केंद्रीय विवि के निर्माण के लिए किसानों की 187.765 एकड़ जमीन ली जाएगी
समाहर्ता ने प्रारंभिक अधिसूचना जारी कर रकबा सार्वजनिक किया 60 दिनों के अंदर आपत्ति जिला

भागलपुर, मुख्य संवाददाता। ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय के समीप प्रस्तावित सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए किसानों की 187.765 एकड़ जमीन ली जाएगी। इसको लेकर समाहर्ता ने शनिवार को प्रारंभिक अधिसूचना का रकबा इश्तेहार के जरिए सार्वजनिक किया है। इश्तेहार में अंतीचक मौजे की 92.15 एकड़ और मलकपुर मौजे की 95.615 एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने की जानकारी दी गई है। अंतीचक में 105 और मलकपुर में 119 रैयतों की जमीन चिह्नित की गई है। अधियाचित अर्जनाधीन भूमि के अंतीचक मौजा में 24.12 एकड़ अनावाद बिहार सरकार की एवं 1.65 एकड़ शिक्षा विभाग के खाते की जमीन है। इसी प्रकार मलकपुर मौजा में 1.82 एकड़ भूमि अनावाद बिहार सरकार की पायी गयी है।
अधिसूचना में बताया गया है कि दोनों मौजे की 98 फीसदी जमीन पर आम, ताड़, बांस, कटहल और सागवान के बगीचे हैं। चार-पांच पक्का मकान व झोपड़ी आदि भी बनी हुई है। परियोजना के लिए प्रशासन ने घोलटर मंडल उच्च विद्यालय के 3.37 एकड़ के आमबाग के अधिग्रहण करने की भी जानकारी दी है। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी (डीएलएओ) राकेश कुमार ने बताया कि परियोजना को लेकर सामाजिक प्रभाव आकलन (एसआईए) रिपोर्ट मिल गई है। इसमें बताया गया है कि प्रस्तावित परियोजना के कार्यान्वयन से कोई सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान नहीं होगा। परियोजना प्रभावित क्षेत्रों में कोई भी स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केन्द्र, पोस्ट ऑफिस, संकुल संसाधन केंद्र, खेल का मैदान, बाजार, धार्मिक अथवा सरकारी इमारत क्षतिग्रस्त नहीं होगा। साथ ही सड़क और बिजली व्यवस्था भी प्रभावित नहीं होगी। रिपोर्ट में बताया गया कि परियोजना के कार्यान्वयन से अंतीचक और मलकपुर मौजा के साथ-साथ आसपास क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं के लिए उच्च एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने में आसानी होगी। क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास के गतिशीलता में वृद्धि होगी। कृषक एवं व्यापारिक वर्ग अधिक लाभान्वित होंगे। क्षेत्रों के शहरीकरण होने के साथ-साथ यहां की जनसंख्या शहरी संस्कृति से प्रभावित होगी। डीएलएओ ने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी वर्षों में इन क्षेत्रों में आवास, शिक्षा, व्यवसाय, रोजगार, कुटीर उद्योग आदि के नये विकल्प खुलेंगे। समग्र रूप से प्रस्तावित परियोजना का इन क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भूमि की क्षति की तुलना में क्षेत्र की जनसंख्या को अधिक सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं परिवर्तन का लाभ मिलेगा। सामाजिक विकास की कड़ी में सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के सामाजिक दांव का निर्माण किए जाने की संभावनाओं में वृद्धि होगी। परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों का निर्बाध गति से सुदृढ़ एवं गुणात्मक विकास होगा। प्रस्तावित परियोजना का इन क्षेत्रों पर दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा परियोजना से सार्वजनिक उद्देश्य को शत-प्रतिशत पूर्ण होना बताया गया है।
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