Delhi court stenographer threatens suicide judge stop dictation of verdict स्टेनोग्राफर ने दी आत्महत्या की धमकी, जज को रोकना पड़ा फैसला; दिल्ली के कोर्ट में चौंकाने वाली घटना, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर NewsDelhi court stenographer threatens suicide judge stop dictation of verdict

स्टेनोग्राफर ने दी आत्महत्या की धमकी, जज को रोकना पड़ा फैसला; दिल्ली के कोर्ट में चौंकाने वाली घटना

दिल्ली की एक अदालत में चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक मामले में जज फैसला सुनाने को तैयार थे, उसी समय कोर्ट के स्टेनोग्राफर ने आत्महत्या करने की धमकी दे दी। जज को अपना फैसला रोकना पड़ा। जज ने फैसला सुनाने के लिए फिर से मामला सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 11 May 2025 04:23 PM
share Share
Follow Us on
स्टेनोग्राफर ने दी आत्महत्या की धमकी, जज को रोकना पड़ा फैसला; दिल्ली के कोर्ट में चौंकाने वाली घटना

दिल्ली की एक अदालत में चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक मामले में जज फैसला सुनाने को तैयार थे, उसी समय कोर्ट के स्टेनोग्राफर ने आत्महत्या करने की धमकी दे दी। जज को अपना फैसला रोकना पड़ा। जज ने फैसला सुनाने के लिए फिर से मामला सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की एक अदालत को सड़क दुर्घटना के एक मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाने में देरी करनी पड़ी। दरअसल, अदालत के परमानेंट स्टेनोग्राफर ने अचानक आत्महत्या करने की धमकी दी और कोर्ट रूम से बाहर चला गया। मामला लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई एक घातक दुर्घटना से जुड़ा था।

कड़कड़डूमा कोर्ट में तैनात न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा गर्ग ने 29 अप्रैल के अपने आदेश में इस घटना का उल्लेख किया। उन्होंने आदेश में लिखा कि फैसला नहीं सुनाया जा सका, क्योंकि अदालत के नियमित स्टेनोग्राफर ने अदालत को यह धमकी देकर गया है कि वह आत्महत्या कर लेगा। इसलिए, फैसला सुनाने के लिए फिर से सूचीबद्ध किया जाए।

इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के कारण अदालत ने अपना फैसला सुनाना स्थगित कर दिया। मामले में अंतिम फैसला बाद में 9 मई को सुनाया गया। यह मामला वर्ष 2012 में हुई एक सड़क दुर्घटना से संबंधित है। सुखदेव नामक एक ट्रक चालक पर लापरवाही और लापरवाही से वाहन चलाने का आरोप था, जिसके कारण मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

सबूतों की जांच और दलीलें सुनने के बाद अदालत ने सुखदेव को दोषी पाया। उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279 (सड़क पर लापरवाही से वाहन चलाने या सवारी करने से संबंधित) और आईपीसी की धारा 304 ए ( लापरवाही से मौत का कारण बनने) के तहत दोषी ठहराया गया।

स्टेनोग्राफर के साथ मामला सुलझने के बाद अदालत ने 9 मई को अपना फैसला सुनाया। ड्राइवर को उसके अपराध के लिए दोषी ठहराया गया, जिसकी वजह से एक निर्दोष की जान चली गई।