Illegal Sand Mining Continues Unchecked in Chas Impacting Housing Projects रात के अंधेरे व दिन के उजाले में बेखोफ चल रहा है अवैध बालू का कारोबार, Bokaro Hindi News - Hindustan
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रात के अंधेरे व दिन के उजाले में बेखोफ चल रहा है अवैध बालू का कारोबार

रात के अंधेरे व दिन के उजाले में बेखोफ चल रहा है अवैध बालू का कारोबाररात के अंधेरे व दिन के उजाले में बेखोफ चल रहा है अवैध बालू का कारोबाररात के अंधेर

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSat, 7 June 2025 11:30 PM
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रात के अंधेरे व दिन के उजाले में बेखोफ चल रहा है अवैध बालू का कारोबार

चास, विश्वजीत झा। चास निगम सहित विभिन्न ग्रामीण रास्तों से दामोदर व ईजरी नदी से बालू उठाव धडल्ले से जारी है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर बालू का अवैध उठाव किया जा रहा है। मजे कि बात है कि शहर व प्रखंड के चौक चोराहों पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। बावजूद इसके बालू कारोबारियों बेखौफ बालू का उठाव कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस व जिला प्रशासन को सीसीटीवी में बालू ले जाते नजर नहीं आ रहे हैं या फिर हो सकता है कि लगे सभी सीसीटीवी खराब पड़े हों, तब नजर नहीं आ सकता। सवाल है कि प्रशासन मौन क्यों है।

आमजनों का कहना है कि बालू कारोबारियों को स्थानीय पुलिस, खनन विभाग के पदाधिकारी व कर्मियों का कहीं न कहीं सह हो सकता है, तब तो ये बेखौफ होकर अपना कारोबार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार अब तक सरकार की ओर से बालू घाट का नीलामी नहीं हुई है, बावजूद इसके रात के अंधेरे से लेकर दिन के उजाले में दामोदर, इजरी नदी से बालू का उठाव हो रहा है। प्रतिदिन अहले सुबह 4 बजे जोधाडीह, धर्मशाला मोड़ में बालू लदे ट्रैक्टरों को चौक चोराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरा में देखा जा सकता है। पूर्व में जोधाडीह मोड़ चौक में बालू लदे वाहनों से स्थानीय पुलिस की ओर से वसूली लेने का मामला प्रकाश में आया था। इस बावत जिला खनन पदाधिकारी रवि कुमार सिंह का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल पर शाम 7.30 बजे तीन बार कॉल किया गया, रिंग हुई पर बात नहीं हो पायी। 500 से अधिक आवास पड़ा अधूरा : आलम यह है कि बालू के अवैध कारोबार के चलते आमजनों को महंगे दामों पर बालू की खरीदनी करनी पड़ रही है। बालू का मनमाना दर लिया जाता है। जानकारी के मुताबिक 3500 रूपये से 4500 रूपये प्रति ट्रैक्टर बालू बेचा जा रहा है। बालू महंगे होने से पंचायत और ग्राम स्तर पर प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य विभिन्न योजनाएं के निर्माण कार्य भी प्रभावित होने लगे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों की माने तो महंगे दाम पर बालू खरीदकर निर्माण करने से बजट गड़बड़ाने लगा है। जिस कारण प्रखंड के विभिन्न पंचायत गांव में 500 से अधिक आवास अधूरे पड़े हैं।

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