Severe Waterlogging in Muzaffarpur Residents Forced to Live as Tenants बरसात में घर छोड़ बन जाते किराएदार, शेखपुर में जलजमाव से स्थायी निजात की दरकार, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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बरसात में घर छोड़ बन जाते किराएदार, शेखपुर में जलजमाव से स्थायी निजात की दरकार

मुजफ्फरपुर के शेखपुर मोहल्ले में जलजमाव की समस्या हर साल बरसात में बढ़ जाती है। लोग अपने घर छोड़कर ऊँची जगहों पर किराए पर रहने को मजबूर हैं। स्थानीय नालियों का अतिक्रमण और खराब स्थिति के कारण पानी...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरMon, 16 June 2025 06:20 PM
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बरसात में घर छोड़ बन जाते किराएदार, शेखपुर में जलजमाव से स्थायी निजात की दरकार

मुजफ्फरपुर। शहर का एक ऐसा मोहल्ला, जहां बरसात में अपना घर छोड़ लोगों को दूसरे के यहां किराएदार बनकर रहना पड़ता है। जलजमाव के कारण अखाड़ाघाट शेखपुर की यह हर साल की समस्या है। नदी के किनारे स्थित मोहल्लों में बारिश का पानी स्लुइस गेट होकर नदी में चला जाता है। लेकिन, शेखपुर में स्लुइस गेट पर अतिक्रमण और जाम नालों के कारण पानी नहीं निकल पाता। बरसात में तीन महीने यहां की सड़कें और गलियां डूब जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि निचले इलाके के घरों में घुटनों भर पानी लगा रहता है। मानसून आने वाला है। तात्कालिक इंतजाम भी कर दिया जाए तो लोगों की परेशानी कुछ हद तक कम हो सकती है।

बरसात आने ही वाली है, लेकिन इस साल भी पानी निकासी के लिए शेखपुर इलाके में कोई काम नहीं हुआ है। इस बार भी लोगों को तीन महीने तक जलजमाव के कारण होने वाली परेशानियों की चिंता सता रही है। सड़क पर गंदे पानी से आवागमन के कारण लोगों के पैर में जख्म हो जाता है। चूल्हा-चौका और किचेन से बेडरूम तक बारिश का पानी जमा रहता है। समस्या से निजात मिलनी मुश्किल है, इसलिए अभी से ही इलाके के लोग ऊंचे स्थानों पर किराए का मकान तलाश रहे हैं। राहुल रंज, संजीव कुमार मिश्रा का कहना है कि शहर से सटे इस पंचायत क्षेत्र में नगर निगम के स्तर से भी कोई काम नहीं किया जाता है। पंचायत स्तर पर छोटा नाला बना भी है तो उसकी कनेक्टिविटी नहीं है। स्लुइस गेट से जिया लाल चौक तक नाला बना है, लेकिन यह कई जगहों पर ध्वस्त हो चुका है। बचे हुए नाले कूड़े-कचरे से पटे हैं। इससे पानी निकासी संभव नहीं है। दो जगहों पर स्लुइस गेट है, जिससे पानी निकासी की व्यवस्था हो सकती थी, लेकिन दोनों स्लुइस गेट के पास अतिक्रमण कर लिया गया है।

अधिकतर गलियों में सड़क के साथ नाला नहीं

रमेश कुमार सिंह, विजय कुमार सिंह व अन्य का कहना है कि शेखपुर में अधिकतर गलियों में सड़क के साथ नाला नहीं बना है। शेखपुर माई स्थान से जिया लाल चौक तक जर्जर सड़क पर जलजमाव से लोग बरसात के तीन माह तक गिरते-पड़ते निकलते हैं। स्कूल जाने के लिए घर से ड्रेस पहनकर बच्चे नहीं निकलते हैं। मोहल्ले का जलजमाव पार करने के बाद मुख्य सड़क पर आने के बाद स्कूल ड्रेस और जूता पहनना पड़ता है। शेखपुर ढाब मोहल्ले में तीन माह तक नाव से ही लोग घर पहुंचते हैं। मुख्य सड़क पर नाव चलती है। कहने को सरकारी नाव होती है, लेकिन आने-जाने वाले लोगों से नाव वाले मोटी रकम वसूलते हैं। बारिश में दो साल पहले बनी सड़क पिछले साल बरसात के समय जलजमाव के कारण टूट गई। इस साल अब तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। गड्ढे में तब्दील हो चुकी सड़क पर घुटने भर पानी रहता है। शेखपुर व नाजिरपुर इलाके की आबादी करीब दो लाख से अधिक है। इतनी बड़ी आबादी वाले इलाके में लोगों को बरसात के समय प्रशासन उनके हाल पर छोड़ दे रहा है। पंचायत के मुखिया के प्रयास पर मुशहरी प्रखंड से दो नाव और वाटर पंप चलाने की मंजूरी मिलती है। बरसात के पानी से घिरे लोगों में बाढ़ राहत बांटने की नौबत आ जाती है।

