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नशे के अंधेरे से निकला मिहिर, अब दूसरों की जिंदगी संवारने का संकल्प

-फोटो : 01 :पूर्णिया, वरीय संवाददाता। पंजाब से इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट को नशे का चस्का लग गया। सिगरेट से शुरू हुआ नशे का शौक शराब, स्मैक से ले

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाMon, 9 June 2025 12:15 AM
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नशे के अंधेरे से निकला मिहिर, अब दूसरों की जिंदगी संवारने का संकल्प

पूर्णिया, वरीय संवाददाता। पंजाब से इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट को नशे का चस्का लग गया। सिगरेट से शुरू हुआ नशे का शौक शराब, स्मैक से लेकर ड्रग्स तक पहुंच गया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी भी मिल गयी। नौकरी के साथ नशे भी करने लगे। मगर कुछ वर्षों के बाद वजन कम होने लगा। शरीर पर प्रभाव तो पड़ने ही लगा सामाजिक बदनामी के साथ आर्थिक नुकसान अलग। परिवार वाले भी परेशान हो गए। आखिरकार एक दिन चेतना जाग गयी। 10 साल तक नशा करने के बाद इससे तौबा कर लिया। इतना ही नहीं अब नशे के चक्कर में फंसे लोगों की जिंदगी को बदलने का भी उन्होंने संकल्प ठान लिया है।

केंद्र सरकार से लाइसेंस प्राप्त कर संकल्प फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र खोल लिया है जहां इस वक्त अलग-अलग तरह के नशा करने वाले लोगों की जिंदगी बदलने लगी है। नशे के अंधेरे से निकलने वाला यह युवक मिहिर है। अब वह दूसरों को भी इसे दलदल से निकालने के लिए बेताब है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से बातचीत में मिहिर ने बताया कि किसी भी तरह का नशा करने वालों को जब तक अपनी गलती का एहसास नहीं होगा, वह नशा नहीं छोड़ सकता है। उनके मुताबिक नशा कोई आदत नहीं। नशा एक बीमारी है। यह सबसे बड़ी बीमारी बनती जा रही है और तेजी से बढ़ती भी जा रही है। नशा दिमाग के केमिकल को डिसबैलेंस कर देता है। इसलिए नशा करने की इच्छा पैदा होती है। नशा के लिए जब झूठ बोलना पड़े, चोरी करनी पड़े तो यह नाश का कारण बन जाता है। खुद नशा करने वाले के साथ-साथ उसके परिवार पर और समाज पर इसका प्रभाव पड़ने लगता है। मिहिर कहते हैं कि नशा करने वालों को स्वयं जागना होगा। तभी वह इस दलदल से बाहर निकल सकते हैं। सरकार को दोष देने या फिर कोसने से कुछ नहीं होगा। --- -केंद्र में 10 लोगों का इलाज, एक 13 साल का बच्चा भी : -खुद नशा छोड़ने के बाद उन्होंने दूसरों को भी इस दलदल से बाहर निकालने का संकल्प लिया। पूर्णिया संकल्प फाउंडेशन (नशा मुक्ति केंद्र)को रजिस्टर्ड कराया। इसके लिए सेंट्रल सरकार से लाइसेंस प्राप्त किया। यहां पर नशे के दलदल में फंसे लोगों को रखकर उनका इलाज किया जाता है। उनके पास 10 मरीज हैं। इसमें 13 साल का एक बच्चा भी है। सभी में सुधार हो रहा है। -योग-व्यायाम के बाद कहा जाता है अपनी गलती लिखें : -मिहिर के मुताबिक नशा के पीछे एक बड़ा सिंडिकेट है। सिस्टम को सब कुछ पता है। मगर उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। नशा करने वालों को खुद इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। नशा से तौबा करने का हौसला जिस दिन हो गया, उस दिन इस दलदल से आप स्वयं पार हो जाएंगे। केंद्र में लोगों को बताया जाता है कि नशा से उन्होंने क्या खोया है। उन्हें अपनी गलती लिखने के लिए कहा जाता है। योग और व्यायाम भी कराया जाता है।

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