बीमा पॉलिसी नियमों में हुआ बड़ा बदलाव, 1 अप्रैल से होगा लागू
- Insurance Policy Rules Change: ये नियम एक अप्रैल, 2024 से प्रभाव में आएंगे। यह निर्धारित करते हैं कि यदि पॉलिसी खरीदने के तीन साल के भीतर लौटाई या वापस की जाती है, तो सरेंडर वैल्यू समान या उससे भी कम रहने की संभावना है।

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) ने विभिन्न नियमों को अधिसूचित किया है। इसमें बीमा पॉलिसी वापस या सरेंडर करने से जुड़ा शुल्क भी शामिल है। इसमें बीमा कंपनियों को ऐसे शुल्कों का खुलासा पहले ही करना होता है। इरडा का कहना है कि यदि कोई पॉलिसी को अधिक अवधि के लिए रखता है, तो सरेंडर मूल्य अधिक होगा। इरडा ने यह फैसला जीवन बीमा कंपनियों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बाद लिया है।
इरडा (बीमा उत्पाद) विनियमन, 2024 के तहत छह नियमों को एक एकीकृत ढांचे में मिलाया गया है। ये नियम एक अप्रैल, 2024 से प्रभाव में आएंगे। यह निर्धारित करते हैं कि यदि पॉलिसी खरीद के तीन साल के भीतर लौटाई या वापस की जाती है, तो वापसी मूल्य समान या उससे भी कम रहने की संभावना है।
जिन पॉलिसियों को चौथे से सातवें वर्ष तक सरेंडर किया जाता है, उनकी सरेंडर वेल्यू में मामूली वृद्धि देखी जा सकती है। अगर पॉलिसीहोल्डर पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसी वापस करता है, तो कमाई और बचत हिस्से का भुगतान उसे किया जाएगा।
कारोबार सुगमता लक्ष्य
इरडा (बीमा उत्पाद) विनियम, 2024 का उद्देश्य बीमा कंपनियों को उभरती बाजार मांग के अनुसार तेजी से कदम उठाने में सक्षम बनाना, कारोबार सुगमता को बेहतर करना और बीमा को बढ़ावा देना है। इरडा ने बयान में कहा कि ये नियम उत्पाद डिजायन और मूल्य निर्धारण में बेहतर कामकाज को बढ़ावा देते हैं।
इसमें पॉलिसी वापसी पर गारंटीशुदा मूल्य और विशेष वापसी मूल्य से जुड़े नियमों को मजबूत करना शामिल है। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बीमाकर्ता प्रभावी निगरानी और उचित जांच-परख के लिए ठोस गतिविधियों को अपनाएं।
34 नियम छह नियमों से बदले गए
इरडा ने 19 मार्च को हुई अपनी बैठक में बीमा क्षेत्र के लिए नियामकीय ढांचे की व्यापक समीक्षा के बाद आठ सिद्धांत-आधारित एकीकृत नियमों को मंजूरी दी। यह एक अप्रैल से लागू होगा। इन नियमों में पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा, ग्रामीण और सामाजिक क्षेत्र की जिम्मेदारियां, इलेक्ट्रॉनिक बीमा बाजार, बीमा उत्पाद और विदेशी पुनर्बीमा शाखाओं के संचालन के साथ-साथ पंजीकरण, बीमा जोखिम और प्रीमियम के मूल्यांकन, वित्त, निवेश तथा कंपनी संचालन के पहलू जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
इरडा ने बयान में कहा, यह नियामकीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें 34 नियमों को छह नियमों के साथ बदला गया है। साथ ही नियामकीय परिदृश्य में स्पष्टता को लेकर दो नए नियम लाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि बीमा उद्योग, विशेषज्ञों और जनता सहित विभिन्न संबद्ध पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह कदम उठाया गया है।
चुकाए गए कुल प्रीमियम की वापसी राशि
नॉन-सिंगल प्रीमियम के लिए
दूसरे साल में 30%.
तीसरे साल में 35%.
चौथे और सातवें साल के बीच 50%.
अंतिम दो साल में 90%.
सिंगल प्रीमियम
तीसरे साल में 75%.
चौथे साल में 90%.
अंतिम दो साल में 90%.
इसे एक उदाहरण से समझते हैं - मान लेते हैं कि एक लाख के वार्षिक प्रीमियम वाली 15 साल की पॉलिसी को दूसरे साल में वापस कर दिया जाता है तो ऐसे में सरेंडर वेल्यू कुल 30,000 रुपए होगी (यानी कि प्रीमियम का 30%)। इस दौरान बीमाकर्ता के लिए सरेंडर चार्ज 70,000 रुपए होगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।