Farmers in Jamui Distressed Over Poor Wheat Yield Amid Unseasonal Rain and Crop Damage बोले जमुई : बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान, खेतों में पड़े हैं बोझे, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान, खेतों में पड़े हैं बोझे

जमुई जिले के किसान इस बार गेहूं की फसल को लेकर परेशान हैं। बेमौसम बारिश और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने फसल को नुकसान पहुँचाया है। किसान अपनी फसल को क्रय केंद्र पर बेचने में हिचकिचा रहे हैं, जिससे उनकी आय...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 5 May 2025 10:34 PM
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बोले जमुई : बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान, खेतों में पड़े हैं बोझे

जमुई जिले के किसान इस बार अपनी गेहूं की फसल की उपज को लेकर काफी परेशान हैं। खेत में गेहूं की फसल पकी हुई है। दो-चार रोज में पानी पड़ जाता है। जिस किसान की फसल कट गई है, वैसे ही खेत में पड़ी है। पानी से फसल खराब हो गई है। इस साल गेहूं की बुआई में लागत की तुलना में उपज बहुत कम हो रही है। इस बार बेमौसम बारिश, आंधी और ओला वृष्टि से फसल को काफी क्षति हुई है, लेकिन कृषि विभाग की नजर में कोई क्षति नहीं हुई है। इस कारण क्षति की भरपाई भी विभाग की ओर से नहीं की जा रही है। इस साल कम उत्पाद को लेकर किसान चिंतित हैं। जिले के किसान क्रय केंद्रों पर फसल की बिक्री करने नहीं पहुंच रहे हैं। संवाद के दौरान जिले के किसानों ने अपनी परेशानी बताई।

01 सौ 20 क्रय केंद्र खोले गए हैं जिले में

38 क्रय समिति हैं सक्रिय, अन्य पर खरीद नहीं

30 प्रतिशत फसल अभी तक खेत में है पड़ी

05 सौ 38 किसानों ने कराया है अपना निबंधन

जमुई जिले में इस साल अब तक करीब 70 प्रतिशत गेहूं की कटाई हो चुकी है, जबकि 30 प्रतिशत फसल अभी भी खेतों में खड़ी है। किसानों का कहना है कि जब तक पूरी कटाई और गेहूं की साफ-सफाई नहीं हो जाती, तब तक वे अपनी फसल को क्रय केंद्र पर भेजने से हिचकिचा रहे हैं। विभाग की ओर से निर्धारित लक्ष्य पूरा करने की लगातार कोशिश की जा रही है, परंतु अभी की स्थिति को देखते हुए सफलता नजर नहीं आ रही है। किसान डब्लू साह, अविनाश पासवान, अशीष कुमार, सुरेन्द्र साह और प्रकाश कुमार ने कहा कि इस बार गेहूं की फसल अच्छी नहीं हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस वर्ष बुआई के समय बारिश कम हुई है।

निजी बोरिंग से पटवन में अधिक हो रहा खर्च :

जमुई जिले के तीन चार प्रखंडों में फसलों को नीलगायों जैसे जंगली जानवरों ने भी बर्बाद कर दिया है। सरकार को नीलगायों से फसल को बचाने के लिए कोई योजना को सरजमी पर लाना जरूरी है। जिससे फसल को बचाया जा सके। जिले में सिंचाई की कनेक्शन का प्रतिशत काफी कम है बिजली विभाग और किसान कृषि कनेक्शन के लिए दोनों कछुआ गति से चल रहे हैं। बिजली कनेक्शन के लिए किसान आवेदन कम कर रहे हैं वही विभाग कनेक्शन तो देते हैं लेकिन मीटर तार पुल देने में सक्षम नहीं है। जिसके कारण किसानों को पटवन में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। जिले में सरकारी नलकूपों का अभाव है। खेतों में सिंचाई के लिए निजी नलकूपों का उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्हें अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। पहले की तरह सरकार को सरकारी बोरिंग की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि कम लागत में पटवन हो सके।

खाद की उपलब्धता हो सुनिश्चित :

