गलत पहचान के चलते गिरफ्तार हुए व्यक्ति को अदालत ने किया बरी
- वर्ष 2003 में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ मोहम्मद बशीरुद्दीन - फारेंसिक

नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। पटियाला हाउस कोर्ट ने आस्ट्रेलिया में वर्ष 2003 में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति को पहचान की गलती मानते हुए आरोपमुक्त कर दिया है। अदालत ने यह फैसला फारेंसिक रिपोर्ट में फिंगरप्रिंट मेल न खाने के आधार पर सुनाया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी की अदालत ने आदेश में 37 वर्षीय मोहम्मद बशीरुद्दीन को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि उनकी गिरफ्तारी गलत पहचान के चलते हुई थी। अदालत ने कहा कि केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट सीलबंद अवस्था में प्राप्त हुई। अदालत में खोली गई रिपोर्ट के अनुसार 17 मई को गिरफ्तार मोहम्मद बशीरुद्दीन के फिंगरप्रिंट उस भगोड़े अपराधी से मेल नहीं खाते, जिसकी तलाश की जा रही थी।
------- यह है पूरा मामला यह मामला 29 जून, 2003 का है। जब आस्ट्रेलिया के रेडफर्न स्थित जेम्स स्ट्रीट पर एक पहिएदार डस्टबिन में शौकत मोहम्मद नामक व्यक्ति की लाश एक स्लीपिंग बैग में मिली थी। जांच में सामने आया था कि मृतक को पहले नशीला पदार्थ दिया गया, फिर हमला कर गला दबाकर हत्या कर दी गई। मोहम्मद बशीरुद्दीन की ओर से पेश अधिवक्ता फरहत जहां रहमानी ने अदालत को बताया कि आस्ट्रेलियाई रिकार्ड में जिस व्यक्ति का नाम दर्ज है, वह बशीरुद्दीन मोहम्मद है, जबकि उनके मुवक्किल का पूरा नाम मोहम्मद बशीरुद्दीन है। दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं। अधिवक्ता ने यह भी दलील दी कि बशीरुद्दीन ने साल 2016 में भारतीय पासपोर्ट प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने केवल सऊदी अरब की यात्रा की है। वे आस्ट्रेलिया कभी नहीं गए। अदालत ने इन तथ्यों और वैज्ञानिक रिपोर्ट को आधार बनाते हुए व्यक्ति को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
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