अनुमंडल अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी, गंभीर मरीज कर दिए जाते रेफर
तारापुर अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। अस्पताल में 9 विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 3 चिकित्सक ही मौजूद हैं। गंभीर मरीजों...

तारापुर, निज संवाददाता। अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित अनुमंडल अस्पताल तारापुर चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा है। अस्पताल में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ऑक्सीजन प्लांट सहित पैथोलॉजिकल जांच की सुविधा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्स्कों की अनुपलब्धता गंभीर मरीजों के लिए बड़ी बाधा बनी हुई है। सर्दी, खांसी, बुखार जैसी सामान्य बीमारियों का इलाज तो संभव है, किंतु थोड़ी भी जटिल स्थिति होने पर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। 100 बेड वाले अनुमंडल अस्पताल में तारापुर, असरगंज के अलावा सीमावर्ती बांका क्षेत्र के मरीज भी इलाज कराने आते हैं। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पदों के चलते गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है।
चिकित्सकों की कमी के बावजूद यहां के दो चिकित्सक अन्य अस्पतालों में प्रतिनियुक्त हैं। डॉ. फैजुद्दीन को सदर अस्पताल मुंगेर और डॉ. संजय कुमार को धरहरा अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया गया है। वर्तमान में ओपीडी में 199 में 191 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं और आईपीडी (इंडोर) में 94 में से 85 प्रकार की दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं। पैथोलॉजिकल जांच की भी सुविधा है। अस्पताल में 9 विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें मात्र 3 चिकित्सक डॉ. शिम्पी शिल्पा (स्त्री रोग विशेषज्ञ), डॉ. रकिफ रजा (शिशु रोग विशेषज्ञ - प्रतिनियुक्ति पर), डॉ. प्रेम (नेत्र रोग विशेषज्ञ) है। शेष 6 पद खाली हैं। सर्जन, फिजीशियन, एनेस्थीसिया, हड्डी रोग, चर्म रोग, मनोविज्ञान, रेडियोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण विभाग बिना चिकित्सक के संचालित हो रहे हैं। ईएमटी का एकमात्र पद भी रिक्त है, और वर्षों से एक भी ड्रेसर अस्पताल में कार्यरत नहीं है। इमरजेंसी सेवा में ड्रेसर का कार्य फिलहाल जीएनएम कर्मियों द्वारा संभाला जा रहा है। ओपीडी में रोज तीन सौ से अधिक मरीज: अस्पताल की ओपीडी सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलती है, जिसमें रोजना तीन से चार सौ मरीज आते हैं। गंभीर मरीजों, विशेषकर सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। बोलीं प्रभारी उपाधीक्षक: हमारे पास संसाधन हैं, पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी एक गंभीर चुनौती है। फिर भी मरीजों को बेहतर सेवा देने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। गंभीर मामलों में प्राथमिक उपचार के बाद ही मरीजों को रेफर किया जाता है। डॉ. बिंदु कुमारी प्रभारी उपाधीक्षक, अनुमंडल अस्पताल, तारापुर। सीएचसी धरहरा में छह वर्ष बाद भी चिकित्सक आवास अधूरा धरहरा, एक संवाददाता। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धरहरा में छह वर्षो बाद भी चिकित्सक आवास अर्द्धनिर्मित पड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सकों के लिए अस्पताल परिसर में ही रहने के लिए भवन निर्माण कराए जाने की स्वीकृति दी गई। 2 करोड़ 11 लाख 48 हजार की लागत से ा वर्ष 2019 के जुलाई माह में काम शुरू हुआ। संवेदक को नौ माह के भीतर आवास कार्य को पूर्ण करना था। परंतु छह वर्ष बाद भी भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। इस बीच संवेदक भी बदले गए। परंतु निर्माण कार्य अब भी बंद है। अस्पताल प्रशासन की ओर से विभाग को शिकायत भी की गई। आवास निर्माण शुरू होने से चिकित्सकों को लगा कि अब अस्पताल परिसर में ही ठहरने की सुविधा होगी। इससे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को समय पर उपचार हो सकेगा। मौजूदा स्थिति में आवास सुविधा नहीं होने के कारण ज्यादातर चिकित्सक ड्यूटी ऑफ होने पर घर चले जाते हैं। ड्यूटी आने के दौरान ट्रेन अथवा अन्य साधनों के लेट रहने पर समय पर चिकित्सक अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे इलाज के लिए पीएचसी पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए कई बार डॉ को मरीजों के क्रोध का सामना भी करना पड़ा है। जबकि प्रावधान है कि सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को ड्यूटी ऑफ होने के बाद भी 24 घंटे इमरजेंसी सेवा के लिए तैयार रहना है। इसके लिए अस्पताल परिसर के दो से तीन किलोमीटर के दायरे में चिकित्सक का आवास होना अनिवार्य है। आवास को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बिल्कुल सटे बनाया जा रहा है। इस संबंध मे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अविनाश कुमार ने बताया कि एजेंसी ने दो माह से कार्य बंद कर रखा है। विभाग को इसकी जानकारी दे दी गई है। आवास नही रहने से चिकित्सकों को परेशानी हो रही है।
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