परबत्ता: तीन वर्षो सें आयुर्वेद औषधालय का नहीं खुलता ताला
परबत्ता: तीन वर्षो सें आयुर्वेद औषधालय का नहीं खुलता तालापरबत्ता: तीन वर्षो सें आयुर्वेद औषधालय का नहीं खुलता तालापरबत्ता: तीन वर्षो सें आयुर्वेद औषधा

परबत्ता, एक प्रतिनिधि अंग्रेजी हुकूमत मैं भी जिस आयुर्वेद औषधालय नयागांव की तूती बोलती थी। आज वह उद्धारक का इन्तजार में पड़ा हुआ है। इस औषधालय में अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों के लिए मरीज आया करते थे तथा चंगा होकर वे अपने घर को जाया करते थे। लेकिन आज स्थिति यह है कि गत तीन वर्षो सें आयुर्वेद औषधालय नयागांव का ताला तक खोलने वाला नहीं है क यह स्थिति सिर्फ और सिर्फ नयागांव आयुर्वेद औषधालय कि नहीं है अधिकांश औषधालय कि यही स्थिति है क सरकार भले ही आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिये लम्बी लम्बी बाते करते हैं। बड़े-बड़े एडवरटाइज देते हैं, लेकिन इसकी हकीकत देखनी हो तो परबत्ता के आयुर्वेद औषधालय देखकर सहज़ ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की स्थिति यह है कि जहां एक ओर आयुर्वेद औषधालय का ताला खोलने के लिये आयुष डॉक्टर तक नहीं है। वही दूसरी ओर आयुष डॉक्टर को परबत्ता सीएचसी में नियुक्ति कर ओपीडी आदि संचालन का कार्य लिया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1927 में पूर्व जमींदार स्वर्ग रामभजो सिंह द्वारा सात कट्ठा जमीन दान देकर प्रखंड का इकलौता आयुर्वेद औषधालय की स्थापना किया गया था क जानकारों की माने तो इस औषधालय के खुलते ही अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न इलाके से मरीज आकर अपना इलाज करवाया करते थे। अंग्रेजी हुकूमत रहने के बावजूद भी इस औषधालय की तूती बोलती थी। प्लेग, कालाजार लकवा, मिर्गी आदि जैसे असाध्य मरीज चंगा होकर जाया करते थे। बाद के दिनों में जिला परिषद द्वारा इस औषधालय के नियमित संचालन व लोगो कि स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डॉ गणेश मिश्रा, डॉ जयशंकर मिश्रा, डॉ श्याम किशोर मिश्रा, डॉ बॉम्बे मिश्र, डॉ सूर्यनारायण मिश्र, डॉ रामाश्रय चौधरी आदि डॉक्टरों को नियुक्त किया गया। इतना ही नहीं समय-समय पर जिप अध्यक्ष द्वारा आवश्यकतानुसार दवाई उपलब्ध करायी जाती थी, लेकिन वर्ष 1986-87 के बाद इस औषधालय को दवाई आना बंद हो गया। वर्ष 2006 व 10 में जिप अध्यक्ष व जिप सदस्य के प्रयास से 10 लाख का 30 हजार 500 सौ की राशि से तीन कमरा चाारदीवारी निर्माण एवं पुराने भवन की मरम्मत की गई। क्या है परेशानी : इस औषधालय में चिकित्सक औषधि उपलब्ध नहीं रहने के कारण पुराना से पुराना गठिया, दमा, मिर्गी, साइटिका, एग्जीमा, डायबिटीज आदि रोगों का इलाज अंग्रेजी दावों से सत प्रतिशत नहीं हो पता है। यहां अंग्रेजी दवा से परेशानी को काम किया जा सकता है, लेकिन सदा के लिए इस बीमारी से छुटकारा पाना सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेद औषधालय में ही संभव है। कहां कहां से आते थे मरीज : इस आयुर्वेद औषधालय में प्रखंड ही नहीं गोगरी नारायणपुर सुल्तानगंज सहित आस-पास गांव के मरीज आया करते थे तथा इलाज बाद चंगा होकर जाते थे। बोले अध्यक्ष : विकास मद की राशि आने के पश्चात बहुत जल्द औषधालय की हर कमी को दूर कर इसे पुन: संचालित किया जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।