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दिल्ली:HIV,हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण यूं पकड़ लेगी, इस नई जांच किट में क्या खास?

प्रो.चौधरी बताते हैं कि भारत में हर साल 1.2 करोड़ यूनिट रक्त का संग्रह होता है, जो प्रति 1000 जनसंख्या पर 10 यूनिट है। ऐसे में संक्रमित रक्त एकत्रित होने की स्थिति में संग्रह, परिवहन व प्रोसेसिंग के दौरान संक्रमण का खतरा बना रहता है।

Utkarsh Gaharwar हिन्दुस्तान, दिल्ली |अभिनव उपाध्यायMon, 9 June 2025 06:29 AM
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दिल्ली:HIV,हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण यूं पकड़ लेगी, इस नई जांच किट में क्या खास?

दिल्ली विश्वविद्यालय का संक्रामक रोग अनुसंधान केंद्र एक नई जांच किट बना रहा है। यह किट रक्तदान से पहले काम आएगी। इससे सिर्फ दो मिनट में चार संक्रमणों की जांच हो सकेगी। इनमें एचआईवी-1 और एचआईवी-2 भी शामिल हैं। किट की मदद से यह पता लगाना आसान होगा कि रक्तदाता को कोई संक्रमण है या नहीं।

इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 4 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। डीयू से जुड़े वैज्ञानिकों का यह प्रोजेक्ट वर्ल्ड फर्स्ट चैलेंज नामक पहल के तहत भेजे गए प्रस्ताव में स्वीकृत हुआ था। इसे इसी वर्ष मई में मंजूरी मिली है। प्रोजेक्ट पर डीयू के पूर्व बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार चौधरी व अनुसंधान केंद्र की निदेशक प्रो. अमिता गुप्ता के नेतृत्व में काम हो रहा है। प्रो. विजय कुमार चौधरी का कहना है कि देश में संक्रमण के कारण हर साल बड़ी मात्रा में रक्तदाताओं का खून फेंका जाता है। जांच से इसे बचा सकते हैं।

रक्तदान से जुड़ी चुनौतियां

प्रो.चौधरी बताते हैं कि भारत में हर साल 1.2 करोड़ यूनिट रक्त का संग्रह होता है, जो प्रति 1000 जनसंख्या पर 10 यूनिट है। ऐसे में संक्रमित रक्त एकत्रित होने की स्थिति में संग्रह, परिवहन व प्रोसेसिंग के दौरान संक्रमण का खतरा बना रहता है। अगर खून संक्रमित पाया जाता है, तो उसे नष्ट करना पड़ता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी होती है।

एंटीबॉडी से करता है पहचान

प्रो. चौधरी के अनुसार, टेस्ट के दौरान किट शरीर में एचआईवी के एंटीबॉडी को पहचानता है। जब यह टेस्ट किया जाता है, तो खून में एंटीबॉडी हैं या नहीं, यह आंखों से ही साफ दिखता है। यह तकनीक प्रोटीन पर आधारित है। इससे चार बीमारियों की जांच की जा सकती है, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और सिफिलिस। यह टेस्ट गांवों में बहुत फायदेमंद हो सकता है। इसकी सटीकता साबित हो चुकी है। इसे 1200 से ज्यादा खून के नमूनों पर परखा गया है। प्रो. गुप्ता कहती हैं कि यह तकनीक भारत ही नहीं, दुनिया केे लिए उपयोगी साबित हो सकती है।

क्या है यह तकनीक?

प्रो. चौधरी और प्रो. गुप्ता के अनुसार, 2002 में उन्होंने नेकेड आई विजिबल एग्गलुटिनेशन (एनईवीए) नामक एक टेस्ट विकसित किया था जो केवल दो मिनट में एचआईवी-1 और एचआईवी-2 एंटीबॉडीज की पहचान कर सकता है। इसकी संवेदनशीलता 100% और विशिष्टता 98.6% पाई गई है। यह परीक्षण केवल एक बूंद रक्त से किया जा सकता है। इसके लिए विशेष प्रयोगशाला या उपकरण की जरुरत नहीं होती। यह टेस्ट रक्तदान की प्रक्रिया को सुरक्षित व किफायती बना सकता है।