बोले मुंगेर: आर्सेनिकयुक्त पानी की समस्या हो दूर, बच्चों को मिले बेहतर शिक्षा
तारापुर दियारा के लोग आजादी के 75 साल बाद भी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यहाँ की 20 हजार की आबादी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, स्कूलों में सुविधाओं का अभाव,...
तारापुर दियारा के लोगों की परेशानी
प्रस्तुति : नवीन कुमार झा /अमरेंद्र कुमार
कहा जाता है कि भारत की आत्मा गांव में बसती है। इसके विकास को लेकर सरकार भी कई तरह की योजनाएं चला रही है। लेकिन मुंगेर जिला अंतर्गत सदर प्रखंड की तारापुर दियारा के लोग आजादी के 75 साल बाद भी यहां के ग्रामीण एक साथ कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। सबसे अहम बात तो यह है तारापुर दियारा की 20 हजार की आबादी अब भी खतरनाक आर्सेनिक पानी पीने को मजबूर हैं। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है। हर घर नल जल योजना के बाद भी यहां के लोगों को शुद्ध पेय जल नसीब नहीं हो पाया है। साफ सफाई, सड़क निर्माण, मच्छरों की समस्या जैसी कई गंभीर परेशानी यहां लोगों के समक्ष है। यहां तक की इस पंचायत के अंदर प्राय: सभी विद्यालयों में सुविधाओं का घोर अभाव है। इस कारण ग्रामीण अब भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। कहीं शिक्षकों की भरमार है तो वहां भवन का अभाव है। ऐसे में यह अंदाजा लगाने को काफी है कि तारापुर दियारा पंचायत के लोगों के समक्ष कितनी परेशानियां है। प्रशासन की अनदेखी के चलते लोगों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। हिन्दुस्तान टीम के साथ संवाद कार्यक्रम के दौरान तारापुर दीवानी टोला एवं फुलकिया के लोगों ने अपनी अपनी समस्याएं रखा।
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संवाद के दौरान तारापुर दियारा पंचायत के लोगों ने बताया कि आजादी के कई दशक बीत गए, लेकिन हम लोग अभी भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के तहत हर घर नल जल योजना में कनेक्शन तो दिया गया है, लेकिन जल मीनार में लगाए गए वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण यहां के ग्रामीण आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर है। आर्सेनिक युक्त पानी पीने के कारण कई लोगों की मौत गंभीर बीमारी से हो गई है। तथा अक्सर गांव के छोटे-छोटे बच्चे बीमार पड़ते रहते हैं।
बाढ़ प्रभावित तारापुर द्वारा पंचायत के विभिन्न विद्यालयों में सुविधाओं का घोर अभाव है। आश्चर्य की बात तो यह है कि फुलकिया में स्थित एक विद्यालय में महज चार कमरे में कक्षा एक से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई 22 शिक्षकों के द्वारा किया जाता है। दूसरी और पंचायत के अंदर स्वास्थ्य केंद्र नहीं रहने से किराए के मकान में स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया जाता है। सड़क की ऐसी स्थिति है कि बाढ़ के समय में आवागमन करना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार पंचायत के लोगों को आवागमन की भी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। बाढ़ के समय कटाव की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। जबकि समुचित मात्रा में सरकारी नाव उपलब्ध नहीं रहने के कारण ग्रामीणों में त्राहिमाम की स्थिति बनी रहती है। यहां तक की नाव उपलब्ध नहीं रहने के कारण पंचायत में कई बार दुर्घटनाएं भी हुई हैं, जिसमें लोगों को जान गंवानी पड़ी है। तो वहीं दूसरी ओर इस पंचायत में बेरोजगारी चरम पर है। रोजगार का साधन नहीं रहने के कारण यहां के मजदूर दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं तथा किसी प्रकार अपने बच्चों का .भरण पोषण करते हैं। पंचायत के अंदर पंचायत सरकार भवन के लिए जमीन भी अब तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। कई गांव में विभक्त तारापुर दियारा पंचायत गंगा नदी से सटे रहने के कारण यहां के लोगों को सालों भर छोटी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । बाढ़ के समय और बाढ़ के बाद क्षेत्र में दुर्गंध का माहौल बना रहता है, जिसके कारण कई तरह की बीमारियों का शिकार यहां के लोग हो जाते हैं। जिसमें आसैनिक एक बड़ी समस्या है। बावजूद स्थानीय प्रशासन समस्याओं के समाधान को लेकर कोई कारगर कदम उठाने की जरूरत नहीं समझते हैं। जो प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है। स्थानीय प्रशासन इन बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दे और इसका समाधान करें।
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शिकायत :
1 - बाढ़ के समय सरकारी नाव समुचित मात्रा में उपलब्ध नहीं रहने के कारण भोजन सहित कई तरह की परेशानियां होती है ।
2 -पूरा क्षेत्र आर्सेनिक प्रभावित होने के कारण यहां के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर है। कई लोग कैंसर से मर चुके हैं।
3 -सड़क की जर्जर अवस्था से बाढ़ के समय परेशानी होती है। बाढ़ के समय में सड़क ध्वस्त हो जाता है।
4 - बाढ़ के समय कटाव की समस्या उत्पन्न हो जाता है।
5 - पंचायत के अंदर बेरोजगारी की अधिक समस्या है। जिसके कारण लोग पलायन हो रहे हैं।
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सुझाव :
1 - बाढ़ के समय सरकारी नाव उपलब्ध होनी चाहिये । जिसके कारण लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचाने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े ।
2 -पंचायत के लोगों को आर्सेनिक पानी से मुक्ति दिलानी चाहिए। जिससे पंचायत के लोग स्वस्थ रह सके।
3 -सड़क को ऊंचा कर बनाया जाए। जिससे की बाढ़ के समय आवागमन में कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
4 - कटाव रोकने की ठोस व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे कि प्रतिवर्ष लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
