प्रदूषण फैलाने में फरीदाबाद और गुरुग्राम टॉप-10 में, नई रैंकिंग में कौन सा नंबर मिला?
- एनसीआर में आने वाले हरियाणा के दो शहर फरीदाबाद और गुरुग्राम सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप-10 में हैं। हवा की क्वॉलिटी मापने वाली स्विस कंपनी IQAir ने आज जो आंकड़े जारी किए हैं, वो फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिए किसी लिहाज से अच्छे नहीं हैं।

एनसीआर में आने वाले हरियाणा के दो शहर फरीदाबाद और गुरुग्राम सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप-10 में हैं। हवा की क्वॉलिटी मापने वाली स्विस कंपनी IQAir ने आज जो आंकड़े जारी किए हैं, वो फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिए किसी लिहाज से अच्छे नहीं हैं। विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, फरीदाबाद वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है, जहाँ PM2.5 की औसत सांद्रता 101.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि गुरुग्राम 87.5 के वार्षिक औसत PM2.5 स्तर के साथ 10वें स्थान पर है। इस नई रैंकिंग में भारत के 13 शहर शामिल हैं।
राहत की बात सिर्फ इतनी है कि 2023 की तुलना में 2024 में भारत के कुल PM2.5 स्तर में 7% की गिरावट आई है,फिर भी भारत सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है,दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से छह भारत में स्थित हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि असम में बायर्नीहाट अब दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जिसने दिल्ली के पिछले रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है,जो अभी भी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है।
दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल 13 भारतीय शहरों में,फरीदाबाद, गुरुग्राम, दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, लोनी, भिवाड़ी और मुजफ्फरनगर के साथ लगातार प्रदूषण से जूझ रहे हैं,जिससे उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता का बिगड़ता संकट और भी उजागर होता है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत कई प्रयासों के बावजूद,फरीदाबाद और गुरुग्राम दोनों में वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट देखी गई है। तेजी से औद्योगीकरण,अनियंत्रित वाहनों से होने वाला उत्सर्जन और व्यापक निर्माण गतिविधियां उनकी खराब वायु गुणवत्ता के प्रमुख कारण हैं।
फरीदाबाद लगातार भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक रहा है और नई रिपोर्ट इसकी बिगड़ती वायु गुणवत्ता को बयां कर रही है। उच्च PM2.5 स्तर का कारण औद्योगिक उत्सर्जन,निर्माण धूल और वाहनों से होने वाला प्रदूषण जैसे कई कारक हैं। औद्योगिक उत्सर्जन पर अंकुश और हरियाली बढ़ाने के प्रयासों सहित वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से कई पहलों के बावजूद,इनका प्रभाव अपर्याप्त रहा है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) के क्षेत्रीय अधिकारी (दक्षिण गुरुग्राम) विजय चौधरी ने माना कि उत्सर्जन को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमने औद्योगिक उत्सर्जन पर प्रतिबंध और बेहतर कचरा प्रबंधन सहित कई उपाय लागू किए हैं। हालांकि,शहर की भौगोलिक स्थिति और मौसम की परिस्थितियां सर्दियों के दौरान प्रदूषण के स्तर को बढ़ा देती हैं,जिससे बार-बार धुंध की समस्या होती है।
निवासियों ने भी बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर अपनी चिंता व्यक्त की है। निवासी वकालत समूह मेकिंग मॉडल गुरुग्राम की संस्थापक गौरी सरीन ने कहा कि हम वर्षों से यह मुद्दा उठा रहे हैं,लेकिन प्रतिक्रिया धीमी और अपर्याप्त रही है। लोग खासकर बच्चे और बुजुर्ग,जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं। पर्यावरण संगठन भारत की प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों में कमियों के बारे में मुखर रहे हैं। ग्रीनपीस इंडिया के अभियान निदेशक अविनाश चंचल ने जोर देकर कहा कि खराब सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढांचा बढ़ते प्रदूषण के स्तर का एक प्रमुख कारण बना हुआ है।
चंचल ने कहा कि रिपोर्ट एक बार फिर बताती है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्वच्छ वायु कार्य योजनाओं के तहत उठाए जा रहे कदम पर्याप्त नहीं हैं। कई अध्ययनों ने हमारे शहरों में PM2.5 सांद्रता में सड़क परिवहन से होने वाले उत्सर्जन को एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में पहचाना है। हालांकि, सरकार सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करने में विफल रही है। यदि हम वायु प्रदूषण से निपटने के लिए गंभीर हैं,तो सार्वजनिक परिवहन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।