पश्चिम बंगाल में चुनावी रणनीति पर असमंजस में है कांग्रेस
कांग्रेस पश्चिम बंगाल में चुनाव को लेकर असमंजस में है। पार्टी भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए मजबूती से चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की बढ़ती ताकत और पिछली हारों के बाद उसे जोखिम...

सुहेल हामिद नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में एकला चलो की रणनीति अपनाकर आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पश्चिम बंगाल में असमंजस में है। पार्टी खुद को मजबूत करना चाहती है, पर वह बंगाल में भाजपा की सरकार बनवाने का जोखिम नहीं लेना चाहती। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। वर्ष 2021 के चुनाव में वाम दलों के साथ गठबंधन के बावजूद कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी। वहीं, उसका वोट प्रतिशत तीन फीसदी पर सिमट गया था। जबकि 2016 में पार्टी को 12.2 प्रतिशत वोट के साथ 44 सीटें मिली थीं।
इनमें ज्यादातर सीटें उसे उत्तर बंगाल से मिली थीं। तृणमूल की चुनौतियों में इजाफा हो सकता वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने हर चुनाव में अपना प्रदर्शन बेहतर किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुआई में तृणमूल अकेले दम पर शानदार बहुमत हासिल करती रही है। हालांकि, पिछले चार-पांच वर्षों में जिस अंदाज में भाजपा ने खुद को मजबूत किया है, उससे चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीट के लिए 2026 में चुनाव होने हैं। वर्ष 2016 विधानसभा में 10 फीसदी वोट के साथ सिर्फ तीन सीट जीतने वाली भाजपा 2021 में 77 सीट के साथ मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी। उसके वोट प्रतिशत में 28 प्रतिशत का इजाफा हुआ। तृणमूल ने भी अपना प्रदर्शन सुधारा पर इसमें कांग्रेस की भूमिका अहम थी क्योंकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रचार से दूर रहे। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2021 में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के तमाम बड़े नेता पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार से दूर रहे थे। पार्टी नहीं चाहती थी कि उस पर भाजपा से लड़ रही ममता बनर्जी को कमजोर करने का आरोप लगे। सपा, जेएमएम, राजद, शिवसेना व एनसीपी भी ममता के साथ थे। कांग्रेस अकेले मैदान में उतर सकती पिछले कुछ वर्षों में भाजपा काफी हद तक ध्रुवीकरण करने में सफल रही है। ऐसे में आगामी चुनाव में भाजपा को इसका राजनीतिक फायदा मिलना तय है। ऐसे में कांग्रेस का अकेले चुनाव मैदान में उतरना तृणमूल की मुश्किलें बढ़ा सकता है। पार्टी के पारंपारिक प्रभाव क्षेत्रों में तृणमूल को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम बंगाल में सभी सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बंगाल में तृणमूल बड़ी पार्टी है। ऐसे में गठबंधन करना या नहीं करना, उन पर निर्भर है। पार्टी में एक बड़ा तबका मानता है कि कांग्रेस को बंगाल में भाजपा की पहली बार सरकार बनवाने का जोखिम नहीं लेना चाहिए। सभी विकल्प खुले रखना चाहती है कांग्रेस ऐसे में कांग्रेस फिलहाल सभी विकल्प खुले रखना चाहती है। पार्टी बंगाल में वामदलों के साथ गठबंधन से भी खुद को अलग रख सकती है, क्योंकि इसका असर केरल चुनाव पर पड़ सकता है। केरल में कांग्रेस की अगुआई वाली यूडीएफ का वामदलों के गठबंधन से सीधा मुकाबला है। इसलिए, पार्टी एहतियात बरत रही है। विधानसभा चुनाव 2011 पार्टी सीट वोट प्रतिशत तृणमूल 184 38.9 कांग्रेस 42 09.1 वामदल 58 38.0 अन्य 10 14.0 विधानसभा चुनाव 2016 पार्टी सीट वोट प्रतिशत तृणमूल 211 45.6 कांग्रेस 44 12.4 वामदल 29 13.0 भाजपा 03 10.3 अन्य 07 09.0 विधानसभा चुनाव 2021 पार्टी सीट वोट प्रतिशत तृणमूल 215 48.5 भाजपा 77 38.5 अन्य 02 03.0
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।