बोले पटना : गांधी घाट में पार्किंग और पेयजल का इंतजाम नहीं, ट्रैक भी टूट रहे
पटना का गांधी घाट गंगा के किनारे एक शांत और खूबसूरत स्थल है, जहां युवा पढ़ाई या काम के बाद सुकून के पल बिताते हैं। हालांकि, यहां शुद्ध पेयजल, शौचालय और सुरक्षा की कमी है, जिससे आगंतुकों को परेशानी...
पटना में गंगा के किनारे गांधी घाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण खास तौर पर युवाओं को आकर्षित करता है। शहर की भागदौड़ और शोरगुल से दूर यहां गंगा की बहती धारा मन को सुकून प्रदान करती है। हर शाम पढ़ाई या काम के बाद बड़ी संख्या में युवा यहां सुकून भरे कुछ पल बिताने पहुंचते हैं। लेकिन, गांधी घाट आने वाले लोगों का कहना है कि यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है। न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है, न ही पर्याप्त संख्या में शौचालय हैं। इससे आगंतुकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रिवरफ्रंट पर सैर के लिए बने ट्रैक अब जर्जर हो चुके हैं।
इसके अलावा, घाट के पास पार्किंग सुविधा न होने के कारण वाहन खड़े करने में दिक्कत होती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से किसी गार्ड की तैनाती नहीं है। इससे सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है। लोगों का कहना है कि इस ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएं ताकि यह स्थल और अधिक आकर्षक और सुरक्षित बन सके। ::: मुख्य खबर ::: पटना स्थित गांधी घाट गंगा के किनारे मनोरम स्थल होने की वजह से लोगों के घूमने-फिरने और सुकून के कुछ पल गुजारने की पसंदीदा जगह है। पटना के लोग तो यहां आते ही हैं, दूसरे शहरों से पटना आने वाले लोग भी यहां घूमने के लिए पहुंचते हैं। गांधी घाट को पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है। यह घाट रिवरफ्रंट, क्रूज सेवा और भव्य गंगा आरती के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। लेकिन, इन तमाम खूबियों के बावजूद गांधी घाट पहुंचने वाले लोग यहां कई सुविधाओं की कमी और रखरखाव के अभाव की शिकायत करते हैं। उनका कहना है कि साफ-सफाई, शौचालय, पेयजल और सुरक्षा को दुरुस्त करने की जरूरत है। घाट की सीढ़ियों पर अक्सर कचरा बिखरा रहता है, जिससे उसकी सुंदरता प्रभावित होती है। रिवरफ्रंट पर सैर के लिए बने ट्रैक अब जर्जर हो चुके हैं। कई जगहों पर ट्रैक टूटे हुए हैं, जिससे वहां टहलने वालों को असुविधा होती है। शाम की सैर पर आए मुन्ना कुमार कहते हैं कि घाट पर साफ-सफाई की काफी कमी है। ट्रैकों पर कचरा पड़ा रहता है, जो न सिर्फ देखने में खराब लगता है बल्कि चलने में भी परेशानी होती है। घाट की दीवारों पर बनाई गई सुंदर पेंटिंग्स जो कभी इसकी खासियत हुआ करती थी, अब धीरे-धीरे फीकी पड़ रही है। घाट पर साफ-सफाई और रखरखाव की कमी गंगा किनारे बसा यह स्थल शांत वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य और ताजगी भरी हवा के लिए जाना जाता है। एनआईटी मोड़ से ही युवाओं की भीड़ नजर आने लगती है, जो कॉलेज या कोचिंग की छुट्टी के बाद कुछ पल सुकून की तलाश में यहां पहुंचती है। पढ़ाई और करियर के दबाव से घिरे छात्र इस घाट पर बैठकर खुद को मानसिक रूप से हल्का और तरोताजा महसूस करते हैं। छात्र शिव कुमार बताते हैं कि पूरे पटना में मुझे अगर सबसे ज्यादा सुकून कहीं मिलता है, तो वो गांधी घाट है। जब पढ़ाई या भविष्य की चिंता से मन बोझिल हो जाता है, तब मैं यहां आकर बैठता हूं। गंगा की ठंडी हवा और शांत माहौल बहुत राहत देते हैं। लेकिन घाट पर सुविधाएं नहीं होने से मन को तकलीफ पहुंचती है। घाट पर सुविधाएं नहीं होने से लोगों को परेशानियों को सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गांधी घाट पर साफ-सफाई और रखरखाव की कमी है। शाम होते ही असामाजिक तत्वों का लग जाता है जमावड़ा पटना का गांधी घाट जहां दिनभर रौनक और सुकून का माहौल रहता है, वहीं शाम ढलते ही यह स्थान असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है। घाट पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी और सुरक्षा गार्ड न होने से यहां शाम के समय लोगों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन गई है। स्थानीय लोगों और वहां घूमने आने वाले युवाओं का कहना है कि जैसे ही अंधेरा छाता है, कुछ मनचले और नशे में धुत युवक घाट के आसपास मंडराने लगते हैं। ये लोग न सिर्फ आने-जाने वालों पर टिप्पणियां करते हैं, बल्कि नशे की हालत में झुंड बनाकर घूमते हैं जिससे माहौल भयावह हो जाता है। यह स्थिति खासकर महिलाओं और परिवारों के लिए असहज बन जाती है। कई लोग इसलिए शाम के बाद घाट पर आना भी छोड़ चुके हैं। स्थानीय निवासी ममता कुमारी कहती हैं कि घाट पर अगर पुलिस की तैनाती या गश्त हो तो इन असामाजिक गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके साथ ही, स्थायी सुरक्षा गार्डों की तैनाती भी ज़रूरी है ताकि पर्यटक और स्थानीय लोग बिना किसी डर के घाट का आनंद ले सकें। ----- ------- दर्द-ए-दास्तां घाट परिसर में सिर्फ एक शौचालय, वह भी काफी दूर गांधी घाट पर शौचालय न होने से खास तौर पर महिलाओं को परेशानी होती है। आरती कुमारी बताती हैं कि मुझे गंगा किनारे बैठना और इसे घंटों निहारना बहुत पसंद है। जब भी समय मिलता है, मैं यहां जरूर आती हूं। लेकिन महिलाओं के लिए यहां कोई उचित सुविधा नहीं है। वह बताती हैं कि घाट परिसर में एक शौचालय है,जो काफी दूर है। उसकी सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है। कई बार वहां पानी तक नहीं होता, जिससे उसका इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि घाट के मुख्य द्वार के पास स्थित मंदिर के पास एक नल है, लेकिन वह पीने योग्य नहीं है। गर्मी के मौसम में, जब लोग बच्चों के साथ घूमने आते हैं, तो पीने के पानी का अभाव बड़ी समस्या बन जाती है। वाहन से आने वालों को होती है दिक्कत पटना के गांधी घाट पर जहां पर्यटक गंगा के सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं, वहीं सुबह-शाम टहलने वाले स्थानीय लोग और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। लेकिन इस भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में पार्किंग की सुविधा न होने से लोगों को परेशानी होती है। बाजार समिति इलाके में किराये पर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले रुपेश कुमार बताते हैं कि जब पढ़ाई के दौरान मानसिक रूप से थक जाता हूं तो मैं गांधी घाट पर टहलने आता हूं। यहां आकर मानसिक शांति मिलती है। लेकिन जब भी दोपहिया वाहन लेकर आता हूं, वाहन खड़ा करने की बहुत दिक्कत होती है। सुबह से लेकर शाम तक यहां टहलने, घूमने और व्यायाम करने वालों की भीड़ लगी रहती है। खासकर गंगा आरती के समय यह संख्या दोगुनी हो जाती है। बावजूद पार्किंग की कोई निर्धारित व्यवस्था नहीं है। लोग मजबूरी में अपने वाहन सड़क किनारे असुरक्षित रूप से खड़े कर देते हैं। ---- ------ शिकायतें 1. गांधी घाट पर शुद्ध पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को परेशानी होती है। 2. घाट परिसर में सुरक्षा की व्यवस्था नाकाफी है, लोगों को चिंता बनी रहती है। 3. घाट पर आवारा कुत्ते घुमते रहते हैं, जो इधर-उधर गंदगी फैलाते हैं। 4. घाट परिसर के बाहर पार्किंग की समस्या है। अक्सर गाड़ियां चोरी हो जाया करती हैं। 