जिले के 30% छात्र-छात्राओं को नहीं मिली किताबें
कैमूर में 237090 बच्चों को किताबें बांटी जानी थीं, लेकिन केवल 166427 बच्चों को ही पाठ्य पुस्तकें मिलीं। 70663 बच्चे किताबों के अभाव में गृह कार्य करने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। शिक्षकों ने...

कैमूर में 237090 बच्चों को बांटी जानी थी किताब, 166427 बच्चों को मिली पाठ्य पुस्तकें, 70663 बच्चे किताब से रह गए वंचित किताबों के अभाव में गृह कार्य करने में छात्रों को हो रही परेशानी विद्यालय में दूसरे छात्रों की किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं छात्र-छात्रा भभुआ, एक प्रतिनिधि। जिले के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले 30 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को अभी तक पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई जा सकी हैं। जबकि विद्यालयों में अप्रैल माह से ही पढ़ाई शुरू करा दी गई है। हालांकि शिक्षा विभाग ने मार्च माह में ही बच्चों में बांटने के लिए किताबें उपलब्ध करा दी थी।
लेकिन, स्कूलों में नामांकित 70 प्रतिशत बच्चों को ही किताब मिल सकी। क्योंकि विभाग से ही कम किताब आवंटित की गई थी। विद्यालय से बच्चों को गृह कार्य दिए जा रहे हैं। जिन बच्चों के पास किताब नहीं है, उन्हें इसे पूरा करने में दिक्कत हो रही है। विद्यालय में ऐसे छात्र अपने सहपाठी की किताबों के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं। पाठ्यक्रम का रिवाइज करने में बच्चों को परेशानी हो रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो कैमूर में नामांकित 237090 बच्चों के लिए किताब की मांग की गई थी। लेकिन, 166427 बच्चों को पाठ्य पुस्तकें मिल सकीं। मतलब 70663 बच्चे किताब से वंचित हैं। हालांकि इस मामले में शिक्षकों का एक प्रयोग कुछ हद तक कामयाब होता दिख रहा है। शिक्षकों ने पासआउट कर चुके छात्रों से उनकी पुरानी किताबें मंगाकर कुछ बच्चों में वितरण किया गया है, जिससे बच्चों की समस्या कुछ कम हुई है। हालांकि कुछ बच्चों की किताबों के कुछ पन्ने फट भी गए हैं। फिर भी उससे काम चलाया जा रहा है। क्या कहते हैं छात्र सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले मयंक कुमार, परमेश्वर दयाल, संयोगिता कुमारी, रामाशंकर प्रसाद, गणेश कुमार ने बताया कि छठी कक्षा में पढ़ने के बाद हमलोगों का नामांकन सातवीं कक्षा में हुआ है। अधिकतर बच्चों को किताबें मिली थीं। तब शिक्षकों द्वारा कहा गया था कि जिन बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं, उन्हें अगले सप्ताह तक मिल जाएंगी। लेकिन, डेढ़ महीने बाद भी किताबें नहीं मिल सकीं। आठवीं कक्षा के छात्र अंकुश कुमार, परमजीत सिंह, संतोष कुमार, मंटू प्रसाद ने बताया कि वर्ग शिक्षक द्वारा उन्हें पुरानी किताबें उपलब्ध कराई कई हैं। कुछ पन्ने फट गए हैं। लेकिन, काम चल रहा है। क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक प्रधानाध्यापक शिवकुमार गुप्ता व अरुण कुमार ने बताया कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग द्वारा मुफ्त किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। इस बार कुछ कम किताबें मिली हैं। बाजार में यह किताबें उपलब्ध नहीं है। किताब की कमी को देखते हुए छात्र आपस में समन्वय बनाकर एक-दूसरे की किताब से पढ़ाई कर रहे हैं। जब वह लोग सीआरसी में किताब लेने गए तो पता चला कि इस बार नामांकित छात्रों की संख्या का 70% ही किताब मिली है। सभी बच्चों को किताब नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। पासआउट हो चुके छात्रों से पुरानी किताबें मांगकर कुछ बच्चों को उपलब्ध कराई गई है। कोट जिले के विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या का 70% किताब मुख्यालय से उपलब्ध कराई गई थी, जिसका वितरण छात्र-छात्राओं में कर दिया गया है। शेष बच्चों के लिए किताब की मांग विभाग से की गई है। जैसे ही किताब उपलब्ध होगी, छात्र-छात्राओं के बीच वितरण करा दिया जाएगा। अशोक तिवारी, एआरपी, शिक्षा विभाग फोटो 26 मई भभुआ- 8 कैप्शन- भभुआ शहर के नगरपालिका मध्य विद्यालय में सोमवार को पढ़ाई करते बच्चे।
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