43 डिग्री (पेज तीन की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता।
कैमूर में रविवार को धूप व गर्मी का सितम चरम पर था। तापमान व तीखी धूप से धरती दहक रही थी। बदन झुलस रहा था। राहगीर बेदम दिख रहे थे। आलम यह रहा कि तपती दुपहरी में लोग अपने-अपने घरों से निकलने से बचते रहे। लेकिन, कुछ की मजबूरी (मजदूर) ही ऐसी है कि यदि धूप में जलेंगे नहीं तो घर के चूल्हे शांत पड़ जाएंगे। प्राय: ऐसे ही लोगों में से बहुतेरे लोग असावधानी बस लू व गर्मी की चपेट में आ जाते हैं। हालांकि मजदूरों ने भी काम करने का समय बदल दिया है। वह सुबह छह से 11 व शाम में तीन बजे से छह बजे तक काम कर रहे हैं। ऐसे मौसम में लाग बीमार होने लगे हैं। सदर अस्पताल में रविवार को भगवानपुर थाना क्षेत्र के नौगढ़ निवासी करीमन रात की 52 वर्षीया पत्नी निर्मला देवी को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। यह डायरिया से पीड़ित है। कैमूर में रविवार को अधिकतम तापमान 44 डिग्री रहा। लेकिन, न्यूनतम तापमान 29 डिग्री दर्ज किया गया। इस वजह से बदन दहक रहा था। कमरों की दीवार भी गर्म हो गई थी। हालांकि सोमवार को भी तापमान की स्थिति यही रहेगी। मौसम विभाग के पोर्टल के अनुसार, मंगवार को अधिकतम तापमान 45 डिग्री पहुंच सकता है। लेकिन, 11 जून को अधिकतम तापमान में 2 डिग्री की गिरावट आ सकती है। हालांकि 12 से 14 जून तक तापमान 41-43 डिग्री के बीच रहेगा। इन तीन दिनों तक बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. त्रिभुवन नारायण कहते हैं कि यदि थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो ऐसे मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है। लू को ही अंग्रेजी में हीट स्ट्रोक और सनस्ट्रोक कहा जाता है। शरीर से पसीना बहने से हमारे शरीर में उपस्थित तरल पदार्थ सूखने लगते हैं, जिससे पानी व नमक की कमी हो जाती है और लू लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है। डॉ. सचिन कुमार बताते हैं कि हीट स्ट्रोक या लू लगने से कई और मामूली बीमारियां जैसे कि हीट एडेमा मतलब शरीर का सूजना, हीट रैश, हीट क्रैम्प्स यानी शरीर में अकड़न और हीट साइनकॉप मतलब बेहोशी आदि भी हो सकती हैं। चिकित्सकीय भाषा में शरीर के तापमान को 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक रहने और शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जटिलताओं के आने को लू लगना कहते हैं, जिससे सिर में भारीपन मालूम होने लगता है। नाड़ी की गति बढ़ने लगती है। खून की गति भी तेज हो जाती है और सांस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। मौसम जनित रोग से पीड़ित हो रहे लोग सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि गर्मी बढ़ने से अस्पताल में 200 के आसपासत डायरिया, लू, सर्दी, बुखार, बदन दर्द से पीड़ित आ रहे हैं। मौसम जनित गंभीर बीमार लोगों के लिए हीट वेव वार्ड बनाया गया है। डायरिया व लू से बीमार मरीजों को ओआरएस, आईबी फ्लू, मेट्रोन, सीप्रो, आरएल, जींक टॉबलेट, एंटीबायोटिक, मेट्रोनिडाजोल आदि दवाएं दी जा रही हैं। वैसे तो जिले के अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों में बच्चे, युवा व वृद्ध मौसम जनित बीमारी से पीड़ित आ रहे हैं। लू लगने के लक्षण लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उलटी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस उपाय को भी अपनाएं विशेषज्ञों की राय में लू लगे व्यक्ति को नमक, शक्कर, पानी का घोल या ओआरएस का घोल पिलाएं। अधिकांश कपड़े उतार दं। चाहें तो गीली चादर में लपेटकर भी तापमान को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। हाथ-पैर की मालिश करें, जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है। बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन, बगलों और जांघों पर रखे। तरल पदार्थ का करें उपयोग तपिश में नींबू-पानी, आम का पन्ना, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, बेल या नींबू का शरबत, खस का शरबत पीएं। ढीले और सूती कपड़े पहननें। अचानक से गर्मी से आकर एसी कमरे में ना जाएं। हरी और ताजी सब्जियों का सेवन करें। लू लगने पर आम पकाकर व इमली के गुद्दे को हाथ-पैरों पर मलें। सिर पर ठंडी पट्टी रखें। चिकित्सक की देखरेख में इलाज करवाएं। कोट गर्मी के इस मौसम में रोजाना औसतन 600 मरीज स्वास्थ्य जांच व इलाज के लिए आ रहे हैं। इनमें से करीब 200 मरीज डायरिया, सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित रह रहे हैं। गर्मी मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। दवाएं पर्याप्त हैं। डॉ. विनोद कुमार सिंह, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल फोटो- 08 जून भभुआ- 7 कैप्शन- डायरिया से पीड़ित होने के बाद रविवार को सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए भर्ती महिला मरीज। (फोटो सिंगल)
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