बोले पूर्णिया: डिग्री कॉलेज की हो स्थापना तो युवाओं को होगी आसानी
श्रीनगर प्रखंड में 5 लाख की जनसंख्या उच्च शिक्षा से वंचित है। 20 पंचायतों के युवाओं को डिग्री कॉलेज का इंतज़ार है, जबकि यहां सिर्फ 9 इंटर कॉलेज हैं। स्थानीय छात्र-छात्राएं शिक्षा के अधिकार से वंचित...

श्रीनगर प्रखंड के छात्र-छात्राओं की परेशानी
प्रस्तुति: अमित रजनीश
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- 5 लाख की जनसंख्या महरूम है उच्च शिक्षा से
- 20 पंचायत के युवाओं को है डिग्री कॉलेज का इंतजार
-9 इंटर कॉलेज( प्लस टू हाई स्कूल) हैं श्रीनगर प्रखंड में
अब और इंतज़ार नहीं, श्रीनगर प्रखंड का हर बच्चा यह सवाल पूछ रहा है — आखिर हमारा कसूर क्या है? शिक्षा केवल सुविधा नहीं, बल्कि बुनियादी अधिकार है। सरकार अगर सच में समावेशी विकास की बात करती है, तो उसे श्रीनगर जैसे उपेक्षित क्षेत्रों की ओर ध्यान देना होगा। आज आवश्यकता है वादों को अमल में लाने की। जब तक श्रीनगर में डिग्री कॉलेज नहीं खुलेगा, तब तक शिक्षा का सपना अधूरा रहेगा और तब तक आज़ादी का मतलब अधूरा ही रहेगा। मालूम हो कि श्रीनगर प्रखंड एवं इसके आसपास के क्षेत्र में लगभग 5 लाख की जनसंख्या उच्च शिक्षा से महरूम है। वहां के लोग बताते हैं कि श्रीनगर एवं आसपास के 20 पंचायत के युवाओं को डिग्री कॉलेज का इंतजार है। अभी श्रीनगर प्रखंड में सिर्फ 9 नवसृजित इंटर कॉलेज( प्लस टू हाई स्कूल) हैं।
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शिकायत:
1. डिग्री कालेज नहीं बनने से छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
2. डिग्री कालेज के अभाव में ना चाहते हुए भी कई गरीब छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।
3. इंटर तो स्थानीय स्तर पर विभिन्न+2 विद्यालय में हो जाता है। उसके बाद परेशानी बढ़ जाती है।
4. डिग्री कालेज श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में नहीं होने से छात्र छात्राओं को काफी परेशानी होती है
5. गरीब छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन करने के लिए प्रखंड क्षेत्र में कालेज नही होने से ग्रेजुएशन करने से वंचित होना पड़ता है।
सुझाव
1. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में एक डिग्री कालेज खुलने से छात्र छात्राओं को काफी फायदा होगा।
2. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में कई जगह सरकारी जमीन उपलब्ध है जिस जगह पर कालेज बनाया जा सकता है।
3. डिग्री कालेज बनने से गरीब छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन करने में काफी आसानी होगी।
4. डिग्री कालेज बनने से प्रखंड क्षेत्र के डेढ़ लाख की आबादी में रहने वाले गरीब छात्र छात्राओं लाभान्वित होंगे।
5. डिग्री कालेज बनने से प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी गरीब छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन करने में कोई भी दिक्कत नहीं होगी।
देश को आज़ाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन बिहार के पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड की तस्वीर यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या शिक्षा का अधिकार संविधान ने हर नागरिक को दिया है? आज भी श्रीनगर प्रखंड के छात्र-छात्राएं इस अधिकार से वंचित हैं। यहां आज तक एक भी डिग्री कॉलेज नहीं खुला है और यह स्थिति हमारे विकास मॉडल पर गहरे सवाल खड़े करती है।
श्रीनगर प्रखंड शिक्षा से है कोसों दूर :
श्रीनगर प्रखंड की कुल जनसंख्या लगभग डेढ़ लाख है, जिसमें नौ पंचायतें — जगैली, सिंघिया, चनका, खोखा उत्तर, खोखा दक्षिण, खुटी धुनैली, खुटी हसैली, गढ़िया बलुआ और झुनी कला शामिल हैं। इन इलाकों के विद्यार्थियों के पास उच्च शिक्षा के लिए कोई स्थानीय विकल्प नहीं है। उन्हें ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए 25 किलोमीटर दूर पूर्णिया जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। यह दूरी भले ही सुनने में मामूली लगे, लेकिन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बस का किराया, खानपान का खर्च और सफर की परेशानियाँ — ये सब मिलकर शिक्षा की राह में बड़ी बाधा बन जाते हैं। यहां तक कि कुछ विद्यार्थियों के लिए यह दूरी उनके सपनों और हकीकत के बीच की एक खाई बन जाती है।
