विकास की भेंट चढ़ा मैदान, नहीं है खेलने का दूसरा स्थान
मुजफ्फरपुर में एक लाख की आबादी के बीच खेल मैदानों की कमी हो रही है। सिकंदरपुर स्टेडियम का पुनर्निर्माण चार साल से चल रहा है और इस कारण यहां खेलने का कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है। स्थानीय पार्षद ने पटना...

मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। शहर की करीब एक लाख आबादी के बीच मैदान की कमी खल रही है। चार साल पहले सिकंदरपुर का खेल मैदान स्टेडियम के जीर्णोद्धार की भेट चढ़ गया। स्टेडियम का पुनर्निर्माण शुरू होने के साथ मैदान बंद हो गया। उसके बाद खेलने का दूसरा सार्वजनिक स्थान नहीं है। दरअसल, पहले सिकंदरपुर स्टेडियम के अंदर और बाहर खेलने का मैदान सुबह से शाम तक भरा रहता था। लोगों की सुबह-शाम की सैर के साथ ही बच्चों को क्रिकेट-फुटबॉल खेलने के लिए जगह की कमी नहीं होती थी। सिकंदरपुर, अखाड़ा घाट, सरैयागंज, ब्रह्मपुरा, जूरन छपरा, कंपनीबाग आदि इलाकों से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते थे।
वर्तमान में वहां मैदान से लेकर स्टेडियम में काम चल रहा है। वैसे, सिकंदरपुर स्टेडियम बन जाने के बाद भी उसमें स्थानीय खिलाड़ियों को जगह नहीं मिल पाएगी। कंपनीबाग स्थित शहीद खुदीराम बोस स्टेडियम में आम इंट्री नहीं है। नतीजतन खेलने के लिए सार्वजनिक मैदान या मुकम्मल जगह नहीं मिल रही है। पटना की तरह स्टेडियम के बाहर मैदान बनाने की मांग वार्ड 14 के पार्षद अमित रंजन ने कहा कि स्मार्ट सिटी से पटना के मोइनुल हक स्टेडियम की तरह सिकंदरपुर स्टेडियम के बाहर सार्वजनिक खेल का मैदान बनाने की मांग करेंगे। इससे खेलने के साथ ही लोगों को सुबह-शाम सैर में सुविधा होगी। इसको लेकर जल्द ही मेयर निर्मला साहू और नगर आयुक्त विक्रम विरकर से मिलकर हालात से अवगत कराया जाएगा। बॉक्स: 50 महीने बाद भी स्टेडियम का निर्माण कार्य अधूरा सिकंदरपुर स्टेडियम के पुनर्निर्माण का काम 15 महीने में पूरा करना था। हालांकि, 50 महीने बाद भी यह अधूरा है। आरंभ से ही निर्माण की धीमी रफ्तार के कारण पूर्व में कार्यरत एजेंसी को डीबार करने के बाद करीब सवा साल तक काम बंद रहा था। शेष बचे 47 प्रतिशत काम के लिए दोबारा टेंडर के बाद हाल में नई एजेंसी ने काम शुरू किया है। इसमें भी अगले माह जून में मानसून आने पर काम प्रभावित होगा। इन परिस्थिति में इस साल भी काम पूरा होने के आसार नहीं हैं। लोगों की बात: स्टेडियम के बाहरी ग्राउंड में पहले अक्सर क्रिकेट खेलते थे। सुरक्षा बल में बहाली की तैयारी कर रहे हैं, पर घर के पास दौड़ की प्रैक्टिस की भी जगह नहीं है। - अभिनव कुमार, काली मंदिर रोड, सिकंदरपुर एक तरफ स्टेडियम बन रहा है और दूसरी ओर यहां खेलने का मैदान नहीं है। सिकंदरपुर स्टेडियम के बाहर सार्वजनिक मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए। - राहुल कुमार, गोशाला रोड, सिकंदरपुर रिटायर होने के बाद दिनचर्या में सिकंदरपुर स्टेडियम में सुबह-शाम टहलना शामिल था। अब मास्क लगा कर मरीन ड्राइव इलाके में जाते हैं। - धर्मवीर चौधरी, संगम चौक, ब्रह्मपुरा स्टेडियम बनने के बाद इंट्री नहीं होगी। आम लोगों के लिए भी मैदान बनना चाहिए। मजबूरी में गली-मोहल्ले की सड़कों पर सिर्फ रविवार को किसी तरह क्रिकेट खेलते हैं। - सतेंद्र सहनी, कुंडल, सिकंदरपुर बयान: यह शहर का गौरवशाली प्रोजेक्ट है। डीपीआर के अनुसार स्टेडियम बन रहा है। इसमें जनहित को देखते हुए यथासंभव और सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर उच्चाधिकारियों के साथ ही मंत्रालय से बात की जाएगी। पूर्व में डीस्कोप होने के बाद प्रोजेक्ट को फिर से ठीक कराया जा रहा है। - निर्मला साहू, मेयर सह डायरेक्टर (एमएससीएल)
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