UPI पर आ गया बड़ा अपडेट, सरकार ने ट्रांजैक्शन चार्ज पर क्या कहा
मीडिया में इस खबर ने जोर पकड़ा था कि सरकार 3,000 या 5000 रुपये से अधिक के यूपीआई भुगतान पर शुल्क लगा सकती है। वित्त मंत्रालय ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को उन अटकलों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि यूपीआई से होने वाले बड़े लेनदेन पर शुल्क लगाया जा सकता है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच ’एक्स” पर स्पष्ट किया कि सरकार की तरफ से ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है। यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर शुल्क लगाए जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह से निराधार और भ्रामक हैं। सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि मीडिया में इस खबर ने जोर पकड़ा था कि सरकार 3,000 या 5000 रुपये से अधिक के यूपीआई भुगतान पर शुल्क लगा सकती है। इसके लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) दोबारा लागू किया जा सकता है। दरअसल, यह दावा पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया की सिफारिश के आधार पर किया गया था। बताया गया था कि काउंसिल ने केवल बड़े व्यापारियों के लिए यूपीआई पर 0.3% का एमडीआर शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
वर्तमान में, रुपे के अलावा अन्य क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर 0.9% से 2% के बीच एमडीआर लगाया जाता है। एमडीआर वह शुल्क होता है, जो बैंक या भुगतान सेवा प्रदाता कंपनी व्यापारी से तब वसूलते हैं, जब कोई ग्राहक व्यापारी को भुगतान करता है। यह शुल्क सेवा परिचालन लागत के तौर पर वसूला जाता है।
सेबी ने नई यूपीआई भुगतान व्यवस्था अनिवार्य की
बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को कहा कि उसने प्रतिभूति बाजार के भीतर वित्तीय लेनदेन की सुरक्षा और पहुंच में सुधार के लिए निवेशकों से धन एकत्र करने वाले सभी पंजीकृत मध्यस्थों के लिए एक नई यूपीआई भुगतान व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया है।
हाल के वर्षों में कई गैर-पंजीकृत संस्थाओं ने धोखाधड़ी के जरिये निवेशकों को गुमराह किया है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए सेबी ने यह कदम उठाया है। सेबी के प्रमुख तुहिन कांत पांडेय ने यहां संवाददाताओं को बताया कि यह एकीकृत भुगतान प्रणाली (यूपीआई) भुगतान व्यवस्था एक अक्टूबर, 2025 से सक्रिय हो जाएगी।
पंजीकृत मध्यस्थों में शेयर ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, डिपॉजिटरी, निवेश सलाहकार और पोर्टफोलियो प्रबंधक शामिल हैं। ये मध्यस्थ वित्तीय बाजारों में निवेशकों और विभिन्न इकाइयों के बीच कड़ी की तरह काम करते हैं।
फर्जी तरीके से पहचान के इस्तेमाल की समस्या से बचने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए बाजार नियामक ने निवेशकों से धन एकत्र करने वाले सभी पंजीकृत बिचौलियों के लिए एक नए यूपीआई पता संरचना को अनिवार्य कर दिया है।
'सेबी चेक' नामक नई व्यवस्था तैयार हो रही
निवेशकों को सशक्त बनाने के लिए बाजार नियामक 'सेबी चेक' नाम की एक नई क्षमता विकसित कर रहा है। यह नया साधन क्यूआर कोड स्कैन कर या यूपीआई आईडी दर्ज करके और पंजीकृत मध्यस्थ के खाता नंबर एवं आईएफएससी कोड जैसे बैंक विवरणों की पुष्टि करके यूपीआई पहचान की प्रामाणिकता को सत्यापित करने में सक्षम करेगा। सेबी ने जनवरी में इस संबंध में एक परामर्श पत्र जारी किया था। उस पर आए सुझावों को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था की गई है।