Severe Heat Wave Affects Life and Agriculture in Jhajha Water Sources Drying Up बिन पानी सब सून: आसमान में बादलों की जगह दिख रहा आग का गोला, Jamui Hindi News - Hindustan
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बिन पानी सब सून: आसमान में बादलों की जगह दिख रहा आग का गोला

बिन पानी सब सून: आसमान में बादलों की जगह दिख रहा आग का गोला बिन पानी सब सून: आसमान में बादलों की जगह दिख रहा आग का गोला

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईSun, 15 June 2025 03:33 AM
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बिन पानी सब सून: आसमान में बादलों की जगह दिख रहा आग का गोला

झाझा । निज संवाददाता .....बिन पानी सब सून। कालजयी कवि रहीमन की उक्त उक्ति इन दिनों आम जनमानस से लेकर मवेशियों तक तथा उधर खेती किसानी से ले जल के तमाम स्त्रोत समेत पृथ्वी और पर्यावरण तक के मामले में सौ फसदी सच साबित होती साफ नजर आ रही है। उमड़ते-घुमड़ते-गरजते कारे-मतवारे बादलों की जगह आग का लाल गोला बने नजर आते आसमान ने सभी को परेशान कर दिया है। मौसम की गर्ममिजाजी ने आम जनजीवन समेत हर संसाधन से ले पर्यावरण तक के वजूद को मुश्किलों,या कहें कि खतरे में ला दिया है। स्वस्थ लोग भी बीमार पड़ जा रहे हैं तो मौसम के मुताबिक लगाई गई फसलें भी आग सरीखी धूप से जलकर किसानों के कलेजे को जला रही हैं।