बेटियों की शिक्षा पर बड़ा असर :
डिग्री कॉलेज नहीं होने का सबसे ज्यादा असर बेटियों पर पड़ता है। माता-पिता बेटियों को इतनी दूर भेजने से डरते हैं। नतीजतन, कई लड़कियाँ इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के बाद या तो पढ़ाई छोड़ देती हैं या उन्हें जल्दी शादी के बंधन में बांध दिया जाता है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा सिर्फ पोस्टरों और भाषणों तक सीमित रह जाता है। श्रीनगर की जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है। बेटियाँ पढ़ना चाहती हैं, आगे बढ़ना चाहती हैं, लेकिन संसाधनों की कमी उन्हें रोक देती है।
सरकारी वादे बनाम जमीनी हकीकत :
सरकार ने लंबे समय से हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज खोलने का वादा किया है। विभिन्न मंचों से यह ऐलान भी होता रहा है कि हर छात्र को शिक्षा का पूरा अवसर मिलेगा। लेकिन श्रीनगर प्रखंड के लोगों को आज भी उस ‘वादे-ए-तालीम’ का इंतज़ार है।
श्रीनगर के युवाओं का कहना है कि सरकार के ‘हर हाथ में किताब’ और ‘हर घर शिक्षा’ जैसे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जब तक कॉलेज नहीं खुलता, तब तक ये नारे केवल चुनावी घोषणाओं तक ही सीमित रहेंगे। इससे चंपानगर थाना क्षेत्र के युवाओं को भी लाभ होगा। यदि श्रीनगर में डिग्री कॉलेज की स्थापना होती है तो इसका लाभ न केवल श्रीनगर प्रखंड के विद्यार्थियों को मिलेगा, बल्कि चंपानगर थाना क्षेत्र और कसबा के निकटवर्ती पंचायत के भी युवा इसका फायदा उठा सकेंगे। ये क्षेत्र भी उच्च शिक्षा की सुविधाओं से वंचित है और ऐसे में एक कॉलेज इन इलाकों के लिए शिक्षा का एक मजबूत आधार बन सकता है।
हमें भी चाहिए शिक्षा का अधिकार :
श्रीनगर के सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय शिक्षक बताते हैं कि बार-बार मांगों के बावजूद आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। उन्होंने कहा, “जब शिक्षा ही नहीं होगी, तो विकास कैसा होगा? हमें दान नहीं चाहिए, हमें हमारा हक़ चाहिए।”
छात्रा रिंकी कुमारी ने बताया कि “हम भी डॉक्टर, इंजीनियर या टीचर बनना चाहते हैं, लेकिन कॉलेज की दूरी और आर्थिक मजबूरियाँ हमारे सपनों को मार देती हैं। क्या गरीब का सपना सपना नहीं होता?”हालांकि शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से बार-बार यह दावा किया जाता रहा है कि हर प्रखंड में कॉलेज खोले जाएंगे, लेकिन श्रीनगर इसका अपवाद बनकर रह गया है। स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार आश्वासन दिए, लेकिन वह आश्वासन अभी तक कागजों से बाहर नहीं निकल पाया है।
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समस्या:
1. स्थानीय स्तर पर डिग्री कॉलेज की हो स्थापना
2. प्राइवेट स्तर पर कॉलेज खोलने का हो प्रयास3. छात्रों को मिले परिवहन सुविधा
4 . छात्रों को मिले छात्रवृत्ति की सुविधा
5.बेटियों की शिक्षा को मिले प्राथमिकता
सुझाव:
1.श्रीनगर प्रखंड में सरकारी डिग्री कॉलेज की स्थापना सबसे ज़रूरी कदम है। इसके लिए सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
2.यदि सरकारी पहल में देर हो रही है, तो प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को भी प्रेरित किया जा सकता है कि वे यहां कॉलेज खोलें।
3.जब तक कॉलेज नहीं खुलता, तब तक छात्रों को जिला मुख्यालय तक आने-जाने के लिए सरकार विशेष बस सुविधा उपलब्ध कराए
4.जब तक कॉलेज नहीं खुलते तब तक छात्रों को दूरस्थ शिक्षा के लिए सुविधा मिले
5.बेटियों की शिक्षा के लिए अलग योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिससे वे सुरक्षित और सुलभ शिक्षा प्राप्त कर सकें।
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बोले पूर्णिया
1. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में डेढ़ लाख की आबादी होने के बाद भी डिग्री कालेज नही बनने से छात्र छात्राओं में मायूसी हैं। छात्र छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सुमन झा
2. डिग्री कालेज नही होने से ग्रेजुएशन करने में गरीब छात्र छात्राओं को काफी परेशानी होती है।गरीबी के कारण आगे की पढ़ाई नही कर पाता है।
राहुल कुमार