गेहूं की बुआई के समय यूरिया, डीएपी और जैविक उर्वरकों की महंगाई भी किसानों के लिए बड़ी समस्या है। कुछ समय तक यूरिया और डीएपी की किल्लत भी रहती है, जिस कारण मार्केट से ब्लैक में ऊंचे दाम में खरीदना पड़ता है। जबकि कभी-कभी उन्हें नकली उर्वरक भी मिलता है, जिस कारण फसल को अच्छे से बढ़ने का मौका नहीं मिलता। इस कारण किसानों को फसल में अच्छे वजन की चिंता बनी रहती है। किसानों ने यह भी बताया कि ब्लॉक से मिलने वाला बीज महंगा होता है और बाजार में मिलने वाले बीजों की गुणवत्ता भी सही नहीं होती, जिससे बुआई के बाद बीज अच्छे से अंकुरित नहीं हो पाते। किसानों का मानना है कि उन्हें अच्छे किस्म के बीज और उर्वरक सहजता से मिलना चाहिए, ताकि फसल मजबूती से बढ़ सके और वे उसे क्रय केंद्र पर अच्छे दामों में बेचकर मुनाफा कमा सकें। इससे उन्हें खेती में लाभ होगा और उनका जीवन यापन भी बेहतर होगा। इसके अलावा, किसानों को सरकारी सहायता और बेहतर तकनीकी जानकारी मिलनी चाहिए, ताकि वे अपनी फसलों की सही तरीके से उगा सकें और अधिक उत्पादन कर सकें।

गेहूं खरीद का लक्ष्य 1444 एमटी :

इस बार जिले में गेहूं खरीद का लक्ष्य 1444 एमटी है। 153 समितियों में 26 समितियों के द्वारा 41 किसानों ने 52.95 एमटी गेहूं की खरीद हुई है। 41 किसानों में 36 किसानों का पेमेंट हो चुका है। वहीं जिले के 538 किसानों ने निबंधन कराया है, परंतु कम उपज की आशंका को देखते हुए गेहूं की बिक्री नहीं कर रहे हैं। इसका दूसरा कारण सरकार के समर्थन मूल्य से गेहूं के बाजार भाव का अधिक होना भी बताया जाता है।

लागत अधिक और कम मुनाफा, घर चलाना मुश्किल :

जमुई जिले में गेहूं की खेती करने वाले किसान अपनी मेहनत से अच्छी आमदनी की उम्मीद रखते हैं। पहले लागत के अनुसार ठीक-ठाक मुनाफा हो जाता था, लेकिन कुछ सालों से उनकी कमाई में उतनी बढ़ोतरी नहीं हो रही है। इस साल तो गेहूं को देखने से लग रहा है कि लागत निकलेगी भी या नहीं। किसान खेतों में लगी फसलों की देखभाल के लिए समय-समय पर दवा का छिड़काव, पटवन और उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी फसलें कीट-पतंगों से बची रहें और अधिक उत्पादन हो, ताकि उनकी आय बढ़ सके। इस बार तो मौसम की मार ने भी गेहूं किसानों की कमर तोड़ दी है। दो बार पानी, आंधी और तूफान से गेहूं को क्षति पहुंची है। बारिश से खेत-खलिहान में रखी गेहूं की बालियों को नुकसान हुआ है। किसान अपने जीवन यापन के लिए खेती पर निर्भर रहते हैं और उनकी खेती ही आय का एकमात्र स्रोत होती है। यदि फसल खेतों में बर्बाद हो जाती है, तो यह उनके लिए बड़ा आर्थिक संकट बन जाता है।

बिचौलिये ही कमाते हैं मुनाफा :

किसानों का मानना है कि उनकी फसलों का उचित मूल्य साहूकारों के हाथों में फंसकर घट जाता है। जब वे अपनी फसल सीधे क्रय केंद्रों पर बेचते हैं, तो उन्हें अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन छोटे और मध्यम वर्ग के किसान बिचौलियों के माध्यम से फसल बेचते हैं, जिससे उनकी आय में कमी होती है। इस स्थिति में किसान अपनी पूरी मेहनत के बावजूद मुनाफा नहीं कमा पाते। इस समस्या का समाधान यह हो सकता है कि किसानों को समय पर सभी कृषि यंत्रों और उर्वरकों की आपूर्ति मिलती रहे। इसके अलावा, सरकार और स्थानीय अधिकारियों द्वारा किसानों को पर्याप्त मदद मिलनी चाहिए ताकि उनकी मेहनत का सही मूल्य उन्हें मिल सके। अगर किसानों को अपनी फसल उचित दर पर बेचने का मौका मिले और उन्हें साहुकारों के चंगुल से बचाया जा सके, तो उनकी आय में सुधार हो सकता है। इसके साथ ही किसानों को खेती से जुड़ी सभी आवश्यक चीजों की समय पर उपलब्धता से उनकी मेहनत और बढ़ सकती है, जिससे उनकी स्थिति मजबूत हो सकेगी। इस प्रकार किसानों को अपनी मेहनत के सही परिणाम की उम्मीद तभी मिल सकती है, जब उन्हें उचित समर्थन और लाभ मिले, ताकि वे अपनी खेती को स्थिर और लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

