श्री कृष्ण की बाल लीला देख भावुक हुए श्रद्धालु
साहिबगंज में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो रही है। कथा के चौथे दिन श्री कृष्ण जन्म उत्सव और अन्य महत्वपूर्ण कथाएं सुनाई गईं। कथावाचक ने जीवन जीने की कला पर भी...

साहिबगंज। शहर के पास स्थित अंबाडिहा गंगोता टोली मठिया के पास आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में रोजाना काफी संख्या में श्रद्धालु कथ श्रवण करने पहुंच रहे हैं। कथा के चौथे दिवस में श्री कृष्ण जन्म उत्सव व सूर्यवंश एवं चंद्रवंश की कथा, राजा अमरीश की कथा एकादशी कथा, राजा भगीरथ की कथा आदि पर विस्तार से कथा प्रस्तुत किया गया। कथा वाचक आचार्य धनंजय वैष्णव ने कहा की जो अपने इंद्रियों को बस में नहीं रखता, मनमाना आचरण करता, संयम और सत्संग नहीं करता, हमेशा पराया धन और पराई स्त्री के प्रति आकर्षित रहता है वही कंस है। जो सबको यश प्रदान करें, सबका यस देकर के खुश हो जाए उसी का नाम यशोदा है।
कथा रोजाना शाम 6:00 बजे रात्रि से 10:00 बजे हो रही है। कथा में विशेष रूप से वृंदावन से आए हुए झांकी मंडली की ओर से आकर्षक व सुंदर-सुंदर झांकियां दिखाई जा रही है। भजन मंडली की ओर से गीत-संगीत और भजनों का आनंद कथा प्रस्तुत किया जा रहा है। इससे श्रोता भाव विभोर हो उठते हैं। कथा आयोजन में समस्त ग्रामवासी का सहयोग है। कथा यज्ञ में लोगों को मिली जीवन जीने की कला की सीख, समापन पर हुआ हवन यज्ञ बरहड़वा, प्रतिनिधि। प्रखंड क्षेत्र के मोगलपाड़ा में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन शनिवार की देर रात हुआ। कथा के अंतिम दिन कथावाचक ने जीवन को जीने की कला भी समझाया। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को निहाल कर दिया। एक जून से शुरू कथा यज्ञ के दौरान बरहरवा के कथावाचक भक्ति नंद महराज ने विभिन्न प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभोर किया। कथा के अंतिम दिन कहा कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए, यह समझाया। कथावाचक ने सूर्यदेव से सत्रजीत को उपहार स्वरूप मिली मणि का प्रसंग सुनाते हुए मणि के खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा समेत से श्रीकृष्ण सभी आठ विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी बनी हुई 16 हजार 108 कन्याओं को मुक्त करवाया और उन्हें अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी। कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया। भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है। कथावाचक ने भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। इसके बाद मेरे सर पर रख बनवारी.... मेरे सिर पर रख गिरधारी ... एवं मेरा मन पंछी में बोले उड़ बृन्दावन जाओ....., हे राधे राधे गाओ...., हे श्यामा श्यामा गाओ... सहित कई कीर्तन प्रस्तुत किए गये। रविवार को हवन और प्रसाद वितरित किया गया। मौके पर कुलदीप रजक, संतोष रजक, कृपा सिंधु रजक, विश्वजीत रजक, विक्की रजक सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित थे।
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