नदी,नाले,कुएं,झील,पोखर सब या तो सूख चूके हैं या फिर उनके आंचल में पानी का दायरा काफी सिमट चूका है। सदियों से झाझा नगर समेत पूरे प्रखंड के जनजीवन की लाइफलाइन मानी जाती रही उलाय नदी का वर्त्तमान में झाझा नप क्षेत्र में यह हाल है कि वह पूरी तरह सूखकर किसी खेल के मैदान सरीखे हाल में तब्दील हो गई है। तो,उधर देसी-विदेशी पक्षियों की लाइफलाइन और रामसर साइट के विशिष्ट वैश्विक दर्जे से नवाजी गई नागी एवं नकटी झीलों का आंचल भी वर्षाभाव में काफी सिमट गया है। झाझा के जल संसाधन विभाग (सिंचाई प्रमंडल) के कार्यपालक अभियंता दीपक प्रधान ने बताया कि नागी डीएसएल के उपर करीब ढाई फीट और नकटी में डीएएल के उपर मात्र पौन फीट पानी है। हालांकि पानी की इस असंतोषजनक स्थिति के बावजूद उन्होंने आगामी 1 जुलाई के बाद पटवन को नहरों से पानी की सप्लाई का भरोसा दिया है। स्वास्थ्य पर असर: गर्मी व धूप का सबसे प्रतिकूल असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। वैसे स्थानीय रेफरल अस्पताल सह पीएचसी के एमओआईसी डॉ.अरूण कुमार में अब तक हीट स्ट्रोक के तो मामले अब तक सामने नहीं आए होने की बात बताए हैं। कितु,सर्दी,खांसी,बुखार जैसी शिकायतों के मरीजों की आवक काफी होने की बात भी स्वीकारते दिखे। चक्कर आने व उल्टी,दस्त के मरीज गाहे-बगाहे आने की बात कही। सावधानी: डॉ.कुमार ने इस मौसम में एहतियात व बचाव की नसीहद देते हुए कहा कि लोग बहुत जरूरी होने पर ही षर से निकलें,निकलने के पूर्व खाना व पर्याप्त मात्रा में पानी पी लें,मोटा या कॉटन के कपड़े पहनें,शरीर को पूरा ढक कर व छाता लेकर निकलें। किसान पर प्रभाव: मौसूदा मौसम ने किसानों को काफी मुश्किलों में ला दिया है। शैर गांव के किसान रामचंद्र मंडल,रंजीत आदि अपनी सितमगरीबी बयां करते हुए बताते हैं किसी तर बचाकर रखी भिंडी उन्हें मात्र 5 रूपए किलो की दर पर बेचनी पड़ रही है। जबकि उधर खेतों में लगाई गई मक्का व मूंग की फसलें या तो जल गईं। बैंगन में भी फूल नहीं आ पाए। फसलों की इस कदर बर्बादी उनकी पूरी पूंजी को ले डूबी है। कई अन्य किसानों ने कहा,इसके अलावा इस कड़ी धूप में खेत में खड़ा रह पाना भी काफी मुश्किल हो रहा है। पर्यावरण पर प्रभाव: मौजूदा मौसम ने पर्यावरण को भी मुश्किलों में डाल दिया है। नदी,नाले,कुएं,झील,पोखर सब या तो सूख चूके हैं या फिर उनके आंचल में पानी का दायरा काफी सिमट चूका है। सदियों से झाझा नगर समेत पूरे प्रखंड के जनजीवन की लाइफलाइन मानी जाती रही उलाय नदी पूरी तरह सूखकर किसी खेल के मैदान सरीखे हाल में तब्दील हो गई है। तो,उधर देसी-विदेशी पक्षियों की लाइफलाइन और रामसर साइट के विशिष्ट वैश्विक दर्जे से नवाजी गई नागी एवं नकटी झीलों का आंचल भी वर्षाभाव में काफी सिमट गया है। झाझा के जल संसाधन विभाग (सिंचाई प्रमंडल) के कार्यपालक अभियंता दीपक प्रधान ने बताया कि नागी डीएसएल के उपर करीब ढाई फीट और नकटी में डीएसएल के उपर मात्र पौन फीट पानी है। व क्षेत्रों का यह हाल है कि अभी बीते दिनों भी नरगंजो,घोरपारन आदि के जंगली इलाकों में पौधे आदि बुरी तरह झुलस गए थे। इंफ्रास्ट्रक्चर पर बोझ,ड्यौढ़ी हुई बिजली की मांग: बदन जलाती गर्मी व धूप की सूरत ने एक ओर पेडेस्टल फैन से लेकर कूलर व एसी तक की डिमांड में इजाफा कर दिया है। तो,दूसरी ओर कूल-कूल करने वाले उन संसाधनों के उपभोग से विद्युत आपर्ति के ढांचे को ‘गर्म कर दिया है जिसके नतीजे में बिजली वितरण कंपनी पर भी बोझ गया है। एसबीपीडीसीएल,झाझा के एईई विनोद कु.नागर इस सच को स्वीकारते हुए बताते हैं कि विगत में झाझा,सोनो,चकाई,माधोपुर व सिमुलतला इलाकों की कुल मिलाकर डिमांडउउ कुलजमा 17-18 मेगावाट हुआ करती थी जो हालिया दिनों में करीब ड्यौढ़ी होकर 24-25 मेगावाट ोगई है। कहा,अच्छी बात यह कि डिमांड के मुताबिक पूरी सप्लाई मिल रही है और लोड शेडिंग की सूरत भी अब तक नहीं आईर् है। अलबत्ता उन्होंने माना कि अत्यधिक गर्मी व ओवर लोडिंग होने से केबल जलने,कंडक्टर हीट होकर पिघल जाने या शॉर्ट हो जाने जैसी परेशानियां अक्सर सामने आ रही हैं। इसके अलावा आंधी आदि प्राकृतिक आपदा की सूरत में पेड़ गिरने,तार टूट जाने आदि से लाइन बाधित हो जाती है। कहा,कि समस्या नहीं आए इसको ले शहर में 5 समेत पूरे विद्युत सप्लाई सबडिवीजन में करीब 3 दर्जन अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं। जनजीवन पर असर: आग उगलती धूप व गर्मी ने लोगों के जनजीवन व उनकी दिनचर्या पर भी मानों ब्रेक सी लगा दी है। सुबह करीब 9 से सायं 6 बजे तक का काल तक लोगों का अपने घर,दुकान अथवा अन्य कार्यस्थल से निकलना दूभर बना रहता है यानि उक्त काल मानों ‘कफ्र्यू कालसरीखा बना रहता है। बाजारों में भी पूरे दिन सन्नाटे की सूरत पसरी होती है। धूप,गर्मी से बिगड़ती सेहत की वजह से सरकारी अस्पतालों से ले निजी चिकित्सकों के नर्सिंग होमों तक में मरीजों की भरमार देखने को मिलती है। बेजुबान भी हो रहे बेवश: मौसम का सितम किसी को नहीं बख्शता है,वह चाहे इंसान हो या जानवर। मौजूदा मौसम ने बेचारे बेजुबां मवेशियों का जीवन भी मुश्किल कर दिया है। इन हालातों से बचने को कल तक नदी,पोखरों मेें बैठकर कूल-कूल होते थे। किंतु अब उन जलस्त्रोतों के भी सूख जाने से गर्मी व धूप से निजात पाना इनके लिए भी काफी मुश्किलों का सबब बन गया है।

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