शिकायत :

1 किसान सलाहकारों द्वारा समय-समय पर सरकार की ओर से क्या फ्री में मिल रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं दी जाती है।

2. लोन लेने के लिए किसान महीनों तक बैंकों के चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिल पाता है। यह बड़ी समस्या है।

3. नीलगायों के झुंड तीन चार प्रखंड के किसान परेशान हैं। फसलों को जनवारों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। बदले में किसान के हाथ कुछ नहीं आता है।

4. सरकारी स्टेट बोरिंग जिले के 153 पंचायतों में कम से कम होनी चाहिए जिससे किसानों को पानी की समस्या दूर हो सके। किसानों को सस्ते में सिंचाई का सपना सपना ही है।

5. डीएपी-यूरिया का स्टॉक समाप्त होने पर किसानों को परेशानी होती है। जिले के डीलरों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक खाद मिलनी चाहिए जिससे जिले के किसानों को कोई तरह की दिक्कत खाद की ना हो।

सुझाव

1. नीलगाय से फसल को बचाने के लिए कोई दवा या कृषि यंत्र बनाया जाए, जिससे फसल को बचाया जा सके।

2. समय-समय पर किसानों को डीएपी, यूरिया व अन्य चीजों को उपलब्ध कराया जाए। इससे खेती करने में आसानी होगी।

3. किसानों के खेतों में फ्री में निजी नलकूप सरकार द्वारा लगवाया जाए। इससे फसलों को सिंचाई में मदद मिलेगी।

4. सभी किसानों को स्थानीय स्तर पर सरकार की ओर से मिलने वाली योजनाओं के बारे में ठीक से पता नहीं है। किसान सलाहकरों को जानकारी देनी चाहिए।

5. आर्थिक रूप कमजोर किसानों को लोन मिले। साथ ही ही लोन देने की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। इससे किसानों को सहूलियत होगी।

सुनें हमारी पीड़ा

पानी के अभाव में धान काटने के बाद जिले की हजारों एकड़ जमीन परती रहती है। सरकार द्वारा समुचित पानी की व्यवस्था जिले के 153 पंचायत में होती है तो जिले के किसानों को काफी फायदा होगा।

-डब्लू साह

बेमौसम बारिश होने से गेहूं की फसल खराब हो गई। व्यापारी गेहूं का रेट 2100 से 2200 रुपए क्विंटल लगा रहे हैं। अच्छे गेहूं का रेट 2600 रुपए क्विंटल है। जिले के किसानों को 4 से 500 रुपए क्विंटल का घाटा हुआ है।

-अविनाश पासवान

जमुई जिले में किसानों के लिए एक मंडी की आवश्यकता है। मंडी नहीं रहने के कारण किसान व्यापारियों से औने-पौने भाव में अपने माल को बेचते हैं। व्यापारी सही रेट किसानों को नहीं देते।

-आशीष कुमार

किसान खेतों में लगी फसलों को लेकर चिंतित रहते हैं। नीलगायों के झुंड का रात और दिन में आना-जाना लगा रहता है। फसलों को रौंद कर बर्बाद किया जा जाता है। किसान फसलों के नष्ट होने से हताश हैं।

-सुरेन्द्र साव

बुआई के समय बारिश नहीं होने पर गेहूं के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। जिस खेत में गेहूं के बोझे दस होने चाहिए, वहां गेहूं के पांच ही बोझे इस बार हुए हैं। किसान महंगा बीज व उर्वरक खरीद कर खेती कर रहे हैं।

-प्रकाश कुमार

जिले के किसानों को प्रशिक्षण काफी जरूरी है। खाद का प्रयोग काफी होता है। इससे पैसे का दुरुपयोग होता है और फसल भी सही ढंग से नहीं हो पाती है। जमीन भी खराब हो जाती है।

-महेंद्र मांझी

किसानों की फसल खेतों में लगी होती है, चूहा और कीड़े-मकोड़े इन फसलों को बर्बाद कर देते हैं। हालांकि किसानों द्वारा सभी फसलों पर दवा का छिड़काव समय-समय पर किया जाता है। फिर भी परिणाम कारगर नहीं मिलता है।

