नीलगायों के आतंक से चिंतित और परेशान हैं किसान
रघुनाथपुर में किसान नीलगायों और जंगली सुअरों के आतंक से परेशान हैं। नीलगायें मटर, चना, अरहर और सब्जी की फसलें बर्बाद कर रही हैं। जिला प्रशासन ने इन्हें मारने का आदेश दिया है, लेकिन यह आदेश कागजों पर...

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। नीलगायों के आतंक से किसान इन दिनों काफी परेशान हैं। नीलगायें दलहनी फसल मटर, चना और अरहर की फसल को तो चट ही कर रही हैं, गांव-टोला के अंदर घुसकर मक्का और सब्जी की फसलों को भी बर्बाद कर रही हैं।किसानों की लगातार मांग के बाद जिला प्रशासन ने नीलगायों और जंगली सुअरों को मारने का निर्णय लिया है। लेकिन, इन्हें मारने का सरकारी फरमान कागजों पर ही सिमटकर रह गया है। किसानों के फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाली दोनों ही जानवरों से किसानों की फसलों के बचाव के लिए राज्य सरकार ने नियम तो बना दिया, लेकिन इनका अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इन्हें मारने के लिए बनाए गए नियम कानून बेअसर साबित होने से किसान चिंतित और परेशान हैं। नीलगाय का नाम सुनते ही किसानों के चेहरे उतर जा रहे हैं। उन्हें यदि अपने फसलों का सबसे बड़ा दुश्मन कोई नजर आता हैं तो वह सिर्फ नीलगाय ही है। रात-रात भर जाग कर अपनी फसलों की रखवाली करने वाले किसानों को नीलगाय से निपटने का रास्ता अब तक नहीं नजर आ रहा है। वह नीलगाय के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। दियारा क्षेत्र के किसान तो नीलगाय (घोपड़ास) से परेशान है ही, सुअर इन्हें बर्बादी के कगार पर पहुंचा रही हैं। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता किसानों पर भारी प्रशासन ने नीलगायों को मारने के लिए भले ही फरमान जारी कर दिए हों, लेकिन, रघुनाथपुर में उनका फरमान बेअसर नजर आ रहा है। इधर, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता किसानों पर भारी पड़ रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी भी गोल-मटोल ही जवाब दे रहे हैं। रघुनाथपुर प्रखंड के निखती कला पंचायत में नीलगायों के आतंक से सभी परेशान हैं। वीरबहादुर राम, प्रह्लाद भगत, श्रीकिशुन भगत, राम बड़ाई भगत, बादशाह भगत आदि ने बताया कि पहले नीलगाय गांव के अंदर प्रवेश नहीं करती थीं। अब गांव के अंदर प्रवेश करके कोड़ार में लगाई गई हरी सब्जी चट कर जा रही है। करसर, बेलवार, बंगरा, नरहन, हरनाथपुर आदि गांवों के किसान भी परेशान हैं।
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