इचाक प्रखंड में लगाएग गए 793 चापानलों में 40 फीसदी खराब
इचाक में 19 पंचायतों में 793 सरकारी चापाकल लगाए गए हैं, जिनमें से 40% खराब हैं। गर्मी के मौसम में पानी की कमी के कारण ग्रामीणों को प्यास बुझाने के लिए दूर से पानी लाना पड़ता है। स्थानीय अधिकारियों ने...

इचाक प्रतिनिधि। इचाक 19 पंचायतों का प्रखंड है। इसमें करीब 98 राजस्व गांव हैं। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए विभाग की ओर से 793 चापाकल लगाए गए हैं। प्रखंड में निजी तौर पर 248 चापाकल लगाए गए हैं। सरकारी चापाकलों में से 40 फीसदी चापाकल खराब व जर्जर हालत में हैं। ऐसे चापाकलों से लोगों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में लोगों का हलक तपती गर्मी में सूख रहा है। लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए दूर से पानी लाना पड़ता है। जो चापाकल चालू हालत में हैं, उनसे पानी भरपूर मात्रा में नहीं निकलता।
लोगों को एक बाल्टी पानी के लिए घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है, तभी उन्हें पानी मिल पाता है। प्रखंड की आबादी करीब एक लाख बीस हजार है। पूरी आबादी के लिए विभाग की ओर से मात्र 793 चापाकल लगाए गए हैं, जो लोगों की प्यास बुझाने के अनुकूल नहीं हैं। इचाक के लोगों का कहना है कि एक भी चापाकल सही से काम नहीं करता। समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों और कर्मियों से कई बार शिकायत की गई, किंतु खराब व जर्जर चापाकलों की मरम्मत नहीं हुई। कुछ खराब चापाकलों की मरम्मत के बाद वे तुरंत खराब हो जाते हैं, जिसके चलते लोगों के कंठ सूखे ही रह जा रहे हैं। कम बारिश की वजह से पानी की परत (लेयर) काफी नीचे चला गया है। जिस कारण पुराने चापाकल प्रचुर मात्रा में पानी नहीं देते। विभागीय जेई अरुण कुमार की मानें तो मरम्मत्र के लिए टीम गठित की गई है। शिकायत मिलने पर खराब चापाकलों की मरम्मत की जा रही है। हासिल गांव में पानी के लिए परेशानी इचाक के हासिल गांव में लगभग 45 घर दलित लोगों के हैं। यहां की आबादी लगभग 480 है। यह गांव इचाक के उत्तरी छोर पर बसा है। इस गांव में लगे सभी चापाकल दम तोड़ चुके हैं। लोगों को प्यास बुझाने के लिए दूर से पानी लाना पड़ता है। इसके अलावा गरडीह, धरधरवा, शालूजाम, पूरन पनिया, तूरी, आरा, करमटांड़, बभनी, बांका, दिग्घी आदि गांवों के लोग गर्मी के दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी में पानी के बढ़ जाती है परेशानी झारखंड राज्य बनने के बाद भी दर्जनों गांवों के लोग विकास से कोसों दूर हैं। गर्मी के दिनों में लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। प्रखंड के अधिकांश कुएं सूख चुके हैं। पानी नहीं रहने के कारण कुओं को भर दिया जा रहा है। गांव के स्कूलों में लगे चापाकल भी खराब स्थिति में हैं, जिसके चलते बच्चों को बोतल में घर से पानी लाना पड़ता है। वहीं, मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए रसोइया को आधा किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है। धरधरवा में सभी जलमीनार खराब धरधरवा गांव के लोग इस तपती गर्मी में नाले और कुएं के पानी से प्यास बुझाने को विवश हैं। पेयजल विभाग की ओर से लगाया गया जलमीनार हर घर नल-जल योजना हाथी के दांत साबित हो रही है। अधिकांश जलमीनार खराब होने के कारण लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। लोग कुएं के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं। कई गांवों में जल-नल योजना को अधूरी स्थिति में छोड़ दिया गया है, जिसके चलते अभी तक लोगों को पीने का साफ पानी उनके घरों तक नहीं पहुंच पाया है।
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