Hindustan opinion column 17 June 2025 हर एक भारतीय की गिनती का समय, Editorial Hindi News - Hindustan
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हर एक भारतीय की गिनती का समय

भारत में अंतत: जनगणना की अधिसूचना जारी हो गई और इसका स्वागत होना चाहिए। यह वैसे ही काफी देर से हो रही है। जनगणना साल 2021 में होनी चाहिए थी, पर 2025 में अधिसूचना जारी हुई है। अब जनगणना के पहले की तैयारियों को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाएगा…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 June 2025 10:47 PM
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हर एक भारतीय की गिनती का समय

संजय कुमार, प्रोफेसर, सीएसडीएस

भारत में अंतत: जनगणना की अधिसूचना जारी हो गई और इसका स्वागत होना चाहिए। यह वैसे ही काफी देर से हो रही है। जनगणना साल 2021 में होनी चाहिए थी, पर 2025 में अधिसूचना जारी हुई है। अब जनगणना के पहले की तैयारियों को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाएगा और अगले साल अक्तूबर से जमीनी स्तर पर देश के चार राज्यों में पहले गिनती का काम शुरू होगा। भारत जैसे विशाल देश में ऐसी गणना बहुत कठिन और व्यापक कार्य है। देश के पुख्ता आंकड़ों के लिए पूरी तैयारी के साथ ही नागरिकों के बीच जाना होगा और इसकी शुरुआत 16 जून को हो चुकी है।

जनगणना में देरी को लेकर खूब चर्चा हुई और अभी भी हो रही है। वैसे, 19वीं सदी में साल 1881 से ही आम जनगणना क्रम लगातार बना हुआ है। पिछली सदी में भी साल 1911, 1921 से 1991 तक दस-दस साल पर नियत समय से जगनणना होती रही है। 1941 एक अपवाद है। इस सदी में भी 2001 और 2011 में समय से गणना हुई है, लेकिन साल 2021 की गणना नहीं हो पाई। गणना न होने का एक बड़ा कारण कोरोना महामारी थी। तब देश में लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी था, इसलिए जनगणना के काम को टाला गया, इसमें कुछ गलत नहीं है। वैसे, यह ध्यान देने की बात है कि साल 1961 और साल 1971 में भी युद्ध जैसी स्थिति थी, लेकिन जनगणना का क्रम टूटने नहीं दिया गया था। महामारी ने गणना के क्रम को तोड़ दिया। हालांकि, विशेषज्ञों का यह मानना है कि साल 2022 से 2025 के बीच का समय जाया हुआ है। जब लॉकडाउन में ढील दी गई थी, उसके बाद जनगणना के काम को तेजी से किया जा सकता था। यह संयोग है कि जिन वर्षों में भारत विश्व में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने जा रहा था, उन्हीं वर्षों में आम जनगणना नहीं हुई।

खैर, अब जनगणना होगी, तो आधिकारिक रूप से दुनिया को पता चलेगा कि भारत में सबसे ज्यादा मानव आबादी रहती है। गणना से इस विशाल आबादी के अध्ययन में आसानी होगी। इसके विभिन्न आंकड़ों से नए-नए शोध के रास्ते खुलेंगे।

बहरहाल, यह गौर करने की बात है कि यह पहली ऐसी गणना हो रही है, जिसमें डिजिटल हुनर का इस्तेमाल किया जाएगा। पहले आंकड़ों का संकलन कागज व कलम के जरिये होता था। हमारे घरों में जनगणना विभाग से लोग आते थे और बड़े-बड़े फाॅर्म में कलम से सूचनाएं दर्ज करते थे। यही काम अब डिजिटल तरीके से होगा। टैब या लैपटॉप पर ही पूरा फॉर्म रहेगा और उसी में डाटा एंट्री होगी। इससे डाटा प्रोसेस करने या उपके संयोजन-समायोजन में बहुत सुविधा होगी। इसीलिए इस बार कम समय में जनगणना के आंकड़े उजागर होने लगेंगे।

