बिहार में यूपी, बंगाल से बिजली सस्ती है, ऊर्जा मंत्री का विपक्ष को जवाब; गिनाए सरकारी मदद के आकंड़े
मंत्री ने कहा कि इसी तरह ग्रामीण व्यावसायिक उपभोक्ता को 3.35 रुपये प्रति यूनिट, शहरी व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 5.67 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया कराई जा रही है। किसानों को मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है।

बिहार के ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने विपक्ष के उन आरोपों को निराधार बताया है जिसमें बिहार के लोगों को पड़ोसी राज्यों की तुलना में महंगी बिजली देने की बात कही गई है। पिछले कई वर्षों में सरकार के दिये अनुदान का हवाला देते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश और बंगाल की तुलना में बिहार के लोगों को सरकार सस्ती बिजली मुहैया करा रही है। इस मद में सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये अनुदान के रूप में खर्च कर रही है। बेहतर होता कि आरोप लगाने के पहले विपक्षी नेता सच्चाई जान लेते।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना से राज्य सरकार बिजली कंपनी को अनुदान दे रही है। इससे यहां सस्ती बिजली मिल रही है। राज्य के कुल उपभोक्ताओं में से 28 प्रतिशत कुटीर ज्योति (बीपीएल) उपभोक्ता हैं। उनको 1.97 रुपये प्रति यूनिट बिजली मुहैया कराई जा रही है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या कुल उपभोक्ता का 44 प्रतिशत है और इन्हें 2.45 रुपये की दर से बिजली मिल रही है। शहरी घरेलू उपभोक्ता जो कुल उपभोक्ता में 15 प्रतिशत हैं, उन्हें 4.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है।
मंत्री ने कहा कि इसी तरह ग्रामीण व्यावसायिक उपभोक्ता को 3.35 रुपये प्रति यूनिट, शहरी व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 5.67 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया कराई जा रही है। किसानों को मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है। छोटे श्रेणी के औद्योगिक उपभोक्ताओं को 6.02 रुपये, हर घर नल का जल को 2.45 रुपये, बड़े औद्योगिक व्यवसायिक उपभोक्ताओं को 6.30 रुपये तो लोहा उद्योग को मात्र 3.86 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है।
अनुदान का हवाला देते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में सरकार ने 2656 करोड़ खर्च किए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2014-15 में 2848 करोड़, 2015-16 में 4390 करोड़, 2016-17 में 3834 करोड़, 2017-18 में 2505 करोड़ अनुदान दिया गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 5070 करोड़, 2019-20 में 5193 करोड़, 2020-21 में 5494 करोड़, 2021-22 में 6578 करोड़, 2022-23 में 7801 करोड़ तो वित्तीय वर्ष 2023-24 में 13 हजार 114 करोड़ अनुदान दिया गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15 हजार 343 करोड़ अनुदान की मंजूरी दी गई है।