बोले मुंगेर, जल निकासी और नियमित सफाई व कचरे का हो उठाव
मुंगेर के चुरंबा मोहल्ले की आबादी 15,000 है, जो बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। नल-जल योजना की विफलता, खराब सड़कें, और सीवरेज की समस्याएं स्थानीय निवासियों के जीवन को कठिन बना रही हैं। लोग...

प्रस्तुति: रणजीत कुमार ठाकुर/गौरव कुमार मिश्रा मुंगेर का चुरंबा मोहल्ला, जिसकी आबादी लगभग 15,000 है, आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। नल-जल योजना, सड़क निर्माण, जल निकासी, सीवरेज व्यवस्था और सार्वजनिक प्याऊ जैसी मूलभूत सेवाओं की बदहाली ने इस क्षेत्र के निवासियों का जीवन दुरूह बना दिया है। बरसात के मौसम में जलजमाव और सरकारी योजनाओं की विफलता इस क्षेत्र की उपेक्षा की कहानी बयां करती है। इस संबंध में चुरंबा एवं आसपास के लोगों के साथ हिंदुस्तान संवाददाता द्वारा संवाद किया गया जिसके आधार पर यह रिपोर्ट प्रस्तुत है, जो उन समस्याओं को उजागर करती है, जिन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है और अब प्रशासन से शीघ्र हस्तक्षेप की मांग की जा रही है।
चुरंबा रायसर के लोगों ने संवाददाता से बातचीत में बताया कि, इस क्षेत्र की जनसंख्या करीब 15,000 है, जिनमें लगभग 6,500 मतदाता हैं। भले ही यह आंकड़े बड़े लगते हों, लेकिन हकीकत यह है कि, मोहल्ला आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। लोगों ने कहा कि, यहां जल-नल योजना सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। सरकार ने वादा किया था कि, हर घर तक नल से जल पहुंचेगा, लेकिन यहां लगभग 14,00 घरों में कनेक्शन देने के बावजूद अभी तक लोगों को एक बूंद पानी भी नहीं मिला। पाइपों में अब जंग लग चुका है और यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती प्रतीत होती है। नगर निगम में बार-बार शिकायत के बावजूद कोई समाधान नहीं निकलता। उन्होंने संवाद के दौरान नगर निगम को चेतावनी दी है कि, अगर जलापूर्ति बहाल नहीं की गई तो वे जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करेंगे। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को रोजाना ई-रिक्शा और ठेले पर पानी लाकर गुजारा करना पड़ता है। क्षेत्र में बोरिंग का जलस्तर नीचे चला गया है और अब पड़ोस के लोग भी पानी देने से कतराते हैं। सत्यभामा कॉलेज के पास एकमात्र सरकारी चापाकल भी वर्षों से बंद पड़ा है। ऐसे में 15,000 की आबादी के लिए मात्र चार प्याऊ पर्याप्त नहीं हैं। उनका कहना था कि, मोहल्ले में नालियों और सिवरेज की स्थिति भी अत्यंत खराब है। कई गलियों में अब तक नाला-निर्माण नहीं हुआ है। कुछ स्थानों पर नालों के किनारे जल निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। गंदगी, मच्छरों और बीमारियों का भय बना रहता है। कहीं सीवरेज कनेक्शन है, तो कहीं नहीं है। जहां है, वहां प्रायः लीकेज की समस्या है। यहां सड़कों की हालत भी जर्जर है। अधिकांश सड़कें और गलियां टूट चुकी हैं। पुनर्निर्माण की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहा। मोहल्ले की लगभग 15 स्ट्रीट लाइटें महीनों से बंद हैं, जिससे रात के समय अंधकार और असुरक्षा का माहौल बन जाता है। इसका लाभ शराब और गांजा कारोबारी उठा रहे हैं। पुलिस शिकायत के लिए जो नंबर बिजली के खंभों पर दिए गए हैं, वे काम नहीं करते। क्षेत्र में न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, न ही कोई सुरक्षा तंत्र सक्रिय है। लोगों ने बताया कि, 72 वर्षों बाद भी विषहरी स्थान मंदिर तक जाने वाली मुख्य सड़क नहीं बनी है। हर वर्ष विषहरी पूजा में लाखों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन बरसात में कीचड़ और