रेलवे कारखाना के रखरखाव और नवाचार में नए मानक स्थापित किए
न्यू बंगाईगांव कारखाना कोच के ओवरहॉलिंग, आधारभूत संरचना नवाचार और ऊर्जा दक्षता में उत्कृष्ट परिणाम दे रहा है। कारखाने ने डी-कैल कटिंग प्लॉटर मशीन स्थापित की है और एक मेगावाट की रूफ टॉप सोलर परियोजना...

कटिहार, एक संवाददाता। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधीन न्यू बंगाईगांव कारखाना कोच और वैगन के ओवरहॉलिंग, आधारभूत संरचना नवाचार और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्रों में निरंतर उत्कृष्ट परिणाम दे रहा है। यह कारखाना संचालन की विश्वसनीयता, यात्रियों की सुविधा और टिकाऊपन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि न्यू बंगाईगांव कारखाना का एक प्रमुख अपग्रेड डी-कैल कटिंग प्लॉटर मशीन की स्थापना है। इस मशीन ने कोच की साइड और एंड वाल पर अक्षर लिखने के लिए पहले इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक स्क्रीन-प्रिंटिंग पद्धति की जगह ले ली है।
चूंकि स्क्रीन-प्रिंटेड लेबल समय के साथ खराब और फीके पड़ जाते हैं वहीं डी-कैल सिस्टम अधिक टिकाऊ और सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक विकल्प प्रदान करता है। इससे न केवल कोचों की बेहतर दृश्यता में सुधार होता है, बल्कि उसके दीर्घकालिक रखरखाव मानकों में भी वृद्धि होती है। सीपीआरओ ने बताया कि पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए न्यू बंगाईगांव कारखाना ने एक मेगावाट की रूफ टॉप सोलर परियोजना शुरू की है। मौसम संबंधी चुनौतियों के बावजूद, इसकी औसत दैनिक उत्पादन क्षमता लगभग 3850 केडब्ल्यूएच होने से वार्षिक उत्पादन लगभग 1405250 केडब्ल्यूएच तक पहुंचता है। स्थानीय वितरण कंपनी की दर 9.39 रुपये प्रति यूनिट की तुलना में 4.30 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीद करते हुए, यह पहल प्रति वर्ष लगभग 71.5 लाख रूपये की बचत सुनिश्चित करती है। यह न्य़ू बंगाईगांव की ऊर्जा लागत में कटौती और हरित पहल के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि कारखाना ने कवर वैगनों के लिए एक इन-हाउस रूफ लीकी टेस्ट सुविधा विकसित की है। यह शावर परीक्षण व्यवस्था छत की लीक और महीन दरारों की सटीक पहचान और मरम्मत में बेहतर सुधार लाता है। अब वैगनों को पीरियोडिकल ओवरहॉल (पीओएच) से पहले और बाद में इस शावर परीक्षण से गुजरना पड़ता है। यह विशेष रूप से खराब मौसम के दौरान संरचनात्मक प्रामाणिकता सुनिश्चित करता है और कार्गो की सुरक्षा करता है। पहले अक्सर आती थी शिकायतें, अब कार्यक्षमता में सुधार: सीपीआरओ ने बताया कि कोचों में प्रयुक्त इलेक्ट्रो-न्यूमैटिक प्रेशराइज्ड फ्लशिंग सिस्टम (ईपीपीएफएस) द्वारा ओवरहॉलिंग है। पहले इस प्रणाली में यात्रा के दौरान अक्सर खराबियाँ आती थीं और यात्रियों द्वारा ‘रेल मदद जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से शिकायतें प्राप्त होती थीं। मगर अब न्यू बंगाईगांव कारखाना ने एक व्यापक ओवरहॉल प्रक्रिया लागू की है, जिसमें वॉटर प्रेसराइज़र इकाई को हटाना और सर्विसिंग के साथ-साथ कंट्रोल पैनल, नॉन-रिटर्न वाल्व और एयर फिल्टर जैसे अन्य महत्वपूर्ण घटकों का परीक्षण भी शामिल है। विशेष रूप से लंबी दूरी के परिचालनों के दौरान इससे फ्लशिंग प्रणालियों की विश्वसनीयता और कार्यक्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
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