-डेगान मांझी

समय पर बरसात नहीं होने से खेती तरीके से नहीं हो पाती है। उपज अच्छी नहीं होती। बाजारों में सभी व्यापारी दानों को देख छोड़ देते हैं। इसका नुकसान होता है।

-तसव्वुर अंसारी

बेमौसम बारिश और आंधी से गेहूं की फसल को काफी क्षति हुई है। सरकार क्षतिपूर्ति राशि किसानों को दे, जिससे किसानों को आर्थिक मदद मिले।

-अजीत कुमार

बुआई के समय बारिश नहीं होने पर गेहूं के उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। किसान महंगा बीज व उर्वरक खरीद कर खेती कर रहे हैं। सरकार की ओर से विशेष मदद मिले।

-ओम प्रकाश साह

जिले में कृषि फीडर की समुचित व्यवस्था की जाए। किसानों के बोरिंग तक तार पोल और मीटर को सुनिश्चित किया जाए। बिजली विभाग कनेक्शन तो देता है लेकिन खेत में बांस-बल्लों के सहारे तार से विद्युत प्रभावित होने के कारण खतरा बना रहता है।

-सजन कुमार

किसानों के लिए बेहतर मंडी बनाई जाए, जहां पर किसान कुछ दिनों तक रुक कर मंडी भाव के हिसाब से बेचकर मुनाफा अधिक कमा पाएं। अधिकतर किसान व्यापारी के माध्यम से अपनी फसलों को बेचते हैं। इससे नुकसान होता है।

-कैलाश मांझी

जिले में एक ही सरकारी बोरिंग है वह भी बदहाल है। जिले में 153 पंचायत हैं। सभी पंचायतों में सिंचाई के लिए सरकारी बोरिंग की व्यवस्था हो। इससे सिंचाई करने में काफी सहूलियत होगी और फसल भी अच्छी होगी।

-मिथुन कुमार

रबी फसल के लिए समुचित पटवन की व्यवस्था नहीं है। जिले में पटवन की व्यवस्था को समुचित करना अति आवश्यक है। हजारों एकड़ जमीन धान काटने के बाद परती रहती है।

-गुधन मांझी

गेहूं की फसल को बारिश के कारण काफी क्षति हुई है। किसानों को दाम सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। किसान कर्ज लेकर गेहूं की खेती करते हैं। सरकार क्षतिपूर्ति दे।

-मुकेश यादव

गेहूं की फसल उगाने में मेहनत और पैसा अधिक लगता है। खाद और पानी भी महंगे दामों में मिलता है। अब हर दो-चार दिन में बारिश हो रही है। कटी हुई फसल भी नहीं उठ पा रहा है। भीगे हुए गेहूं के दाम बहुत कम मिलते हैं।

-चन्द्रदीप कुमार

बोले जिम्मेदार

फसल की क्षतिपूर्ति के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन करेंगे। आवेदन करने के बाद विभाग के अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी। फसल की जांच के बाद ऊपर रिपोर्ट की जाएगी।

-आकिब जावेद, सहकारिता पदाधिकारी, जमुई

बोले जमुई फॉलोअप

झाझा को अनुमंडल बनाने की मांग नहीं हुई पूरी

जमुई। झाझा प्रखंड को डेढ़ दशक से भी अधिक वक्त से पुलिस अनुमंडल की हैसियत हासिल है। किंतु राजस्व अनुमंडल का दर्जा देने के मामले में सरकार कोताही बरत रही है। झाझा को नगर परिषद का दर्जा भी मिल चुका है लेकिन वर्षों से अनुमंडल बनाने की मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। नगर पंचायत से परिषद में अपग्रेड हो जाने पर पूर्ण अनुमंडल बनाने की लोगों को उम्मीद थी। पर झाझावासियों की हसरत अब तक भी पूरी नहीं हो पाई है। जिला बनने के करीब 34 सालों बाद भी जमुई के जिला एवं सबडिवीजन दोनों की चौहद्दी व सीमाएं एक ही हैं। करीब साढ़े तीन दशकों बाद भी जिला प्रशासन का कोई विकेंद्रीकरण न हो इसके 1991 वाले हाल में ही है। जो जमुई के डीएम का क्षेत्राधिकार है, प्रशासनिक नजरिए से उस पूरे 3098 वर्ग किमी रकबे के मालिक जमुई एसडीओ भी हैं। क्षेत्र के लोगों ने झाझा को अनुमंडल बनाने की मांग की है, ताकि लोगों को काम के लिए अधिक दूरी तय न करनी पड़े।

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