खराब रास्तों से गुजरना पड़ता है। मूर्ति विसर्जन में भी परेशानी होती है। लोगों का सवाल है कि, क्या हम इंसान नहीं हैं? क्या हमारे मोहल्ले की समस्याएं किसी को दिखाई नहीं देतीं? हम सरकार, नगर निगम और समाज से यही अपील करते हैं कि, रायसर- चुरंबा के निवासियों की पीड़ा को नजरअंदाज न किया जाए। चुरंबा, रायसर, मंसा नगर, नया गांव, इमामबाड़ा, कुसाहीटोला और चौधरी मोहल्ला के लोग प्यास, अंधकार, गंदगी और जर्जर सड़कों के बीच जीवन जीने को मजबूर हैं। रायसर के निवासियों के साथ हुए संवाद से स्पष्ट है कि यह मोहल्ला विकास की दौड़ में बहुत पीछे छूट चुका है। सरकारी योजनाएं केवल कागजों तक सिमटकर रह गई हैं। ऐसे में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक भागीदारी को सुनिश्चित किया जाना अत्यावश्यक है। यह केवल चुरंबा या रायसर की ही नहीं, बल्कि ऐसे सभी उपेक्षित इलाकों की कहानी है जो आज भी विकास की परिभाषा से कोसों दूर हैं। शिकायत 1. नल-जल योजना के तहत 1400 घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है; कुछ जगहों पर लीकेज और चोरी-छिपे मोटर कनेक्शन की वजह से दबाव नहीं बनता है। 2. नालों की नियमित सफाई नहीं होती है, जिससे बीमारियों का खतरा बना रहता है। 3. सड़कों के किनारे नालियों का निर्माण नहीं हुआ है, जिससे जलजमाव होता है और मार्ग खराब हो जाते हैं। 4. सीवरेज कनेक्शन अधूरा है। सभी के घरों तक कनेक्शन नहीं पहुंचा है। ऊपर से लीकेज और ओवरफ्लो की समस्याएं भी बनी हुई हैं। 5. लगभग 15 स्ट्रीट लाइटें बंद हैं, जिससे रात में अंधेरे और असुरक्षा का माहौल रहता है। सुझाव 1. सभी घरों में नल-जल योजना के तहत नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए। 2. जल निकासी व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए, नियमित सफाई और कचरे का उठाव सुनिश्चित हो। 3. जहां अब तक नाली और सड़क नहीं बनी है, वहां तत्काल निर्माण कार्य शुरू कराया जाए। 4. सीवरेज कनेक्शन को दुरुस्त किया जाए, लीकेज एवं ओवरफ्लो की समस्या का समाधान हो। 5. बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटें चालू की जाएं और नियमित निरीक्षण की व्यवस्था हो। इनकी भी सुनिए हमने कई बार नगर निगम से शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुना। नल-जल योजना सिर्फ नाम की रह गई है, हकीकत में हमें एक बूंद पानी नहीं मिलता। अब मजबूरी में रोजाना पानी खरीदना पड़ता है, जो गरीब आदमी के बस की बात नहीं है। -रंजीत झा सड़कें इतनी खराब हैं कि, बारिश में चलना मुश्किल हो जाता है। बरसों से कह रहे हैं कि मंदिर तक की सड़क बना दीजिए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। विषहरी पूजा के समय श्रद्धालुओं को कीचड़ से गुजरना पड़ता है, यह शर्मनाक है। -बमबम पंडित हर सुबह पानी भरने के लिए ई-रिक्शा से दूर जाना पड़ता है। बच्चों को साफ पानी नहीं मिलता, जिससे अक्सर बीमार पड़ते हैं। सरकार को महिलाओं की तकलीफ समझनी चाहिए, हम सिर्फ आश्वासन नहीं समाधान चाहते हैं। -मंजु देवी नालों की सफाई नहीं होती, जिससे पूरे मोहल्ले में बदबू फैली रहती है। बारिश होते ही गलियों में गंदा पानी भर जाता है, जिससे डेंगू और मलेरिया का डर रहता है। हमारे क्षेत्र को मानो विकास से अलग-थलग कर दिया गया है। -रोहित झा पिछले दो साल से पानी की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन पाइप से कुछ नहीं आया। चापाकल भी खराब है, और पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि महिलाओं की परेशानियों पर प्राथमिकता से ध्यान दे। -इंदु देवी हमारे मोहल्ले में रात को अंधेरा पसरा रहता है, जिससे महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। स्ट्रीट