हुनर को मिला सहारा तो अचार बन गया ब्रांड, 3 साल में ही 60 लाख का कारोबार
कोल्हान में देसी अचार अब पहचान बना रहा है। तीन साल पहले 10 लोगों के प्रयास से शुरू हुआ यह कारोबार आज 100 परिवारों की आजीविका का आधार बन चुका है। जल जीविका किसान प्रोड्यूसर संस्था के तहत काम करने वाली...

कोल्हान में बना देसी अचार अब सिर्फ स्वाद नहीं है, बल्कि यह अपनी पहचान भी बना रहा है। तीन साल पहले 10 लोगों के छोटे से प्रयास से शुरू हुआ यह अचार कारोबार आज पिपुल ब्रांड बनकर सौ से अधिक परिवारों की आजीविका का मजबूत आधार बन चुका है। लहसून, अदरक, आम और कलौंजी जैसे पारंपरिक स्वादों से भरपूर यह अचार अब बड़े ब्रांड को भी टक्कर दे रहा है। जल जीविका किसान प्रोड्यूसर संस्था के बैनर तले काम कर रही महिलाओं ने शुद्ध सरसों तेल और देसी मसालों से ऐसा स्वाद तैयार किया है कि झारखंड ही नहीं, ओडिशा और बंगाल तक इन अचार की मांग बढ़ गई है।
खास बात यह है कि इन अचार में कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता। वन विभाग बना बाजार का सेतु वन विभाग की पहल से अब इन अचार को बड़े बाजार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंचाया जा रहा है। इससे ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को अपनी आमदनी बढ़ाने का अवसर मिला है। 2022 में शुरू हुई यह यात्रा आज 60 लाख के सालाना कारोबार में बदल चुकी है। संस्था हर चार महीने में अचार की नई वेरायटी बाजार में उतारती है और फिलहाल नौ प्रकार के अचार तैयार किए जा रहे हैं। युवा महिलाएं बनीं सशक्त उद्यमी चाईबासा की गीता हेंब्रम जैसी कई युवतियों ने पढ़ाई के बाद नौकरी के बजाय इस व्यवसाय को चुना। पंद्रह हजार से शुरू किए गए उनके कारोबार ने एक लाख रुपये की बिक्री पार कर ली है। अचार सहित कई उत्पादों को लेकर वन विभाग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में है। खासकर वनोत्पाद से बनने वाले कई उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने को संकल्पित है। -सबा आलम अंसारी, डीएफओ, जमशेदपुर
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