3. जिनके पास रुपए है वह बच्चे को राज्य के किसी भी कालेजों में नामांकन करा देते हैं।जिनके पास रुपए पैसे का अभाव होने पर जिला में भी नामांकन नही करा पाते हैं।
विक्रांत झा
4. ग्रेजुएशन करने की इच्छा होने के बाद भी गरीबी के कारण पहली प्राथमिकता कमाई कर पेट भरने की होने के कारण ग्रेजुएशन करने की सपना अधुरा ही रह जाता है।
हरिशंकर मूर्मू
5. छात्र छात्राओं को इंटर करने के बाद ग्रेजुएशन करने की चिंता रहती है। ऐसे में अगर प्रखंड क्षेत्र में एक कालेज रहता तो छात्र छात्राओं को अन्य जगह जाना नही पड़ता
पुष्पक महलदार
6. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में एक भी डिग्री कालेज नही खुलने से लोगों में मायूसी के साथ साथ आक्रोश भी है। डिग्री कालेज के अभाव में कई छात्र छात्राओं को इंटर के बाद पठन पाठन बंद करना मजबूरी हो जाती है।
रघुनंदन राय
7. डिग्री कालेज बनने से क्षेत्र के गरीब छात्र छात्राओं को काफी फायदा होगा।प्रखंड क्षेत्र के अंदर आवाजाही करने में छात्र छात्राओं को कोई भी परेशानी नहीं होगी।
प्रशांत कुमार
8. डिग्री कालेज नही होने से लड़की के सपने अधुरा ही रह जाता है।गरीब घराने की लड़की को ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने की मंशा रहने के बाद भी स्थानीय स्तर पर कालेज नही होने के कारण पठन पाठन छोड़ना पड़ता है।
लोकेश कुमार
9. डिग्री कालेज के लिए श्रीनगर में जमीन भी उपलब्ध हो जाएगी।इसके बाद भी अब तक किसी ने भी डिग्री कालेज बनाने को लेकर आवाज बुलंद नही किया है। जमीन की व्यवस्था करने पर आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
मुकेश झा
10. जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान डायट या राजकीय उच्च विद्यालय श्रीनगर में जमीन पर्याप्त मात्रा में है, इसके अलावा भी कई जगह सरकारी जमीन की उपलब्धता रहने के बाद भी डिग्री कालेज नही बनने से लोग निराश है
राजा कुमार
11. डिग्री कालेज श्रीनगर में बनने से प्रखंड वासी के साथ साथ अन्य प्रखंड के लोगों को भी लाभ मिलने की संभावना है। डिग्री कालेज बनने से छात्र छात्राओं का सपना पूरा हो जाएगा।
कुंदन विश्वास
12. डिग्री कालेज नही बनने से क्षेत्र के लोग छात्र छात्राओं के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। बच्चों को ग्रेजुएशन करने के लिए बाहर भेजने पर अभिभावक भी चिंतित रहते हैं।
विवेक कुमार
13. डिग्री कालेज नही बनने से लड़की को ग्रेजुएशन करने के लिए अभिभावक चिंतित रहते हैं। लड़की को बाहर भेज कर ग्रेजुएशन कराने के लिए भी चिंता रहती है।
अमन कुमार
14. गरीब छात्र छात्राओं को इंटर पढ़ने के बाद ग्रेजुएशन करने की जद्दोजहद लगी रहती है।गरीब छात्र किसी तरह जिला में आकर ग्रेजुएशन कर लेते हैं। लेकिन गरीब छात्रा को ग्रेजुएशन कराने के लिए अभिभावकों को रुपए के अलावा कई तरह की चिंता लगी रहती है।
रितेश जायसवाल
15. गरीब युवक युवती को ग्रेजुएशन करने की प्रबल इच्छा रहने के बाद भी स्थानीय स्तर पर कालेज नही होने से इच्छा दब जाती है।किसी तरह पढ़ाई लिखाई कर इंटर पास करने के बाद कामकाज की तलाश शुरू होने लगती है।
सुमित कुमार
16. ग्रेजुएशन करने के लिए लड़के किसी तरह पूर्णिया शहर में ट्यूशन पढ़ाकर रुपए की व्यवस्था कर ग्रेजुएशन पूरा करने की सपना को पूरा कर पाते हैं। कालेज में दाखिला के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
भूषण दास
बोले जिम्मेदार:
1. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में एक डिग्री कालेज की सख्त आवश्यकता वर्षों से अनुभव की जा रही है। श्रीनगर में डिग्री कालेज की मांग को लेकर जिले के वरीय अधिकारी एवं वरीय जनप्रतिनिधियों के समक्ष मांग रखी जा रही है। पंचायत समिति की बैठक में इस मसले को रखा जाएगा और इसके लिए एक प्रस्ताव बनाकर जिले के वरीय अधिकारियों एवं सरकार को भेजा जाएगा।
शहनवाज आलम, प्रखंड प्रमुख, श्रीनगर
2. श्रीनगर प्रखंड क्षेत्र में गरीब छात्र छात्राओं को ग्रेजुएशन करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में विभिन्न जन प्रतिनिधि एवं वरीय अधिकारी के समक्ष मांग रखी जाएगी। इसके लिए बुद्धिजीवियों की बैठक भी बुलाई जाएगी और एक पब्लिक पिटीशन बनाकर सरकार को भी भेजा जाएगा। सरकार के निर्देशानुसार अगला कदम उठाया जाएगा। कुन्दन कृष्ण मोहन, अध्यक्ष मुखिया संघ श्रीनगर
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