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UP Polytechnic : सरकारी नौकरी न मिलने से पॉलीटेक्निक के कई कोर्स पर संकट, 80 फीसदी सीटें खाली

  • सरकारी विभागों में पॉलीटेक्निक डिप्लोमा की नौकरी के अवसर कम होना कई कोर्सों की सीटें खाली रह जाने की बड़ी वजह है। पुराने कोर्स में रोजगार के अवसर कम हो गए हैं।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊ, कार्यालय संवाददाताThu, 16 Jan 2025 08:35 AM
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UP Polytechnic : सरकारी नौकरी न मिलने से पॉलीटेक्निक के कई कोर्स पर संकट, 80 फीसदी सीटें खाली

सरकारी नौकरियां न मिलने से उत्तर प्रदेश में पॉलीटेक्निक के कोर ब्रांच बंदी की कगार पर हैं। निजी कम्पनियों में भी इन कोर्स से जुड़े रोजगार के अवसर नहीं है। प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थाओं में छात्र और छात्राओं की संख्या लगातार घट रही है। निजी छोड़िये सरकारी संस्थानों में कई ट्रेड में 80 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। प्रदेश के पॉलीटेक्निक संस्थानों में इस सत्र में 90 हजार से अधिक सीटें खाली रह गईं हैं। बच्चों के दाखिला न लेने की वजह से दो दर्जन से अधिक संस्थानों ने कई ब्रांचों की पढ़ाई बंद कर दी है।

प्रदेश में राजकीय, अनुदानित, पीपीपी मॉडल एवं निजी 370 पॉलीटेक्निक संस्थान संचालित हो रहे हैं। फार्मेसी छोड़कर इंजीनियरिंग और अन्य टेक्निकल ट्रेड में करीब एक लाख 59 हजार सीट हैं। मौजूदा सत्र में काउंसलिंग के बाद पॉलीटेक्निक कॉलेजों में 90 हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं।

इन ब्रांच में घटे दाखिले

सिविल, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, आर्कीटेक्ट, इंटीरियर डिजाइनिंग, टेक्सटाइल, पीजीडीसीएस, पीजीडीए समेत दर्जन ब्रांचों में बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है। कई नए कोर्स का भी यही हाल है।

निजी संस्थानों में छात्रों में कमी आयी। राजकीय कॉलेजों में 80 से अधिक सीट पर दाखिले हुए। निजी कॉलेजों में 30 फीसदी सीटें भरी हैं- संजीव सिंह, सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद

कई कोर्स की जरूरत नहीं

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में पाथवे टू इम्प्लॉयमेंट समिट में महानिदेशक प्राविधिक शिक्षा अविनाश कृष्ण सिंह ने कहा था कि कई पुराने पाठ्यक्रम आज की जरूरत नहीं है। इनकी सीटें खाली जा रही हैं।

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छात्रों के दाखिले कम होने की पांच वजहें

1. सरकारी विभागों में पॉलीटेक्निक डिप्लोमा की नौकरी के अवसर कम होना

2. प्रदेश में निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर का कम होना

3. निजी कम्पनियों द्वारा 10 से 15 हजार रुपये मानदेय में दूसरे राज्य में काम करना

4. पुराने कोर्स में रोजगार के अवसर कम होना

5. संस्थानों की बदहाली और शिक्षकों की भारी कमी की वजह से भी कम हो रहे हैं दाखिले