5 - पंचायत के अंदर रोजगार की व्यवस्था हो, जिससे कि बेरोजगारों को रोजगार मिले और वह अन्य प्रदेश पलायन नहीं करें।
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इनकी भी सुनिये :
नल जल योजना भी सफल नहीं हो पा रहा है। हम लोग अब भी आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। इस पर प्रशासन विशेष ध्यान दे।
राजेश चौधरी
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शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग संवेदनशील नहीं है। विभाग को संवेदनशील होते हुए शुद्ध पेयजल उपलब्ध करानी चाहिए । जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं हो।
अजीत कुमार चौधरी
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हम लोग 1 किलोमीटर दूर ईंट भट्ठा से पानी लाकर अपना प्यास बुझाते हैं। नल जल योजना से निकलने वाली पानी में 110 प्रतिशत आर्सेनिक है। जिसके कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
संतोष चौधरी
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गंगा नदी से सटे रहने के कारण हम लोगों को सालों भर कुछ न कुछ परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। फिर भी जिला प्रशासन की ओर इन समस्याओं के समाधान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता है।
फूल कुमारी
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पंचायत के अंदर किसी भी स्कूलों में बेहतर सुविधा नहीं है, जिसके कारण हम लोगों के बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रहा है। इस ओर जिला प्रशासन को अविलंब ध्यान देना चाहिए।
रंजू देवी
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जिला प्रशासन को बुनियादी समस्याओं के समाधान को लेकर आवश्यक कदम उठाना चाहिए। जिससे कि विकास के मामले में अत्यंत पिछड़ा क्षेत्र तारापुर दियारा का विकास हो सके।
जीरा कुमारी
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बाढ़ आने से पहले पंचायत के अंदर जर्जर सड़कों की मरम्मत अविलंब कराने की जरूरत है। सड़कों की मरम्मत के साथ ही उसकी ऊंचाई को भी बढ़ाना चाहिए , जिससे की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े ।
परमवीर चौधरी
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जितना जल्द हो सके यहां के लोगों के शुद्ध पेय जल की व्यवस्था की जाए। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को आम लोगों के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिये वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को चालू कराया जाना आवश्यक है।
बमबम कुमार चौधरी
पूर्व मुखिया
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पंचायत के अंदर विभिन्न विद्यालयों में बच्चों की संख्या को देखते हुए भवन निर्माणअ विलंब कराया जाए। जिससे कि विद्यालयों में शिक्षक सही रूप में पठन-पाठन कर सके।
किशुन मंडल
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पंचायत के अंदर कटाव रोकने को लेकर सरकार को विशेष व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे कि पंचायत वासियों को प्रतिवर्ष परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
कुमकुम कुमारी
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आजादी के 75 साल बाद भी हम लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं कराया गया है। जिसके कारण हम लोगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यहां तक की पानी भी खरीद कर हम लोग पीने को मजबूर हैं।
गौरव कुमार
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बाढ़ के समय और बाद में साफ सफाई की विशेष व्यवस्था होनी चाहिये। जिससे कि हर साल बाढ़ के समय होने वाले संक्रामक रोगों पर काबू पाया जा सके। और लोग आर्थिक तंगी से भी बच सके। इस ओर ध्यान देना चाहिये।
आमोद चौधरी
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शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल सहित कई तरह के बुनियादी समस्याओं को लेकर सरकार की ओर से संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई। जिसका खामियाजा हर साल ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। इस ओर सरकार और प्रशासन को ध्यान देना चाहिये।
बौधू चौधरी
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सबसे पहले हमलोगों को जिला प्रशासन आर्सेनिक युक्त पानी से छुटकारा दिलाए। जिससे कि यहां के लोग स्वस्थ्य रह सके। अब तक कई लोगों की मौत आर्सेनिक पानी पीने से हो चुकी है। इस पर अविलंब रोक लगनी चाहिये।
सुरेश चंद्र
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पानी के अलावा शिक्षा एवं चिकित्सा की व्यवस्था पंचायत में सुदृढ़ होनी चाहिये। जिससे कि यहां के लोग चिंतामुक्त जीवन जी सके। इस ओर जिला प्रशासन को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिये।
अनुराग चौधरी
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बाढ़ के दिनों में भी लोगों को अपने पंचायत को छोड़ना नहीं पड़े, इसके लिये जिला प्रशासन को चबूतरा निर्माण के साथ ही सभी जर्जर सड़कों की मरम्मत के साथ उसे ऊंचा किया जाए जिससे ग्रामीण बाढ़ में भी अपने गांव में ही रह सके।
अंजनी चौधरी
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बोले जिम्मेदार:
तारापुर दियारा में हेल्थ एंड वेलनस सेंटर के लिये जमीन उपलब्ध नहीं हो रहा है। आर्सेनिक पानी से लोगों को निजात दिलाने को लेकर भी प्रयास चल रहा है। वहां उच्च स्तर का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को लेकर कार्य किया जाएगा। विद्यालय में अतिरिक्त कमरा निर्माण को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से टेंडर निकाली गई है। जल्द ही समस्याओं का निराकरण कर लिया जाएगा। अन्य समस्याओं का भी सामाधान किया जाएगा।
प्रणव कुमार, विधायक मुंगेर।
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