ग्रामीण चिकित्सकों से उपचार कराने को मजबूर
ग्रामीण चिकित्सकों से उपचार कराने को मजबूर

सूर्यगढ़ा, निज प्रतिनिधि। नगर परिषद क्षेत्र और विभिन्न पंचायतों में स्वास्थ्य जागरूकता के अभाव में लोग अब भी ग्रमीण चिकित्सकों से उपचार कराने के लिए लाचार हैं। ऐसे लोगों से उपचार के नाम पर अधिक राशि वसूली जाती है तथा परामर्श भी सही रूप में नहीं दिया जाता है। कभी कभी तो आधे अधूरे उपचार के चलते अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना पड़ता है। इसके बाद ही मरीज की जान बचती है। ऐसे कई चिकित्सक हैं जो गांवों से लेकर बाजार तक अपना चिकित्सा केन्द्र खोले हुए हैं। इसके अलावा प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल भी खुले हुए हैं। लोगों का कहना है कि गांव और विभिन्न क्षेत्रों में वेलनेस सेंटर, अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र आदि में सुविधाओं की कमी है।
कहीं भवन नहीं है , तो कहीं अन्य सुविधाएं नहीं देखी जाती हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तो नाम का ही हॉस्पीटल रह गया है। इस संबंध में लोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रविशंकर प्रसाद सिंह अशोक ने कहा कि एक भी यहां सर्जन चिकित्सक नहीं है। एमबीबीएस चिकित्सकों की भी कमी है। यहां तथा विभिन्न अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्रों से आयुष चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की जाती है। इस कारण से लोग प्राइवेट चिकित्सकों के पास जाने के लिए लाचार होते हैं। स्थानीय सीएचसी में एएनएम, कुछ आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों तथा बिचौलियों की मदद से रोगियों को बाहर ले जाने की शिकायत बराबर की जाती है। इस सीएचसी में लोगों ने मामूली रूप से घायल या बीमारों को रेफर करने से भी परेशानी है। इस कारण से लोग ग्रामीण या निजी क्लिीनिक में जाना बेहतर समझते हैं। लोगों ने बताया कि केन्द्रीय सरकार की ओर से जो सस्ती दवा बेचने का केन्द्र है, वह सीएचसी परिसर में नहीं है। यह केन्द्र बाजार में चल रहा है और इसका आधा अधूरा फायदा ग्रामीण उठा पाते हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. वाई के दिवाकर का कहना है कि मरीजों की संख्या में कमी नहीं है, चाहे वह सीएचसी हो या वेलनेस सेंटर। सब जगह उपचार होता है और दवा दी जाती है। हॉस्पीटल में सभी सुविधाएं हैं। लोगों में जागरूकता की भी कमी है। वैसे एमबीबीएस चिकित्सक की तो कमी है।
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