तेलंगाना सरकार की जातीय जनगणना की पारदर्शिता पर सवाल
अरवल, निज संवाददाता।इस मौके पर जदयू जिला अध्यक्ष मिथिलेश यादव, जदयू जिला प्रवक्ता चांद मलिक तथा जदयू मीडिया सेल जिलाध्यक्ष नितेश पटेल ने संयुक्त रूप से तेलंगाना सरकार द्वारा कराए गए जातीय गणना पर सवाल...

अरवल, निज संवाददाता। तेलंगाना में 2024 में हुए जातीय सवेक्षण में गड़बड़ी के सवाल पर शनिवार को जदयू जिला कार्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस मौके पर जदयू जिला अध्यक्ष मिथिलेश यादव, जदयू जिला प्रवक्ता चांद मलिक तथा जदयू मीडिया सेल जिलाध्यक्ष नितेश पटेल ने संयुक्त रूप से तेलंगाना सरकार द्वारा कराए गए जातीय गणना पर सवाल खड़े किए। नेताओं ने कहा कि अगर तेलंगाना सरकार की जातीय गणना पारदर्शी थी, तो अब तक उसके आंकड़े सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए। 2014 में हुए जातीय सर्वेक्षण में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर ओबीसी वर्ग की जनसंख्या को कम और सवर्ण वर्ग की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि की गयी है।
जिससे स्पष्ट हो जाता है कि सर्वेक्षण प्रक्रिया में भारी अनियमितता बरती गयी है। नेताओं ने कहा कि बिहार की जातीय गणना आदर्श मॉडल बना है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कराई गई जातीय गणना को एक पारदर्शी और वैज्ञानिक प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने सर्वेक्षण से पहले 215 जातियों की सूची सार्वजनिक की तथा हर जाति को एक यूनिक कोड आवंटित किया, जिससे आंकड़ों की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई। जदयू नेताओं ने कहा कि यह देश संविधान से चलता है, राहुल गांधी की मनमानी से नहीं। राहुल गांधी हर मुद्दे पर मनमानी करना चाहते हैं। अम्बेडकर छात्रावास में बिना अनुमति के राजनीतिक सभा आयोजित कर उन्होंने न सिर्फ़ नियमों का उल्लंघन किया, बल्कि शैक्षणिक वातावरण को भी दूषित करने का प्रयास किया गया है। फोटो- 17 मई अरवल- 12 कैप्शन- अरवल में पत्रकारों को जानकारी देते जदयू नेता।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।