बोले कटिहार: प्रखंड में हो डिग्री कॉलेज तो बेटियों की पढ़ाई होगी आसान
बिहार के कटिहार जिले के 12 प्रखंडों में आज भी एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है, जिससे ग्रामीण छात्राओं की उच्च शिक्षा का सपना अधूरा रह जाता है। 75 साल बाद भी, परिवहन और सुरक्षा की चिंताओं के कारण माता-पिता...

प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मणिकांत रमण
बिहार के कटिहार जिले में आज भी 12 प्रखंड ऐसे हैं जहां एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। आजादी के 75 साल बाद भी इन इलाकों के ग्रामीण छात्र-छात्राओं, खासकर बेटियों के लिए उच्च शिक्षा एक दूर का सपना बना हुआ है। इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें 25-30 किलोमीटर दूर शहर जाना पड़ता है, जो हर परिवार के लिए संभव नहीं। परिवहन, सुरक्षा और खर्च की चिंता से अभिभावक बेटियों को आगे पढ़ने नहीं भेजते। इससे न केवल उनकी पढ़ाई रुक जाती है बल्कि कई बार कम उम्र में उनकी शादी भी कर दी जाती है। इसस उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। यह बातें हिन्दुस्तान के बोले कटिहार के संवाद में छात्राओं ने कहीं।
कटिहार जिले के कुरसेला, समेली, फलका, कोढ़ा, हसनगंज, डंडखोरा, मनसाही, अमदाबाद, बारसोई, बलरामपुर, कदवा और प्राणपुर प्रखंड की बेटियों के लिए स्नातक की पढ़ाई आज भी एक अधूरा सपना है। आजादी के 75 साल बाद भी इन 12 प्रखंडों में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। बेटियों की आंखों में सपने तो हैं, लेकिन उन तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। ग्रामीण इलाकों में इंटरमीडिएट तक तो किसी तरह पढ़ाई हो जाती है, लेकिन आगे की राह कठिन हो जाती है। शहरों में कॉलेज भले हों, पर गांव की बेटियों को कटिहार या पूर्णिया तक रोज़ाना भेजना हर परिवार के लिए संभव नहीं है। न तो परिवहन की सुविधा, न ही सुरक्षा का भरोसा। इसलिए माता-पिता उन्हें घर से बाहर पढ़ने भेजने से डरते हैं। और इस डर के साए में, न जाने कितनी होनहार बेटियां किताबें छोड़कर चूल्हा-चौका या शादी के बंधन में बंध जाती हैं। कम उम्र में शादी होने से मां बनने से उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है और जान तक गंवा देती हैं। इस कलंक से मुक्ति जरूरी है।
अफसर एवं डॉक्टर बनने की सपना देखती रह जाती है बेटियां : बेटियां डॉक्टर, शिक्षक या अफसर बनने का सपना देखती हैं, लेकिन जब अपने ही प्रखंड में कॉलेज नहीं हो, तो सपना देखना भी एक अपराध-सा लगने लगता है। ‘बेटी पढ़ाओ’ का नारा तब खोखला लगता है, जब बुनियादी ढांचे का अभाव शिक्षा को मयस्सर ही न होने दे। राज्य सरकार ने सालों पहले हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज खोलने का ऐलान किया था, पर आज तक न जमीन चिह्नित हुई न निर्माण शुरू हुआ। घोषणाएं मंचों से गूंजती रहीं, लेकिन गांव की बेटियां हर साल चुपचाप अपनी किताबें समेटती रहीं। अब समय है कि सरकार नारे नहीं, इरादे दिखाए। इन 12 प्रखंडों में डिग्री कॉलेज खुलवाना सिर्फ शिक्षा का विस्तार नहीं, बल्कि बेटियों को उनका हक लौटाना होगा। क्योंकि डिग्री कॉलेज सिर्फ इमारत नहीं, बेटियों की उड़ान का आधार है।