आजकल किसी भी तरह की गणना या सर्वेक्षण का काम डिजिटल तरीके या फॉर्मेट में होता है। कागज-कलम का इस्तेमाल दस-पंद्रह साल पहले हुआ करता था। कागज पर आंकड़े जुटाकर उसको कंप्यूटर में दर्ज किया जाता था। इसमें काफी समय लगता था और त्रुटि की भी आशंका बनी रहती थी। अब हम आश्वस्त भाव के साथ कह सकते हैं कि जनगणना के आंकड़े ज्यादा सही और विस्तृत रूप में हमारे सामने आ सकेंगेे। हम कह सकते हैं कि यह अपने देश की सबसे आसान व अत्याधुनिक जनगणना होगी।

यह बताएगी कि देश ने कैसे तरक्की की है। याद कीजिए, पहले हम रेलवे टिकट या आरक्षण के लिए स्टेशन जाते थे, तब वहां कागज का फाॅर्म भरते थे, कतार में इंतजार करते थे। काउंटर पर बैठा क्लर्क कंप्यूटर में डाटा एंट्री करता था और कम से कम पांच मिनट में एक व्यक्ति को टिकट मिल पाता था। हालांकि, अब ऐसे टिकट लेने की मजबूरी खत्म हो चुकी है। हम घर बैठे टिकट ले रहे हैं। ठीक इसी तरह की समस्या डिजिटल दौर से पहले बैंकों में होती थी, पर अब हम डिजिटल रूप से विकसित हो चुके हैं और इस विकास का फायदा हमें जनगणना प्रक्रिया में मिलना तय है।

दो बातें ज्यादा गौर करने की हैं। देश में 1881 से लेकर अभी तक 15 जनगणनाएं हो चुकी हैं, यह 16वीं जनगणना है। इनमें सर्वाधिक चर्चित साल 1931 की जनगणना है। साल 1931 की जनगणना में आखिरी बार जातिगत जनगणना हुई थी और दूसरी बात, ताजा गणना में भी जातिगत जनगणना होने वाली है। इस बार हर व्यक्ति से उसकी जाति पूछी जाएगी। उसका रिकॉर्ड दर्ज किया जाएगा। और भी अनेक सवाल हैं, जो पहली बार पूछे जाएंगे। उदाहरण के लिए, यह पूछा जाएगा कि आपके पास क्रेडिट कार्ड है या नहीं, आपने उधार लिया है या नहीं। आपके घर में फ्रिज, एसी है या नहीं है। ऐसी ही कुछ अन्य जानकारियों को भी एकत्र करने की योजना है, ताकि भारत के आर्थिक, सामाजिक स्वरूप को स्पष्ट रूप से समझा जा सके।

ताजा जनगणना में महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि लोगों को ज्यादा सजग रहना होगा। आज हिन्दुस्तान के हर नागरिक को इस बात का गर्व होना चाहिए कि देश में उसकी गिनती हो रही है। जनगणना का काम जन-भागीदारी से ही संभव है। जब भी कोई जनगणना के काम के लिए हमारे घर आए, उसे हम स्पष्ट और सही जानकारी दें। अगर जनगणना अधिकारी हमारे घर से किसी कारण से खाली ही लौट जाएं, तो हम खुद पहल करके उन तक पहुंचें और उन्हें अपने से जुड़ी तमाम सूचनाएं दें। हमें केवल यह मानकर नहीं बैठना चाहिए कि कोई आएगा, तभी हम जानकारियां साझा करेंगे। सजग रहना होगा कि गणना में हम कहीं छूट न जाएं। यह सजग नागरिक के रूप में सक्रिय होने का समय है। देश को तेज विकास के लिए सही आंकड़ों की जरूरत है और सही आंकड़े हमारी भी जिम्मेदारी हैं। यह देश के नीति-निर्माण में अपनी भूमिका निभाने का समय है।

ध्यान रहे, जनसंख्या का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्रियों के बीच उत्साह का माहौल है और उन्हें आंकड़ों का ज्यादा इंतजार है। जनगणना से देश के विभिन्न पहलुओं का पता चलेगा। गरीबी, समानता, शिक्षा, आय, लिंग अनुपात, जाति, धर्म, सुविधा, संसाधन से जुड़ी ताजा सूचनाओं का इंतजार है।

अंत में, सवाल यह भी उठ रहा है कि जब जनगणना का समापन साल 2027 में होगा, तब क्या अगली जनगणना साल 2031 में हो सकेगी? इसे लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। अभी तक जो जनगणना वर्ष रहा है, क्या उसमें हुआ परिवर्तन अब स्थायी हो जाएगा? इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में सरकार ही देगी और हमें इसका इंतजार करना चाहिए।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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