ताप के दिन
भारतीय मौसम विभाग मंगलवार को जब दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश की चेतावनियां जारी कर रहा था, ठीक उसी समय उत्तर भारत के बाशिंदों के लिए उसके पास जो सूचनाएं थीं, वे बेचैन करने वाली ज्यादा हैं…

भारतीय मौसम विभाग मंगलवार को जब दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश की चेतावनियां जारी कर रहा था, ठीक उसी समय उत्तर भारत के बाशिंदों के लिए उसके पास जो सूचनाएं थीं, वे बेचैन करने वाली ज्यादा हैं। विभाग के अनुसार, उत्तर भारत में अगले तीन दिनों तक भीषण गर्मी पड़ेगी और तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच सकता है। राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में सोमवार को ही पारा 44.5 डिग्री के पार जा चुका था। लिहाजा, रेड अलर्ट जारी करते हुए विभाग ने उचित ही लोगों को यह सलाह दी है कि वे पर्याप्त पानी पीते रहें, मुमकिन हो, तो धूप में जाने से बचें, खासकर दोपहर में बाहर न निकलें! परेशानी की बात यह है कि हवा में आर्द्रता अधिक होने के कारण तापमान की तपिश दर्ज आंकड़े से कहीं अधिक चुभने वाली हो जाती है। यही वजह है कि सूर्यास्त के बाद भी घंटों तक हवाएं गरम रह रही हैं। देश में, जगह-जगह से आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। जिस समय मौसम विभाग ये सूचनाएं जारी कर रहा था, तभी राजधानी दिल्ली में आग लगने की एक दर्दनाक घटना भी सामने आई। ऐसे में, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोगों को विशेष रूप से सावधानी बरतनी चाहिए।
पिछले साल 18 जून तक ही 40,000 से ज्यादा हीटस्ट्रोक के संदिग्ध मामले सामने आए थे और 110 लोगों को लू व भीषण गर्मी के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 2022 में तो 730 लोग मारे गए थे। इस स्थिति से बचा जाना चाहिए। निस्संदेह, बहुत सारे लोगों, खासकर मजदूरों के लिए धूप में काम करने की मजबूरी हो सकती है। ऐसे में, नियोक्ताओं पर यह जिम्मेदारी आयद होती है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों को गंभीरता से लें और कामगारों के लिए अधिकतम राहत के रास्ते निकालें। पिछले कई वर्षों से संवेदनशील जिला प्रशासन चरम मौसमी स्थितियों में नियोक्ताओं के लिए दिशा-निर्देश जारी करते रहे हैं, खासकर ताप के ताये दिनों में दोपहर के चार घंटे तक खुले में काम लेने पर रोक होती है। महानगरों व बड़े शहरों में बिजली आपूर्ति पहले के मुकाबले काफी सुधरी है, लिहाजा लोगों के पास पंखे की कुछ राहत है, पर जिन शहरों-कस्बों को बिजली कटौती से गुजरना पड़ रहा है, वहां के लोगों के लिए घर के अंदर भी बहुत राहत नहीं। किसी भी चरम मौसमी स्थिति का सबसे बुरा असर हाशिये के लोगों पर पड़ता है। ऐसे लोगों को इन्हीं दिनों में सबसे अधिक परोपकारियों की दरकार होती है। भारतीय समाज में लंगर और छबील लगाने की बेहद मानवीय परंपरा रही है। अक्सर ये धार्मिक मौकों पर आयोजित किए जाते हैं। समाज का संपन्न तबका इन चरम मौसमी दिनों में अपने इस परोपकारी कर्म को अधिक सार्थक बना सकता है।
बढ़ते तापमान का असर सिर्फ मनुष्यों पर नहीं पड़ता, दूसरे जीव भी उसकी मार झेलते हैं। कुदरत ने भले उन्हें अलग-अलग भूगोल के हिसाब से गढ़ा है, पर सुविधापरस्त इंसानी समाज की गतिविधियों के कारण जलवायु में जो वैश्विक परिवर्तन हो रहा है, वे भी उसके शिकार बन रहे हैं। इसलिए नागरिक समाज को उनकी भी चिंता करनी होगी। उनके आहार-पानी का ख्याल पुण्य-कामना के लिए ही नहीं, मानवीय जिम्मेदारी के तहत भी रखा जाना चाहिए। साल-दर-साल तापमान अपने तेवर से चेता रहा है कि पेड़ बहुत जरूरी हैं, पानी को बचाइए, पर क्या हम उसकी चेतावनी समझ भी पा रहे हैं? अगर यूं ही गरमी बढ़ती रही, तो लोग लू से ही नहीं झुलसेंगे, अगलगी की घटनाएं भी बढ़ेंगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।