12 प्रखंडों में आजतक एक भी डिग्री कॉलेज की स्थापना नहीं हुई
35 किमी से अधिक दूरी तय कर ग्रामीण छात्राओं को स्नातक की पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है कटिहार, पूर्णिया
75 साल आजादी के बाद भी इन क्षेत्रों में उच्च शिक्षा की नहीं है बुनियादी सुविधा
सुझाव
1. हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज की स्थापना की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए, ताकि छात्रों को स्थानीय स्तर पर उच्च शिक्षा मिले।
2. जब तक कॉलेज नहीं खुलते, अंतरिम तौर पर डिस्टेंस एजुकेशन सेंटर या ई-लर्निंग सुविधा शुरू की जाए।
3. बेटियों के लिए छात्रावास और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था की जाए, ताकि वे पास के शहरों में पढ़ाई जारी रख सकें।
4. स्थानीय विद्यालयों में खाली पड़ी भूमि को चिन्हित कर अस्थायी कॉलेज भवन का निर्माण कराया जाए।
5. छात्राओं के लिए विशेष छात्रवृत्ति और यात्रा भत्ता शुरू किया जाए, जिससे आर्थिक बाधा कम हो।
शिकायतें
1. सरकार ने हर प्रखंड में डिग्री कॉलेज खोलने का वादा तो किया, लेकिन आज तक जमीन तक चिन्हित नहीं की गई।
2. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना केवल कागज़ों और होर्डिंग तक सीमित रह गई है, ज़मीनी फायदा नहीं मिल रहा।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेज न होने से छात्राएं समय से पहले पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रही हैं।
4. शिक्षा के नाम पर विकास योजनाएं पिछड़े इलाकों में नजरअंदाज़ की जा रही हैं।
5. जागरूकता अभियान और परामर्श केंद्रों की कमी के कारण छात्राएं विकल्प और अवसरों से अनभिज्ञ हैं।
इनकी भी सुनें
हमारे गांव में डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई अधूरी लगती है। मैं शिक्षक बनना चाहती हूं, लेकिन बिना कॉलेज के यह सपना अधूरा ही रह जाएगा। सरकार को हमारी आवाज़ सुननी चाहिए।
– प्रतिभा कुमारी
मेरे माता-पिता मुझे दूर शहर नहीं भेज सकते। कॉलेज नहीं होने से मेरी पढ़ाई रुक सकती है। मैं चाहती हूं कि हर प्रखंड में कॉलेज खुले ताकि गांव की लड़कियां भी आत्मनिर्भर बन सकें।
– सादिया खातून
मैं पुलिस अफसर बनना चाहती हूं, लेकिन इंटर के बाद क्या करूं, समझ नहीं आता। आस-पास कॉलेज नहीं है और आने-जाने का खर्च हम नहीं उठा सकते। सरकार को लड़कियों के भविष्य की चिंता करनी चाहिए।
– नाजिया खातून
हमसे कहा गया था कि पढ़ाई से दुनिया बदल सकती है। लेकिन जब कॉलेज ही न हो, तो हम क्या करें? हमारी पढ़ाई और भविष्य दोनों अधर में हैं। सरकार को हमारी परवाह करनी चाहिए।
– सानिया कुमारी
डिग्री कॉलेज न होने से लगता है कि हमारे सपनों को किसी ने रोका हुआ है। मैं लेखिका बनना चाहती हूं लेकिन पढ़ाई ही रुक जाए तो सपना कैसे पूरा होगा?
