किसानों के लिए बारिश बनी काल, नहीं मिल रहा वाजिब दाम
बasantपुर प्रखंड के किसानों को लगातार बारिश के कारण मक्का की फसल में भारी नुकसान हुआ है। इस साल 14 ग्राम पंचायतों में 800 हेक्टेयर में मक्का की खेती की गई थी, लेकिन बारिश के कारण मक्का की कीमत 2050...

किसानों के लिए बारिश बनी काल, नहीं मिल रहा वाजिब दाम जिले का 70 प्रतिशत तक मक्का अकेले उगाता है बसंतपुर प्रखंड, प्रोसेसिंग यूनिट की मांग इस बार बसंतपुर की 14 ग्राम पंचायतों के 800 हेक्टेयर में हुई खेती लगातार हुई बारिश के कारण भीगी फसल, कीमत में आई गिरावट 2050 रुपये से शुरू होकर कीमत अब 1800 रुपए तक पहुंचा वीरपुर एक संवाददाता। जिले के कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत मक्का उत्पादन करने वाले बसंतपुर प्रखंड के किसान इन दिनों कस्मित को कोस रहे हैं। दरअसल, इलाके में लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों की मक्के की फसल बर्बाद हो गई है।
जिले में मक्का प्रोसेसिंग यूनिट लगे तो इससे किसानों को राहत मिल सकती है। इसको लेकर अब किसान मांग करने लगे हैं। बता दें कि बसंतपुर प्रखंड की 14 ग्राम पंचायत के 800 हेक्टेयर जमीन में इस साल किसानों नें मक्का कि खेती की थी। मक्का का उत्पादन भी काफी बेहतर रहा है, लेकिन मक्का को बारिश की खलल के बीच तैयार करना और सुखाकर बक्रिी करना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन रही है। जब फसल तैयार होनी शुरू हुई तो कीमत 2050 रुपये प्रति क्विंटल था। अब लगातार हो रही बारिश कारण मक्का के भीगने और सूखने के कारण साढ़े सतरह से 18 सौ पर कीमत अटक गई है। गौरतलब है कि मक्का की कीमत में यह गिरावट मक्का के बारिश में बार-बार भीगने से आई है। मक्का की खेती में गेहूं, धान की अपेक्षा लागत अधिक आती है। आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को महाजन से कर्ज लेकर इसकी खेती करनी पड़ती है। मक्का के उत्पादन के बाद किसानों की पहली प्राथमिकता उत्पादित मक्का की फसल को बेचकर महाजन का कर्ज चुकाना होता है। मक्का को रखने की जगह की समस्या भी उनको त्वरित रूप से मक्का को बेचने के लिए वाध्य करती है। जब कड़ी मेहनत से वे मक्का उपजाते हैं उसके बाद भी उनको वाजिब कीमत नहीं मिलती है तो उनके चेहरे से मक्का की बेहतर उत्पादन की खुशी काफूर होने लगती है। बिचौलियों के माध्यम से होती है खरीदारी मक्का की खरीदारी के लिए सीधे तौर पर ट्रेडिंग कम्पनी किसान के सामने नहीं आती। बिचौलिये ही किसान से खरीदारी करते हैं और मक्का कम्पनी तक मक्का को पहुंचाते हैं। उनको जब भुगतान होता है तब वे किसानों को मक्का का भुगतान करते हैं। देखा जाय तो किसान खुद अपनी उत्पादित मक्का का मालिक नहीं रहते, बिचोलिये ही उनके मक्का का मालिक बन जाते हैं। साल 2024 में सरकार ने व्यापार मंडल के माध्यम से किसानो से नर्धिारित एमएसपी पर मक्का की खरीदारी की थी। इसलिए किसानों को मक्का की वाजिब मिलने में आसानी हुई थी, लेकिन अब तक इस साल इसकी शुरुआत नहीं हो पाई है। ट्रेडिंग कम्पनियों का सीधे किसानों के सम्पर्क में नहीं आना भी किसानों के लिए समस्या है। जबकि पड़ोस के पूर्णिया में कई ट्रेडिंग कम्पनी कार्यरत हैं। लेकिन वे सीधे तौर पर किसानो के सम्पर्क में आने से कतराते हैं। बसंतपुर में मक्का के बड़े स्तर पर हो रहे उत्पादन को देखते हुए किसानों की ओर से मक्का प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की मांग उठने लगी है। बीते दिनों नगर पंचायत वीरपुर के जागरूक किसान अभय कुमार सिंह मुन्ना की अगुवाई में किसानो का एक प्रतिनिधि मंडल अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कुंदन कुमार से मिलकर एक ज्ञापन मक्का प्रोसेसिंग यूनिट की नर्मिाण के लिए दे चुके हैं। किसानों का मानना है की मक्का प्रोसेसिंग यूनिट अगर बसंतपुर वीरपुर में स्थापित हो जाय तो किसानों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और उनके उत्पादित मक्का का आसानी से वाजिब मूल्य मिल जायेगा। क्या कहते हैं क़ृषि अधिकारी इस बाबत अनुमंडल कृषि पदाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि हमारा काम किसानों को बेहतर, खाद, बीज उपलब्ध कराना है। हम यह जम्मिेदारी के साथ करते हैं, जहां तक उत्पादित मक्का की बक्रिी एवं मक्का प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की बात है हमने किसान प्रतिनिधि की ओर से की गई मांग को सरकार के वरीय अधिकारी तक पहुंचा दिया है।
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