आंगनबाड़ी केंद्र मे एफआरएस तकनीक से हुआ टीएचआर वितरण
आंगनबाड़ी केंद्र मे एफआरएस तकनीक से हुआ टीएचआर वितरण आंगनबाड़ी केंद्र मे एफआरएस तकनीक से हुआ टीएचआर वितरण

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। आइसीडीएस अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से नामांकित लाभुकों को योजनाओं के लाभ से लाभांवित लगातार जारी है। टीएचआर वितरण में पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए एफआरएस (फेस रिकग्निशन सिस्टम) तकनीक से टीएचआर वितरण किया गया। एफआरएस तकनीक से टीएचआर लेने के लिए लाभूक स्वंय आंगनबाड़ी केंद्र पहुंच रहे हैं। टीएचआर वितरण से पूर्व सेविका द्वारा पोषण ट्रैकर एप्पलीकेशन के माध्यम से एफआरएस तकनिक से फोटो वेरिफिकेशन एवं मोबाइल में ओटीपी लेकर टीएचआर वितरण किया गया। आंगनबाड़ी केंद्रों में पारदर्शी तरीके से टीएचआर वितरण को लेकर जिला पदाधिकारी विशाल राज नजर रखे हुए हैं। आईसीडीएस डीपीओ जीनत यास्मीन ने बताया कि जिले के एक प्रखंड को छोड़ कर सभी प्रखंड में गुरुवार को एफआरएस (फेस रिकग्निशन सिस्टम) से टीएचआर वितरण किया गया।
एफआरएस तकनीक से टेक होम राशन (टीएचआर ) रेडी टू कुक सामग्री एक मुश्त 25 दिनों का वितरण जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू कुक टीएचआर सामग्री वितरण किया गया।उन्होंने कहा टीएचआर वितरण का अनुश्रवण एव निरीक्षण के लिए महिला पर्यवेक्षिका (एलएस) एवं कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। प्रत्येक केंद्र द्वारा पोषण ट्रैकर एप्पलीकेशन में मोबाइल ओटीपी के माध्यम से सत्यापित लाभार्थियों यथा गर्भवती-धात्री महिलाएं, एवं 6 माह से 3 वर्ष के कुपोषित, अतिकुपोषित बच्चों का टीएचआर का पैकेट पूर्व से ही तैयार कर रेडी टू कुक टीएचआर सामग्री वितरण किया गया। क्या है एफआरएस: एफआरएस (फेस रिकग्निशन सिस्टम) तकनीक से टीएचआर (टेक होम राशन) वितरण का मतलब है कि अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीएचआर लेने के लिए लाभुकों को स्वयं आना होगा.सेविका पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से एफआरएस का उपयोग करके टीएचआर वितरण को सुनिश्चित कर रही है। इस तकनीक में लाभार्थी का फोटो लिया जाता है, फिर उसे टीएचआर दिया जाता है। एफआरएस तकनीक से टीएचआर वितरण के पारदर्शिता: एफआरएस तकनीक से टीएचआर वितरण में पारदर्शिता आती है क्योंकि लाभुकों को स्वयं आना होता है और उनका फोटो लिया जाता है। वास्तविक लाभुकों को टीएचआर: एफआरएस तकनीक से वास्तविक लाभुकों को टीएचआर दिया जाता है, जिससे टीएचआर वितरण में होने वाली अनियमितताओं को रोक लगी है। एफआरएस तकनीक से टीएचआर वितरण की निगरानी करना आसान हो जाता है, क्योंकि हर वितरण को पोषण ट्रैकर ऐप में दर्ज किया जाता है।
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