दुर्गा वाहिनी का शौर्य प्रशिक्षण छठे दिन भी जारी, महाकंभ पर की चर्चा
लातेहार में विहिप के मंत्री विरेंद्र विमल ने कुंभ मेले की महिमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन से निकले अमृत की चार बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं, जहां हर...

लातेहार, प्रतिनिधि। विहिप के क्षेत्रीय मंत्री सह बिहार-झारखंड के पूर्व प्रांत मंत्री (संपर्क) विरेंद्र विमल ने कहा कि देवता व असुरों के बीच हुए समुंद्र मथन में अमृत निकला था। उसकी चार बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन व नासिक में गिरे थे। इन्हीं चार जगहों पर प्रति वर्ष 12 वर्ष में कुंभ मेला लगता है। श्री विमल शहर के सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में विश्व हिंदु परिषद की दुर्गा वाहिनी की आठ दिवसीय शौर्य प्रशिक्षण के छठे दिन को कुंभ की महिमा विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया गया।
यहां गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों का संगम होता है। इसे त्रिवेणी कहते हैं। इस महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवत्रि स्नान किया। विश्व हिंदु परिषद ने भी यहां एक बड़ा सा शिविर लगाया था। हनुमान जी का एक अस्थायी मंदिर भी बनाया गया था। कुंभ मेला कब से प्रारंभ हुआ, इस पर बोलते हुए उन्होने बताया कि ऋषि दुर्वाशा बहुत ही क्रोधी साधु थे। उन्होंने एक बार देवताओं को श्राप दे दिया तो इसमें देवता दुर्बल हो गये। देवता भगवान विष्णु ने मध्यस्थता की और देवता व असुरों को समुंद्र का मंथन करने को कहा। समुंद्र मंथन में जब अमृत निकला तो उसकी चार बुंदे जिन चार जगहों पर गिरी। वहां प्रति 12 वर्षों में कुंभ मेला लगता है। मौके पर प्रांत मातृशक्ति प्रमुख दीपारानी कुंज, जिला संरक्षक रामनाथ अग्रवाल, विहिप जिला अध्यक्ष श्याम किशोर अग्रवाल व जिला मंत्री संजय तिवारी आदि मौजूद थे।
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