What is secret of Mount Arafat, why Hajj pilgrims climb it on rough roads in the scorching sun in mecca क्या है अराफात की पहाड़ी का रहस्य, उबड़-खाबड़ रास्तों पर तपती धूप में क्यों चढ़ते हैं हज यात्री, International Hindi News - Hindustan
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क्या है अराफात की पहाड़ी का रहस्य, उबड़-खाबड़ रास्तों पर तपती धूप में क्यों चढ़ते हैं हज यात्री

हज इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है और आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर सक्षम मुस्लिमों के लिए यह जरूरी माना जाता है कि वह जीवन में कम से कम एक बार हज करे। इस साल हज करने के लिए दुनियाभर से करीब 15 लाख जायरीन मक्का पहुंचे हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, अराफात (सऊदी अरब)Thu, 5 June 2025 10:56 PM
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क्या है अराफात की पहाड़ी का रहस्य, उबड़-खाबड़ रास्तों पर तपती धूप में क्यों चढ़ते हैं हज यात्री

सऊदी अरब में तपती धूप में हज करने आए हजारों यात्री गुरुवार को इबादत के लिए अराफात पहुंचे। भीषण गर्मी के बीच उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलते हुए अराफात की पहाड़ी पर पहुंचकर यात्रियों ने वार्षिक हज के एक प्रमुख अनुष्ठान को पूरा किया। हज यात्रियों को सूर्यास्त तक अराफात में रहना होता है, जहां पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है।

क्या है अराफात की पहाड़ी का रहस्य

इस्लाम में अराफात की पहाड़ी का बहुत महत्व है। कुरान में अराफात का उल्लेख है और कहा जाता है कि यहीं पर पैगंबर मुहम्मद ने हज के मौके पर आखिरी खुतबा (उपदेश) दिया था। पैगंबर मुहम्मद साहब की हदीसों के मुताबिक अराफात का दिन वर्ष का सबसे पवित्र दिन होता है, जब अल्लाह अपने बंदों के करीब आता है और उनके गुनाहों को माफ कर देता है। अरफ़ात की पहाड़ी मक्का के पूर्व में एक ग्रेनाइट पहाड़ी है, जो शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।

हज तीर्थयात्री सऊदी अरब में मक्का के पास अराफात के मैदान से होते हुए अकाफात की पहाड़ी तक प्रार्थना करने, क्षमा मांगने और अपने विश्वास पर विचार करने के लिए इकट्ठे होते हैं। माउंट अराफात की ऊंचाई लगभग 70 मीटर है। इसे "दया का पहाड़" (जबल अर-रहमा) के नाम से जाना जाता है। इस्लामी परंपरा के अनुसार, यह पहाड़ी वह स्थान है जहाँ मुहम्मद ने खड़े होकर उन मुसलमानों को विदाई उपदेश दिया था जो उनके जीवन के अंतिम दिनों में हज के लिए उनके साथ गए थे ।

15 लाख मुसलमान हज करने मक्का पहुंचे

इस समय दुनिया भर से करीब 15 लाख मुसलमान हज करने मक्का पहुंचे हुए हैं। यमन के सलीम नाजी अहमद चार दिन तक सड़क मार्ग से यात्रा करने के बाद पड़ोसी देश सऊदी अरब पहुंचे हैं, क्योंकि वह हवाई यात्रा का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। उन्होंने एसोसिएटेड प्रेस से कहा, ‘‘हम यमन से चार दिन और रात की यात्रा करके आए हैं। यह बहुत थका देने वाला सफर था, लेकिन हम अल्लाह को खुश करने और फर्जों की अदायगी के लिए इस पवित्र और दुनिया के सबसे अच्छे स्थान पर आए हैं। वहीं मिस्र के हेतम सलीम ने कहा, ‘‘हम अपनी भावना को व्यक्त नहीं कर सकते। हम मुकद्दस मुकामों पर आकर सबसे बेहतर महसूस करते हैं।’’

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हज इस्लाम के पांच स्तंभों में एक

हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर सक्षम मुस्लिम के लिए यह जरूरी माना जाता है कि वह जीवन में कम से कम एक बार हज करे। अधिकारियों ने इस साल हज करने वाले कुल हाजियों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि 15 लाख से ज़्यादा विदेशी हज कर रहे हैं। पिछले साल देश के बाहर से 16,11,310 यात्री हज करने आए थे। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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