5. मौसम की मार से बचने के लिए घाट पर शेड की व्यवस्था नहीं है। सुझाव 1. गांधी घाट पर लोगों के लिए शुद्ध पेयजल और शौचालय की व्यवस्था की जाए। 2. घाट पर लोगों की सुरक्षा के लिए गार्डों की तैनाती और पुलिस की नियमित गश्ती हो। 3. घाट पर नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था की जाए। 4. घाट के पास वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की जाए। जहां वाहन सुरक्षित पार्क किए जा सकें। 5. घाट पर लोगों के बैठने के लिए शेड की व्यवस्था की जाए। पुराने शेड को दुरुस्त किया जाए। संस्कृति, श्रद्धा और सौंदर्य का संगम है पटना का गांधी घाट गंगा किनारे बसे पटना की पहचान उसकी प्राचीन विरासत की वजह से भी है। गंगा के तट पर स्थित पटना के कई घाट न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए सैर-सपाटे का भी प्रमुख स्थल बन चुके हैं। इन प्रमुख घाटों में से एक है- गांधी घाट। यहां आस्था, संस्कृति और पर्यटन का अद्भुत संगम दिखता है। यह घाट गंगा दशहरा, छठ और अन्य पर्व-त्योहारों के अवसर पर विशेष रूप से जीवंत हो उठता है। यहां हर शनिवार और रविवार को मां गंगा की आरती का आयोजन किया जाता है। मंत्रोच्चारण, डमरू की गूंज और दीपों की रौशनी से जब गंगा की धाराएं चमकने लगती हैं, तो वह दृश्य आत्मा को छू लेने वाला होता है। शाम छह से आठ बजे तक चलने वाली यह आरती, न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव भी है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। गंगा विहार रिवर क्रूज : गंगा पर अद्भुत अनुभव गांधी घाट से गंगा विहार रिवर क्रूज का सफर शुरू होता है। इसे नमामी गंगे परियोजना के अंतर्गत शुरू किया गया था। यह क्रूज पर्यटकों को गंगा के सौंदर्य का आनंद एक नए अंदाज में लेने का मौका देता है। चमचमाती लाइटें, मधुर संगीत, स्वादिष्ट खानपान और जल पर चलते हुए अनुभव -यह सब मिलकर एक यादगार शाम की सौगात बनाते हैं। लोग इसमें सैर करते हैं, जन्मदिन मनाते हैं या गंगा की गोद में कुछ पल सुकून के बिताने आते हैं। रिवरफ्रंट पथवे: आधुनिक पटना की शान पटना का रिवरफ्रंट पथवे गंगा तट के साथ विकसित की गई एक आधुनिक परियोजना है, जो लगभग 8 से 9 किलोमीटर लंबी और 4.5 मीटर चौड़ी है। यह पथवे कलेक्टरेट घाट से कंगन घाट तक फैला हुआ है। इस परियोजना को बुडको द्वारा निर्मित किया गया और नगर निगम इसके संचालन की जिम्मेदारी संभालता है। रिवरफ्रंट का उद्देश्य सिर्फ एक सैरगाह बनाना नहीं था, बल्कि यह पटना के नागरिकों को गंगा से फिर से जोड़ने का प्रयास है। यहां लोग सुबह टहलते हैं, योग करते हैं, साइकिल चलाते हैं और शाम के समय सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य देखने के लिए जमा होते हैं। यह स्थान केवल मनोरंजन का केंद्र नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों, त्योहारों और स्थानीय मेलों का भी केंद्र बन चुका है। यहां की दीवारों पर बनी वॉल पेंटिंग्स भी इस स्थान को कला से जोड़ती हैं। रिवरफ्रंट: शिक्षा, खान-पान और आराम का संगम यह रिवरफ्रंट कई प्रमुख संस्थानों को जोड़ता है जैसे- एनआईटी पटना, पटना कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, पीएमसीएच और कलेक्टरेट। इन कॉलेजों के छात्र अक्सर यहां समय बिताने, पढ़ाई के तनाव से राहत पाने और गंगा की ठंडी हवा में सुकून के पल खोजने आते हैं। यहां खान-पान के भी कई विकल्प हैं, जो इस जगह को न केवल घूमने बल्कि ठहर कर स्वाद का आनंद लेने की भी वजह देते हैं। गांधी घाट का ऐतिहासिक महत्व गांधी घाट का विशेष ऐतिहासिक महत्व भी है। ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन यहीं से गंगा में किया गया था, जिसके कारण इस घाट का नाम ‘गांधी घाट पड़ा।
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