– साक्षी कुमारी
पढ़ाई करना चाहती हूं, लेकिन कॉलेज दूर है और सफर सुरक्षित नहीं लगता। इंटर तक पहुंच पाई, पर आगे क्या होगा, यही चिंता है। सरकार को गांव की लड़कियों के लिए सोचना चाहिए।
– निभा कुमारी
हर चुनाव में नेता वादा करते हैं, पर कॉलेज नहीं खुलता। मेरे जैसे कई छात्राएं इंटर के बाद घर बैठने को मजबूर हो जाती हैं। पढ़ने की इच्छा होते हुए भी कुछ कर नहीं पाते।
– मुन्नी कुमारी
हमारे गांव की लड़कियों में भी टैलेंट है, लेकिन मौके नहीं मिलते। अगर कॉलेज पास होता, तो मैं साइंस में ग्रेजुएशन जरूर करती। लेकिन अब सबकुछ मुश्किल लग रहा है।
– तन्नू कुमारी
पढ़ाई छूटने का डर हर दिन रहता है। मैं कॉलेज जाना चाहती हूं, पर इतनी दूरी मुझसे और परिवार से नहीं संभलती। अगर कॉलेज होता, तो शायद आज कुछ और सोच पाती।
– काजल कुमारी
बेटी पढ़ाओ का नारा सब लगाते हैं, लेकिन यहां तो पढ़ाई की सुविधा ही नहीं है। गांव में कॉलेज न होने से मेरा सपना अधूरा लगता है। मैं आगे पढ़ना चाहती हूं।
– सोनी कुमारी
हमारे इलाके में अगर कॉलेज होता, तो मुझे बाहर जाकर पढ़ने की चिंता नहीं रहती। मैं समाज सेवा करना चाहती हूं लेकिन पहले पढ़ाई जरूरी है। सरकार को हमारी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
– सोनम कुमारी
हर दिन सोचती हूं कि क्या मैं ग्रेजुएशन कर पाऊंगी। गांव में कॉलेज नहीं है, दूरी और खर्च दोनों ही मुश्किल हैं। हमारी पढ़ाई के लिए ठोस कदम उठना चाहिए।
– प्रीति कुमारी
मैं बी.एड करना चाहती हूं, लेकिन जब आसपास कॉलेज ही न हो तो कैसे करूं? हमें क्यों पीछे छोड़ा जा रहा है? गांव की बेटियों को भी बराबरी का मौका मिलना चाहिए।
– पूजा कुमारी
मेरे कई सहपाठी पढ़ाई छोड़ चुके हैं क्योंकि कॉलेज दूर है। मैं भी डरती हूं कि कहीं मुझे भी न रुकना पड़े। सरकार को ग्रामीण इलाकों में कॉलेज बनाना चाहिए।
– मिलन कुमारी
अगर हमारे प्रखंड में कॉलेज होता, तो हम भी बेझिझक अपने सपनों को पूरा कर पाते। मुझे बैंक में नौकरी करनी है, लेकिन पहले पढ़ाई जरूरी है।
– वर्षा कुमारी
गांव की बेटियों को हमेशा नजरअंदाज़ किया जाता है। कॉलेज न होने से लगता है कि हमारी मेहनत बेकार चली जाएगी। सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
– आदिति कुमारी
हमारे इलाके में डिग्री कॉलेज की जरूरत बहुत पहले से थी। मैं आगे पढ़ना चाहती हूं, लेकिन दूरी, खर्च और डर सब रास्ता रोक देते हैं। हमें भी बराबरी का मौका मिलना चाहिए।
– मौसम कुमारी
कितना अच्छा होता अगर हमारे गांव में कॉलेज होता। हम भी हर रोज़ सपने देखते हैं, लेकिन कॉलेज की कमी हमारे रास्ते में दीवार बन गई है।
– दीवानी कुमारी
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जिम्मेदार
कटिहार जिले के कई प्रखंडों में डिग्री कॉलेज न होने की स्थिति चिंता का विषय है। जिला प्रशासन की ओर से लगातार उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव भेजे गए हैं। हमारा प्रयास है कि शिक्षा के क्षेत्र में समानता लाई जाए और ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों को भी उच्च शिक्षा के समुचित अवसर मिलें। जल्द ही कुछ प्रखंडों में भूमि चिन्हित कर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। जब तक स्थायी कॉलेज नहीं बनते, तब तक वैकल्पिक शिक्षा व्यवस्था, जैसे डिस्टेंस लर्निंग और डिजिटल शिक्षा केंद्रों की स्थापना पर भी विचार चल रहा है। बेटियों की शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अमित कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, कटिहार
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