लाइट बंद हैं और पुलिस नंबरों पर कॉल करने पर कोई जवाब नहीं मिलता। बच्चियों की सुरक्षा के लिए प्रकाश व्यवस्था और निगरानी तंत्र जरूरी है। -शहनाज बेगम हर सप्ताह मोहल्ले में एक नई बीमारी फैलती है, लेकिन कोई डॉक्टर या दवाई नहीं मिलती। सरकार कहती है कि, हर घर नल-जल, लेकिन हकीकत में हर दिन जल के लिए संघर्ष है। हम भी नागरिक हैं, हमारे भी अधिकार हैं। -विमला देवी प्याऊ की संख्या बहुत कम है और गर्मी में लोगों की हालत खराब हो जाती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा परेशान हैं क्योंकि उन्हें घरेलू काम के लिए पानी चाहिए होता है। सरकार को वार्ड स्तर पर निरीक्षण कर वास्तविकता देखनी चाहिए। -सुनैना देवी सड़कें इतनी टूटी हैं कि बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल होता है। नाली और सड़क दोनों एक साथ बननी चाहिए, नहीं तो हमेशा जलजमाव रहेगा। हर बार चुनाव में वादा करते हैं, पर बाद में कोई नहीं आता। -राधा देवी हमारे मोहल्ले में सफाईकर्मी भी महीनों से नहीं आए हैं। कूड़े के ढेर और नालों की बदबू ने जीना मुश्किल कर दिया है। बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। -फुलन देवी एनएच से जुड़े मोहल्ले में इतनी बदहाली होना समझ से परे है। हमने कई बार जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब मजबूरी में हम आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। -उग्र मोहन झा मोहल्ले के युवा बेरोजगार हैं और बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। अगर सरकार का ध्यान नहीं गया तो अगला चुनाव यहां से हार तय है। हम विकास नहीं, सिर्फ हक की मांग कर रहे हैं। -मिक्कू झा रोजाना सुबह से शाम पानी ढोते-ढोते थक जाते हैं, अब तो हिम्मत जवाब दे रही है। बच्चों को नहाना तक मुश्किल हो गया है। मस्जिद तक जाने वाली सड़क भी कीचड़ से भरी रहती है, बहुत तकलीफ होती है। -अजीज झा पानी की समस्या से परेशान होकर अब मोहल्ले के लोग पलायन करने की सोच रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चों को रोज़ाना पानी के लिए लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। यह हालात स्वतंत्र भारत में शोभा नहीं देते। -मो साकेत अगर एक सप्ताह के भीतर समाधान नहीं हुआ, तो हम डीएम कार्यालय का घेराव करेंगे। वार्ड प्रतिनिधि भी अब हमारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम सिर्फ अधिकार की बात कर रहे हैं, कोई भीख नहीं मांग रहे। -संजय पंडित सीवरेज का पानी सड़कों पर बहता है, जिससे हादसे होते हैं। शराब और नशा करने वाले अंधेरे का फायदा उठाते हैं। सीसीटीवी कैमरे और गश्ती दल की जरूरत है। -विनोद कुमार झा बोले प्रतिनिधि मैंने नगर निगम को बार-बार पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जल-जमाव और नल-जल योजना की स्थिति को लेकर जल्द ही बैठक बुलाऊंगा। मैं क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के साथ हूं और हरसंभव प्रयास करूंगा। -रूपेश कुमार (वार्ड प्रतिनिधि) बोले जिम्मेदार वार्ड सदस्यों ने अपने अपने मोहल्ले से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम में प्रस्ताव दिया है। जो भी प्रस्ताव दिया गया है, उनका समाधान होगा। स्ट्रीट लाइट खराब है तो उसकी जांच करवा कर शीघ्र ही मरम्मत करवा दिया जाएगा। जल-नल एवं सीवरेज योजना से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए बुडको को कहा जाएगा। बुडको को निर्देश दिया जाएगा कि, शीघ्र ही नल-जल से संबंधित समस्या का समाधान हो और लोगों को पानी उपलब्ध करवाया जाए। -कुमकुम देवी, मेयर, मुंगेर नगर निगम, मुंगेर।
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