निगम क्षेत्र में शामिल विस्थापित मोहल्लों में जल संकट, चापाकलों के सहारे जलापूर्ति
निगम क्षेत्र में शामिल विस्थापित मोहल्लों में जल संकट, चापाकलों के सहारे जलापूर्ति निगम क्षेत्र में शामिल विस्थापित मोहल्लों में जल संकट, चापाकलों के

चास प्रतिनिधि। चास निगम क्षेत्र में दस वर्ष से शामिल विस्थापित मोहल्लोंवासियों को अब भी पेयजल संकट से राहत नहीं पहुंच पाया है। क्षेत्र के विभिन्न वार्ड में करीब 70 से अधिक विस्थापित मोहल्ला है। जिसमें 30 आजार की आबादी अभी भी निगम क्षेत्र में पेयजल जुगाड़ करने को लेकर काफी जद्दोजहद करने को विवश है। इसमें सांगजोरी, भवानीपूर साइड, हरला, आसनशोल, कुशलबंधा, प्रतापपूर साइड, पत्थरकट्टा, बांधगोड़ा, तेलीडीह सहित अन्य मोहल्ला शामिल है। निगम में शामिल होने से विस्थापितों को निगम से मूलभूत सुविधाओं को मिलने की आश जगी थी, लेकिन इन क्षेत्रों से निगम को होल्डिंग की प्राप्ति नही होने के कारण निगम की विभिन्न योजनाओं से क्षेत्रवासी अब तक वंचित है।
यहां के निवासियों की माने को चापाकल के सहारे पानी आपूर्ति होती है। इसमें भी विभिन्न वार्ड मोहल्ला के चापाकलों से निवासियों को घुम-घुमकर पानी जुगाड़ करना पड़ रहा है। निगम जलापूर्ति फेज-1 और 2 को लेकर अब भी 50 से अधिक किलोमीटर तक पानी बिछाने का काम अधर पर लटका है। इसको लेकर लगातार विस्थापित मोहल्लों में एजेंसी की कार्यशैली को लेकर विरोध प्रदर्शन होता रहा है। विस्थापित मोहल्लों में बढ़ी बोतलबंद पानी की मांग क्षेत्र में इन दिनों बोतलबंद पानी की मांग बढ़ गई है। लगमग घरों में 20-60 लीटर पानी खरीदा जा रहा है। जिससें लोगों का बजट गड़बड़ा रहा है, बावजूद पानी खरीदने को लेकर लोग विवश है। मांग बढ़ने से लीटर में पानी बेचा जा रहा है। जिसमें पानी की गुणवत्ता भी लोगों को सही नहीं मिल पाने की शिकायत है। बावजूद ऐसे पानी खरीदने को लेकर विस्थापित विवश है। जबकि ऐसे पानी की गुणवत्ता की जांच को लेकर भी लोगों ने कई बार आवाज उठाया। लेकिन नगर प्रशासन इस ओर भी पूरी तरह लापरवाह बनी हुई है। बांधगोड़ा, कुलटांड के कुछ इलाकों में दैनिक कमाने खाने वाले लोग रहते है। जल संकट को लेकर इन मोहल्लों के घनी आबादी खुले में शौच जाने को विवश है। जबकि घरों पर शौचायल है। लेकिन पानी की अभाव में लोग तालाब से सटे क्षेत्रों पर शौच जाने को विवश है। इस बाबत विस्थापित सागर कुमार, सोहम महतो ने इस ओर निगम प्रशासन को विशेष योजना के तहत काम करने की जरूरत है।
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