नौरंगपुर में सीवर शोधन संयंत्र के निर्माण का रास्ता साफ
गुरुग्राम के सेक्टर-78 में सीवर शोधन संयंत्र का निर्माण शुरू होगा। मानेसर नगर निगम को गांव नौरंगपुर की 3.65 एकड़ जमीन के लिए 12.5 करोड़ रुपये देने होंगे। यह संयंत्र शिकोहपुर, नौरंगपुर और नखडौला के...

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। सेक्टर-78 में सीवर शोधन संयंत्र के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मानेसर नगर निगम की तरफ से गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) को गांव नौरंगपुर की जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। जमीन की एवज में करीब साढ़े 12 करोड़ रुपये मानेसर नगर निगम को देने होंगे। मौजूदा समय में सेक्टर-77 से लेकर 80 और इसके आसपास लगते गांव में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार को आदेश जारी किए हुए हैं कि यमुना में गंदा पानी नहीं जाना चाहिए। इसको लेकर जीएमडीए ने सेक्टर-78 में 40 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता का सीवर शोधन संयंत्र तैयार करने की योजना बनाई थी।
इसको लेकर मानेसर नगर निगम से जमीन उपलब्ध करवाने का आग्रह किया था। मानेसर नगर निगम ने 3.65 एकड़ जमीन का चयन इस संयंत्र के निर्माण को लेकर किया था। जीएमडीए की स्वीकृति के बाद मानेसर नगर निगम ने इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शहरी निकाय विभाग में भेज दिया था। करीब 3.41 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से यह जमीन उपलब्ध करवाई गई है। जीएमडीए को यह राशि मानेसर नगर निगम के खाते में जमा करवाकर इस जमीन का कब्जा लेना होगा। जीएमडीए के एक अधिकारी ने बताया कि इस जमीन का मानेसर नगर निगम से कब्जा लेकर सीवर शोधन संयंत्र का निर्माण की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। कब्जा लेने के बाद संयंत्र का डिजाइन बनेगा इस जमीन का कब्जा मिलने के बाद जीएमडीए की तरफ से एक सलाहकार को नियुक्त करके सीवर शोधन संयंत्र का डिजाइन तैयार करवाया जाएगा। इस संयंत्र में शिकोहपुर, नौरंगपुर, नखडौला आदि गांवों का पानी शोधित करके यमुना में डाला जाएगा। कई रिहायशी सोसाइटियों के संयंत्र खराब सेक्टर-77 से लेकर 80 तक कई रिहायशी सोसाइटियां विकसित हो चुके हैं। इन सोसाइटियों में संयंत्र लगे हुए हैं, लेकिन यह सही ढंग से काम नहीं करते हैं। ऐसे में गंदे पानी को टैंकरों के माध्यम से बाहर खुले में छोड़ा जाता है। इसकी वजह से प्रदूषण होता है। कुछ सोसाइटियों की तरफ से गंदे पानी को बरसाती नाले में छोड़ दिया जाता है। सीवर शोधन संयंत्र बनने के बाद से इस तरह की दिक्कत खत्म हो जाएगी। करीब ढाई साल का समय लगेगा इस संयंत्र के निर्माण में करीब ढाई साल का समय लगेगा। सलाहकार की तरफ से डीपीआर तैयार की जाएगी। इसकी मंजूरी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जीएमडीए की बैठक में ली जाएगी। इसके पश्चात टेंडर आमंत्रित करने की प्रकिया शुरू होगी। टेंडर आवंटन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय खरीद समिति की बैठक होगी। इस प्रक्रिया में छह से आठ महीने का समय कम से कम लगेगा।
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