स्लुइस गेट से हो नाले का निकास

निरंजन राय व अन्य लोगों का कहना है कि यह इलाका बोचहां विधानसभा क्षेत्र में आता है। पिछले चुनाव में विधायक ने सड़क व नाला बनवाने का वादा किया था। ग्रामीण कार्य विभाग से सड़क निर्माण के साथ नाला बनाने का टेंडर नहीं होता है। इसलिए इलाके को जलजमाव की समस्या से निजात नहीं मिल पाती है। यदि सड़क के साथ नाला बनाने की योजना हो तो समस्या का हल निकल सकता है। शेखपुर माई स्थान से जियालाल चौक और अहियापुर से जिया लाल चौक होकर स्लुइस गेट तक एक मीटर चौड़ा नाला बन जाए और इस नाले का निकास स्लुइस गेट से हो जाए। गलियों की नालियों का जुड़ाव इस मुख्य नाले से हो जाए तो इलाके को जलजमाव की समस्या से निजात मिल सकती है। इसके लिए शेखपुर संघर्ष समिति के कार्यकर्ता कई बार स्थानीय विधायक और सांसद के पास पहुंचे, लेकिन उन्हें वादा के अलावा और कुछ नहीं मिला। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि अगले साल फिर चुनाव आने वाला है। प्रत्याशी इस इलाके को जलजमाव से मुक्ति दिलाने का वादा करेंगे और लोगों से वोट मांगेंगे। कई बार शेखपुर में वोट बहिष्कार का भी ऐलान किया जा चुका है।।

दूर-दराज के गांवों से आकर शेखपुर इलाके में बसी हुई 80 प्रतिशत आबादी

शेखपुर इलाके की 80 प्रतिशत आबादी दूर-दराज के गांव से आकर बसे हुए लोगों की है। जलजमाव की समस्या के बावजूद इस इलाके में 50 से 60 लाख रुपये कट्ठे की दर से जमीन बिकती है। बरसात के चार माह फजीहत के बावजूद इलाके में लोग मंहगी जमीन खरीदकर बसते हैं। नाले की समूचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण अधिकतर घरों में सोख्ता बने हुए हैं। लेकिन, बरसात के समय सोख्ता भी भर जाता है। इस स्थिति में घर का गंदा पानी भी निकलना मुश्किल हो जाता है। बरसात के बाद इलाके में शौचालय की टंकी सफाई करने वाले निजी संस्थानों की चांदी कटती है।

खाली पड़े घरों में नाव से पहुंचकर चोरी करते हैं चोर, नल तक खोलकर ले जाते

बरसात के समय पानी से घिरे घर को खाली कर कई परिवार ऊंचाई वाले मोहल्ले में चले जाते हैं। जिनका अपना मकान है, वह भी किराए के मकान में चार माह रहते हैं। खाली घरों में नाव से पहुंचकर चोर चोरी करते हैं। घर में लगे नल तक खोलकर ले जाते हैं। इसलिए बरसात के चार माह तक इस इलाके में चोरी की वारदात का ग्राफ बढ़ा रहता है। बारिश के पानी से घिरे होने के कारण इलाके में पुलिस की गश्त भी नहीं होती है। मुख्य सड़क से कभी पुलिस का गश्ती दल आता भी है तो उसे पानी को पार करने के लिए जूता और पैंट तक बदल लेना पड़ता है।

मोहल्ले को नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव भी नहीं हुआ मंजूर

शेखपुर और नाजिरपुर मोहल्ले को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव है। नगर आयुक्त और जिलाधिकारी ने कई बार प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा, लेकिन इस इलाके को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ। यदि इलाका नगर निगम में शामिल हो जाए तो यहां सड़क के साथ नाले की समुचित व्यवस्था हो जाती। लेकिन, नगर निगम में शामिल होने पर होल्डिंग टैक्स लगेगा। इसलिए इलाके को नगर निगम में शामिल करने का राजनीतिक विरोध है। इससे हर बार प्रस्ताव लटक जाता है। यही कारण है कि यहां की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो पाता है।

सड़क व नाला निर्माण के लिए कई बार लिखा गया : विधायक

शेखपुर, नाजिरपुर, अहियापुर, राघोपुर और मुरादपुर बरसात के पानी में डूबता है। कई बार सड़क के साथ नाला निर्माण की योजना लिखकर भेज चुका हूं। लेकिन, मुख्यालय स्तर से सड़क पास होती है तो एस्टीमेट से नाले की योजना की कटौती कर दी जाती है। जिला के प्रभारी मंत्री को भी बताया। बीस सूत्री की बैठक में मुद्दा उठा चुका हूं। विधायक का फंड भी नहीं है, योजना लिखकर देने पर भी स्वीकृत नहीं की जा रही है।

-अमर पासवान, बोचहां विधायक

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